धर्म की दुकानें यों ही नहीं चलतीं, इस के लिए हर समय कुछ न कुछ करना पड़ता है. ईस्टर के समय सारे ईसाई जगत में धर्मगुरुओं ने ईसा की मृत्यु और पुनर्जीवित होने के दृश्य मंचित कराए ताकि धर्म का पाखंड मन में गहरा बैठा रहे और दानपात्र खनकते रहें.

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