आंखें हमारे शरीर का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अंग तो हैं ही, चेहरे के सौंदर्य में भी इन की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. आंखों के साथ ढेर सारी बातें जुड़ी हुई हैं जिन पर एकसाथ गौर कम ही लोग करते हैं. ये हमारे दिल और दिमाग का आईना होती हैं. आंखों के जरिए ईर्ष्या, द्वेष, कुंठा, क्रोध, खुशी, कृतज्ञता, उदारता, क्षमा, छिछलापन, गंभीरता, बहादुरी व कायरता जैसे मनोभाव सहज ही सामने आ जाते हैं. यह अलग बात है कि आंखों को भलीभांति पढ़ लेने वाली आंखें बहुत कम होती हैं. कहा जाता है कि आंखों की अपनी एक भाषा होती है और इस भाषा का जानकार ही उसे पढ़ सकता है. आंखें चूंकि शरीर का प्रमुख अंग हैं, इसलिए बौडी लैंग्वेज में भी आंखों की अपनी अलग भूमिका है. हम कब क्या सोच रहे हैं, कई लोग आंखों के जरिए इस का भी अंदाजा लगा लेते हैं.

किसी युवक या युवती के सौंदर्य का बखान हो रहा हो, तब भी आंखों के जिक्र के बगैर वह बखान अधूरा ही माना जाता है. हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय गीतों की बात की जाए तो बहुत से सुरीले गीत ऐसे हैं जिन में आंखों के सौंदर्य का वर्णन है. लोकगीतों में भी आंखें अपनी खास जगह बनाए हुए हैं. आंखों के सौंदर्य और इन की महिमा को ले कर कवियों, लेखकों व साहित्यकारों ने जितना कुछ लिखा है, उतना किसी अन्य अंग के बारे में नहीं लिखा गया है. यह बात अजीब लगती है किंतु हकीकत तो यही है कि आंखें मानव मन और मस्तिष्क का आईना होेती हैं. आंखों के जरिए किसी के दिल में भी उतरा जा सकता है और आंखें जब कभी किसी रुचिकर व्यक्तित्व या वस्तु को देख लेती हैं, तो उस की अमिट तसवीर दिलोदिमाग में बन जाती है.

विशेषज्ञ आंखों के जरिए किसी भी आदमी के मनमस्तिष्क को पढ़ लेते हैं. वे व्यक्ति क्या सोच रहा है, क्या महसूस कर रहा है यानी प्रसन्न है या तनाव में, कुटिल है या सहृदयी, जटिल है या सरल, विद्वान है या पाखंडी आदि अनेक बातों का सही अंदाजा लगा लेते हैं. बहुधा पुलिस भी वारदातों की छानबीन करते समय शिद्दत से आंखें ही पढ़ने की कोशिश करती है और मामले की तह तक जाने में सफल भी हो जाती है. कई बार तो पुलिस वाले संदिग्ध की आंखों में देखते हैं और सामने वाले की प्रतिक्रिया देख कर तय कर लेते हैं कि दाल में कुछ काला है. इस तरह आंखों की भाषा ही पुलिस की प्रथम मददगार होती है. यह अलग बात है कि पुलिस को सुबूत जुटाने होते हैं, जो आंखों के जरिए संभव नहीं होते. पर कोई शातिर अपराधी अपनी आंखों के भाव हर पल बदलते रह कर पुलिस की आंखों में धूल झोंक सकता है. कहा जाता है कि डकैत यह विधा अनुभव से या अपने सरदार से सीख लेते हैं, तो आतंकवादियों को भी इसी तरह का प्रशिक्षण दिया जाता होगा. किंतु कुल मिला कर आंखें मानव का चित्रण किसी आईने की तरह कर सकती हैं. जरूरत होती है तो सिर्फ आंखों को पढ़ने वाले की.

बनावट में भिन्नता

जिस तरह सभी लोगों की उंगलियों के पोर भिन्न होते हैं, उसी तरह प्रत्येक की आंख की बनावट में तो भिन्नता होती ही है, आंख की पुतलियों में भी भिन्नता होती है. किन्हीं 2 लोगों की आंखों की पुतलियां एक जैसी कभी नहीं हो सकतीं, ऐसा विशेषज्ञ कहते हैं. लेकिन पुतलियों की भिन्नता सहज रूप से नहीं पहचानी जा सकती. एनाटौमी विशेषज्ञ या कुछ खास किस्म के लोग यानी कवि, कथाकार, शिल्पी, साइकोलौजिस्ट और सुरक्षा अथवा गुप्तचर एजेंसियों से जुड़े लोग ही आंखों और आंख की पुतलियों की भिन्नता की पहचान कर सकते हैं, क्योंकि वे प्रत्येक आंख और पुतलियों तक बारीकी से देखते हैं. भारत आने वाले सैलानियों को देखने से साफ पता चलता है कि ब्रिटिश, आस्ट्रेलियाई, चीनी, नेपाली, तिब्बती, भूटानी या किसी भी देश के नागरिक की आंखों की बनावट में भिन्नता साफ परिलक्षित होती है.

