पानी जीवन का आधार ही नहीं बल्कि संजीवनी भी है. वैसे पानी के इस्तेमाल के कुछ तरीके हम बचपन से ही जान जाते हैं. जैसे : पीने के लिए पानी, नहाने के लिए पानी और बरतन धोने के लिए पानी. उसी तरह खेती, बगीचे, खाना पकाने, फैक्टरी आदि के लिए भी पानी जरूरी है, यह भी हम जान जाते हैं.
हम यहां पर आप को पानी के खास उपयोग के बारे में बता रहे हैं, जो है हाइड्रोथेरैपी. यानी पानी से रोगों का उपचार करना. हाइड्रोथेरैपी का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. ग्रीक व रोमन संस्कृति के साथ अपने आयुर्वेद शास्त्र में भी इस का उल्लेख मिलता है.
कार्यपद्धति
हाइड्रोथेरैपी कहती है कि गरम पानी शरीर को शीतलता देता है. गरम पानी पीने से शरीर की क्रिया शांत होती है. थकावट व वैचारिक तनाव दूर होता है. हम जब अपना शरीर पानी में डुबोते हैं तब हमें एक वजनरहित अवस्था मिलती है. इस की हमारे शरीर को जरूरत होती है. जब स्विमिंग पूल, कुआं, नदी का पानी हमारे शरीर से टकराता है तब हमें मालिश जैसा एहसास होता है, जिस से हमारी त्वचा उत्तेजित होती है और रक्तसंचार बढ़ता है.
हाइड्रोथेरैपी के कई प्रकार हैं:
1. नहाना.
2. पानी में बैठना.
3. पैरों का स्नान.
4. दस्तानों के घर्षण से किया हुआ स्नान.
5. शरीर को भाप देना.
6. गरम पानी से सेंकना.
7. ठंडे पानी से सेंकना.
8. गरम व ठंडे पानी के विकल्प से सेंकना.
उपचार
अगर छाती में बलगम हो या खांसी आती हो तो छाती को और अगर पांव के टखनों, कुहनी या उंगली में चोट लगने से सूजन आ गई हो तो चोट लगी जगह को गरम पानी में भिगोए कपड़े से सेंकें.