भारतीय समाज में आज भी इतना खुलापन नहीं आया है कि विवाहपूर्व नौजवान काउंसलिंग के लिए बेधड़क डाक्टर के पास जाएं. लेकिन इस संबंध में जानकारों की यही राय है कि जब आप किसी अनजान सफर पर निकलते हैं तो 10 लोगों से पूछने के बदले उस विशेषज्ञ से जानकारी लेना ज्यादा उचित समझते हैं, जो आप को सफर के बारे में ज्यादा सटीक और बेहतर जानकारी दे सके. इसलिए विवाह के सफर पर निकलने से पहले यह एक समझदारी भरा कदम ही माना जाएगा कि आप इस डगर के संबंध में किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें. इस संबंध में दिल्ली के मैरिज काउंसलर डा. एस.के. शर्मा का कहना है कि मैरिज काउंसलिंग 2 बातों से जुड़ी होती है. पहली स्वास्थ्य से संबंधित तो दूसरी रिश्तों से संबंधित. जहां विवाह के पश्चात स्वास्थ्य संबंधी काउंसलिंग आप के वैवाहिक जीवन में काम आती है, वहीं रिश्तों से संबंधित जानकारी होने से नवविवाहित नए माहौल में खुद को एडजस्ट आसानी से कर लेते हैं.

हेल्थ काउंसलिंग

दिल्ली के मशहूर मैरिज काउंसलर डा. कमल खुराना का कहना है कि विवाह बंधन में बंधने वाले लड़केलड़कियों को हम सब से पहले यही सलाह देते हैं कि वे एकदूसरे के रक्त के आर.एच. फैक्टर की जानकारी जरूर लें. यह जानकारी विवाह के बाद बच्चों के जन्म के लिए बेहद आवश्यक है. इस के अलावा आप को अपने भावी जीवनसाथी के थैलिसीमिया टेस्ट और एच.आई.वी. टेस्ट के संबंध में भी जानकारी अवश्य रखनी चाहिए. डायबिटीज और ब्लडप्रेशर के मरीजों को अपनी यह समस्या अपने भावी जीवनसाथी को सब से पहले बता देनी चाहिए. इस के लिए वे यह सोच कर चुप न लगाएं कि उन की इस समस्या को जान कर उन्हें पसंद करने वाला नापसंद न कर दे. अगर रिश्ता जुड़ने से पहले ही सब कुछ साफसाफ बता दिया जाए तो बाद में कई दिक्कतों से बचा जा सकता है. यह बात लड़के और लड़की दोनों पर ही लागू होनी चाहिए.

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