कहा जाता है कि प्यार किसी को भी हो सकता है. इस में दिल की भूमिका अहम होती है, लेकिन आंखें न केवल इस काम को आसान बना देती हैं, बल्कि मानव के मौन रहने पर भी सभी कुछ अभिव्यक्त कर देती हैं. बस जरूरत होती है आंखों को पढ़ने वाले की. हिंदी, संस्कृत, उर्दू व अन्य भाषाओं में लिखे साहित्य में भी आंखों पर बहुत कुछ लिखा गया है. आंखों को कई प्रकार की उपमाएं तक दी गई हैं और आंखों के सौंदर्य के आधार पर नाम भी रखे जाते हैं, जैसे, नयन, नयनतारा, मृगनयनी, मीना आदि. सुरक्षा या गुप्तचर एजेंसियों में काम करने वाले पुलिसकर्मी आंखों के जरिए ही किसी अपराधी के मनमस्तिष्क को भलीभांति पढ़ लेते हैं फिर उन की गतिविधियों पर गुपचुप तरीके से नजर रखते हैं. हालांकि अपराधी उन से अधिक चालाक और शातिर होते हैं, किंतु प्रशिक्षित नहीं होते जबकि पुलिसकर्मी प्रशिक्षित होते हैं. अपराधी लोग भय, हड़बड़ी अथवा भागमभाग में कहीं न कहीं कोई चूक कर बैठते हैं और इसी चूक से जांच का एक सिरा पुलिस के हाथ लग जाता है. पुलिस को तो अदालत में सुबूत पेश करना होता है, इसलिए बहुधा सुबूत नहीं मिलने तक वह किसी पर आसानी से हाथ नहीं डाल सकती. लेकिन पुलिस की सफलता के पीछे मुखबिर की सूचना और पकड़े जाने के बाद आरोपी की आंखें अधिक महत्त्वपूर्ण होती हैं.

आंखों की अपनी भाषा होती है, इसलिए कहा जाता है कि आंखें बोलती हैं. अब कैसे और क्या बोलती हैं, यह तो किसी अनुभवी अथवा आंखों की भाषा को समझने वाला ही जान सकता है, लेकिन आंखें भावाभिव्यक्ति तो करती ही हैं. आंखों की बनावट भी उतना ही कुछ कह जाती है. इस में चेहरे और आंखों का तालमेल भी काम करता है. आइए जानें कि इस संदर्भ में विशेषज्ञ क्या कहते हैं.  किसी आदमी की कदकाठी चाहे कैसी हो, लेकिन उन्नत बड़ी आंखें और आंखों के बीच में लगभग 1 सैंटीमीटर की दूरी यह इंगित करती है कि ऐसा व्यक्ति (पुरुष या महिला) बहादुर, सच्चा, स्पष्टवादी और खुली किताब जैसे व्यक्तित्व वाला है. ऐसे लोग दयालु, परोपकारी और  शौकीन मिजाज भी होते हैं, तो कुछ ऐयाश भी.

छोटी पुतलियों वाली आंखें

आंखों की पुतलियां यदि मुरगे के समान छोटी हों और आंखों के बीच कम दूरी हो तो वह यह बताती है कि ऐसा आदमी धूर्त, मक्कार, स्वार्थी, धोखेबाज और छोटी सोच रखने वाला होने के साथ ही कंजूस भी होता है. ऐसे लोग अपने दोष कभी नहीं देख पाते और दूसरों की गलतियों पर नजर रखते हैं. परनिंदा और अपनी तारीफ करना इन का शगल होता है. अपनी छोटी सोच होने के कारण ऐसे लोग अपने आसपास के लोगों को अपने से छोटा ही आंकते हैं और उन के गुणों की ओर ऐसे लोग तनिक भी नहीं देख पाते. इन के लिए परनिंदा का सीधा अर्थ दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश होता है. इस तरह की आंखों वाले लोग बहुधा निंदनीय हरकतें करने में मशगूल देखे जाते हैं. चूकिं ऐसे लोग बहादुर नहीं होते, इसीलिए इन का व्यक्तित्व कुछ ऐसा होता है कि कभी शेर की तरह दहाड़ते हैं, कभी सियार की तरह दुम हिलाते हैं. ऐसे लोग कब कैसा आचरण कर बैठेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता. इसी कारण समझदार लोग ऐसे लोगों से मित्रता करने से बचते हैं.

