जब से  मैंने होशा संभाला था, अपने बालों को एक सुनामी जैसे पाया था.12 या 13 वर्ष की उम्र उस समय( 90 के दशक में) इतनी ज्यादा नही होती थी कि मुझे कुछ समझ आता .तेल से तो उस समय मेरा दूर दूर तक नाता नही था.शायद ही कभी तेल को बालों में लगाया हो.मेरे बाल बहुत घने थे जिसके लिए अधिकतर लोग तरसते हैं.मेरी अपनी सहेलियां और दूर पास की रिश्ते की बहने मेरे जैसे बाल चाहती थी.मेरे बाल वेवी थे इसलिए बिना ड्रायर के ही हमेशा फूले हुए लगते थे.

बाल क्योंकि वेवी थे,इसलिये मेरी मम्मी हमेशा बोयकट ही करवाती थी .बॉय कट के कारण मुझे अपना साधरण चेहरा और अधिक साधरण लगता था.कंडीशनर, स्पा इत्यादि का तब प्रचलन नही था.बाल धोने के लिए हमे हफ़्ते में एक बार ही शैम्पू मिलता था .हफ्ते में बाकी दिन मुझे नहाने के साबुन से ही बाल धोने पड़ते थे.साबुन से धोने के कारण और तेल या अन्य कोई घरेलू नुस्खा  ना अपनाने के कारण मेरे कड़े बाल और अधिक रूखे और कड़े हो गए थे.

पर फिर भी बिना किसी प्रकार की देखभाल के भी मेरे बाल ना झड़ते थे, ना टूटते थे.

फिर जब मैं कॉलेज में आई तो स्टेपकट करा लिया जो मेरे बालो के टेक्सचर कारण अच्छा लगता था.फिर शुरू हुआ इक्का दुक्का सफ़ेद बालो का दिखना.अब सोचती हूँ कि उन सफ़ेद बालो को ऐसे ही छोड़ सकती थी. पर मैंने अपने बालों में मेहंदी लगानी शुरू कर दी थी.हर 15 दिन बाद में मेहंदी लगा लेती थी, बाल चमकने के साथ साथ बहुत सख्त भी हो गए थे.ये सारे प्रयोग मैं  चाची, नानी इत्यादि के घरेलू नुस्खों की मदद से कर रही थी.

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