कुछ लोगों की आंखें मध्यम आकार की होती हैं किंतु उन की आंखों की पुतलियों में 2-3 या अधिक मटमैले और हलके पीले दाग दिखते हैं. आंखों का रंग भी सफेद के बजाय स्लेटी रंग से मिलताजुलता होता है. माना जाता है कि ऐसे लोग अविश्वसनीय और धोखेबाज होते हैं, साथ ही इन में सोचनेसमझने की शक्ति अपेक्षाकृत कम होती है. घटिया सोच के ऐसे लोग स्वयं को बलशाली और विद्वान मान बैठते हैं, परिणाम स्वरूप दूसरे सक्षम लोग भी इन्हें मूर्ख और असक्षम दिखाई देते हैं. ऐसे लोग भ्रम में ही जीते हैं. संसार की वास्तविकता के करीब तो क्या, शान और अज्ञान के बीच अदृश्य खाई के बीच में ही विचरण करते रहते हैं. इन में एक और खास बात यह  भी होती है कि ये लोग बड़े लोगों की चमचागीरी करते हुए अथवा तलवे चाटते हुए कई बार बड़े पद पर भी जा पहुंचते हैं. ये दूसरे को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. ऐसे लोगों का निजी जीवन दुखों और कष्टों भरा होता है. यह अलग बात है कि ये इस का प्रदर्शन नहीं करते और अपनेआप को ईश्वर का भक्त और पर सुखी जीव साबित करने की भरसक कोशिश करते हैं.

ऐसे लोगों को अपनी पत्नी, बच्चों, भाईबहन व मातापिता से कोई सरोकार नहीं होता. वास्तव में ये किसी के नहीं होते अर्थात हद दरजे के स्वार्थी और मक्कार होते हैं. लेकिन ऐसे लोगों को कुछ चालाक लोग सहज ही भ्रमित कर लेते हैं किंतु इन्हें एक लंबे अंतराल के बाद महसूस होता है कि क्या सही था और क्या गलत और वे कैसे किसी नादान की तरह भ्रम के भंवरजाल में फंसते चले गए. लेकिन तब तक समय निकल चुका होता है और उस के लिए पछताने के अलावा कुछ शेष नहीं रहता. कई बार यह अपवाद भी देखने को मिलता है कि मुरगे के समान छोटी और गोलमटोल आंखों के बावजूद दोनों आंखों की दूरी करीब 1 सैं.मी. के लगभग होती है तो वह व्यक्ति अपेक्षाकृत कम स्वार्थी, कम धनलोलुप और सामान्य होता है. ऐसे लोगों को दूसरों का अच्छा हरगिज नहीं सुहाता. दूसरों का अच्छा देख कर ऐसे लोग ईर्ष्याद्वेष में पड़ कर धीरेधीरे कुंठा के शिकार हो जाते हैं. ऐसे लोग दूसरों को मूर्ख बना कर धन ऐंठते हैं या ऐसा ही कोई धंधा अपना लेते हैं कि लोगों को मूर्ख बनाते रह कर वे स्वयं की दुकान चलाते रह सकें.

सामान्य से बड़ी पुतलियां

आंखों का एक प्रकार यह भी होता है कि कुछ लोगों की आंखों की पुतलियां सामान्य से बड़ी होती हैं और आंखों के बीच की दूरी भी अधिक या सामान्य से अधिक होती है. ऐसे लोग ईमानदार, मेहनती, सच्चे, बहादुर और खुली किताब की तरह जीवन बिताने वाले होते हैं. साफ कहना और सुखी रहना इन का सिद्धांत होता है. इसलिए ऐसे लोग निर्भय भी होते हैं. ऐसे लोग किसी अन्य के काम में हस्तक्षेप करना पसंद नहीं करते और यह भी चाहते हैं कि उन के काम में कोई हस्तक्षेप न करे. ऐसे लोग अपनी मरजी के मालिक होते हैं और जब कभी इन की मरजी के खिलाफ कुछ होने लगता है, तो ये आवेश में आ जाते हैं. किंतु आवेश के बावजूद ये पूरी तरह नियंत्रित होते हैं अथवा आपे से बाहर नहीं आते. जाहिर है ऐसे लोग सद्विचार रखने वाले और अनुशासित होते हैं. ऐसे लोग मुफ्त की चीज को स्वीकार नहीं कर पाते. ये लोग किसी से भी कुछ लेने के बजाय देना अधिक पसंद करने के साथ ही स्वाभिमानी और लालचरहित होते हैं. इन्हें क्रोध कभीकभार ही आता है, लेकिन जब क्रोधित होते हैं तो बहुत देर तक शांत नहीं हो पाते. दूसरों का सम्मान करना, दूसरों की बात को इतमीनान से सुनना और तवज्जो देना इन की आदत में होता है. बहुधा ये किसी की बुराई या निंदा नहीं करते, साथ ही हर किसी का सम्मान करना इन की विशेषता होती है. ऐसे लोग सफलता के शिखर पर पहुंचने के बाद भी सामान्य बने रहते हैं.

पुतलियों का रंग हलका भूरा

आंखों के बीच सामान्य दूरी और पुतलियों का रंग हलका भूरा होने के साथ ही कार्निया में स्लेटी रंग के धब्बे दिखाई देते हैं और पुतलियां सामान्य से छोटी होती हैं. यह स्थिति एक विशिष्ट प्रकार के दुर्लभ व्यक्तित्व की ओर इशारा करती है. ऐसे लोग हर बात में झूठ बोलते हैं और कभी किसी से भी धोखा कर सकते हैं. ये लोग किसी के सगे नहीं होते, न मातापिता के और न पत्नी अथवा बच्चों के. स्वार्थ की पराकाष्ठा ऐसे लोगों में देखी जा सकती है. मजे की बात यह है कि ऐसे लोग स्वभाव से सरल, ललित कलाओं में रुचि रखने वाले और मृदुभाषी होते हैं, लेकिन मिलनसार नहीं होते. अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना, फूट डालो और राज करो की नीति पर चलना, षड्यंत्रकारी होने के साथ ही लगभग सभी लोगों के मुंह पर उन की तारीफ और पीठ पीछे बुराई करना इन का स्वभाव होता है. ऐसी आंखों वाले पुरुषों में स्त्रियोचित गुणों की भरमार होती है. मुंह पर मीठे बने रहना और पीठ पीछे छुरा घोंपना इन की फितरत होती है. कुछ भी पाने या अवसर का लाभ उठाने में किसी मित्र (यह अलग बात है कि ऐसे लोगों के मित्र नहीं होते) या निकटतम रिश्तेदार का बड़े से बड़ा नुकसान भी हो जाए तब भी ये लोग अवसर का लाभ उठाने से नहीं चूकते. इन का स्वयं के अलावा और किसी से कोई सरोकार नहीं होता. ये लोग किसी बात पर अटल नहीं रहते. सीधी लड़ाई नहीं लड़ सकते, इसलिए दिखाऊ सरलता, विनम्रता, हर बात में व्यंग्य करना, कुटिल सोच, औसत बुद्धि का होते हुए भी स्वयं को परम विद्वान समझना इन का स्वभाव होता है और उसे साबित करने की हमेशा नाकाम कोशिश करते देखे जाते हैं, ये कब किस का नुकसान कर बैठें या कब किसी की आलोचना करने लगें, कुछ नहीं कहा जा सकता. ऐसे लोग अपने समकक्ष या स्वयं से बेहतर आसपास बैठे लोगों का चरित्र हनन करने की भरसक कोशिश करते देखे जाते हैं. स्वयं से प्रतिभाशाली व्यक्ति से कतराते रहना इन की आदत में शुमार होता है. ऐसे लोगों से पूरी सतर्कता से व्यवहार करना चाहिए.

दोस्ती या रिश्ता ऐसे लोगों के लिए कोई माने नहीं रखता बल्कि ऐसे लोग दोस्ती या रिश्ते की परिभाषा तक नहीं समझते. ऐसी आंखों वाले लोगों का व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा जटिल होता है कि इन्हें समझ पाना हर किसी के बस की बात  नहीं होती. ऐसे लोग एक सीमा से अधिक कुंठित और कुटिल होते हैं जोकि एक प्रकार का मनोरोग है. ऐसे लोग सर्वोच्च किस्म के मौकापरस्त होते हैं. जब कोई आदमी इन के लिए काम  का नहीं रह जाता तो उस से संपर्क तोड़ लेते हैं. ये लोग कब किस रास्ते पर चल पड़ें कुछ कहा नहीं जा सकता. ऐसे लोगों का सामना जब किसी शक्तिशाली या प्रभावशाली व्यक्ति से हो जाता है तो ये तुरंत दुम दबा लेते हैं.

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