बेशक महिला हमेशा खूबसूरत और जवां दिखना चाहती हैं, लेकिन उम्र बढ़ना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसे रोका नहीं जा सकता. हालांकि मेकअप ऐसा विकल्प है, जो चेहरे से कुछ साल तक की उम्र छिपा सकता है, लेकिन चेहरे पर हमेशा मेकअप लगा कर रखना भी संभव नहीं है. 40 की उम्र पार होते ही चेहरे पर बढ़ती उम्र की लकीरें नजर आनी शुरू हो जाती हैं, जो 50 तक पहुंचतेपहुंचते गहरी होती जाती हैं. लेकिन उम्र बढ़ने के बावजूद चमकती और कसी हुई त्वचा सभी की चाहत होती है.

आमतौर पर लोग सुंदरता को कायम रखने के लिए घरेलू उपाय अपनाते हैं, लेकिन अगर घरेलू उपायों के साथ ही आज के नए जमाने की ब्यूटी टैक्नीक का भी सहारा लिया जाए तो लंबे समय तक सैलिब्रिटीज जैसी खूबसूरती बरकरार रह सकती है, जो उम्रदराज होने पर भी अपनी उम्र से छोटी नजर आती हैं. इतना ही नहीं, इस तरह की तकनीक से त्वचा की रंगत भी उजली की जा सकती है, जिसे कई बौलीवुड ऐक्ट्रैस अपना चुकी हैं. इस के लिए आप को किसी ऐक्सपर्ट और ऐक्सपीरियंस्ड डर्मैटोलौजिस्ट और कौस्मैटोलौजिस्ट का चयन करना होता है, जो आप की त्वचा और उम्र के हिसाब से उचित तकनीक का प्रयोग करे.

आइए, जानते हैं कि 40 के पार की महिलाओं के लिए कौनकौन सी आधुनिक तकनीकें उपलब्ध हैं:

त्वचा की कसावट के लिए बोटोक्स: बोटोक्स का इंजैक्शन मसल्स में लगाया जाता है. यह त्वचा पर उभरी झुर्रियों और लकीरों को मिटान का काम करता है, इसलिए इस से उम्र कम लगने लगती है. हालांकि इस इंजैक्शन का असर स्थाई नहीं रहता. समयसमय पर इसे लगवाते रहना पड़ता है. 30 से 60 साल तक की उम्र के लोग इस का इस्तेमाल कर रहे हैं और 40 से अधिक उम्र के लोगों में इस का प्रचलन अधिक है. इस में एक सिटिंग में क्व8 हजार से क्व12 हजार तक का खर्च आता है.

फिलर्स: त्वचा में कसाव लाने व झुर्रियों को मिटाने के लिए फिलर्स का प्रयोग किया जाता है. यह भी एक तरह का इंजैक्शन होता है और त्वचा की ऊपरी सतह को ही छूता है. यह बोटोक्स की तरह त्वचा के अंदर नहीं जाता. इस की सहायता से चेहरे को आकर्षक शेप में लाया जा सकता है.

लेजर थेरैपी: उम्र के हिसाब से बनने वाले त्वचा के दागधब्बे व गड्ढे मिटाने में यह लेजर थेरैपी कारगर साबित होती है. चेहरे के अनचाहे बालों को हटाने के लिए भी इस थेरैपी का प्रयोग किया जाता है.

लाइपोसक्शन: आमतौर पर 40 की उम्र के बाद से शरीर पर चरबी बढ़ने लगती है, जिस की वजह से शरीर का आकार बेडौल नजर आता है. लाइपोसक्शन ट्रीटमैंट चरबी की समस्या से मुक्ति दिलाता है, इसलिए मोटापा से परेशान लोग इस तकनीक का सहारा लेते हैं. इस के तहत एक छोटी सी सर्जरी के जरीए पेट या शरीर के दूसरे हिस्सों से फैट को गलाया जाता है. यह काम कई बार कुछ इंजैक्शनों की मदद से भी किया जाता है. इस ट्रीटमैंट में ज्यादा कष्ट नहीं होता.

स्किन पौलिशिंग: 40 की उम्र तक आतेआते हमारी त्वचा तमाम तरह के पर्यावरण और शारीरिक बदलाव संबंधी असर झेल चुकी होती है. धूप, टैनिंग, पिगमैंटेशन, दागधब्बे, झांइयां, मुंहासे, हर रोज का प्रदूषण और धूलमिट्टी हमारी त्वचा को धूमिल, अस्वस्थ, रूखी और बेजान बना देती है. धूमिल व बेजान हो चुकी त्वचा की ऊपरी परत को हटा कर इसे दोबारा जवां और निखरी बनाने में माइक्रोडर्माऐब्रोजन के जरीए स्किन पौलिशिंग की प्रक्रिया बेहद कारगर साबित होती है. इस प्रक्रिया में त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने के लिए उस में छोटेछोटे क्रिस्टल डाले जाते हैं और उन्हें तकनीकी तरीके से बेहद सौम्यता से त्वचा पर घुमाया जाता है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो आप की त्वचा को ऐक्फोलिएट और पौलिश करती है और त्वचा की अशुद्धियां निकालने की प्राकृतिक क्षमता को बढ़ाती है. आमतौर पर इसे चेहरे, गरदन, पीठ और हाथों को खूबसूरत, मुलायम और दागरहित बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

औक्सीजन इन्फ्यूजन स्किन थेरैपी: औक्सीजन न सिर्फ हमारे जीवन बल्कि शरीर के सभी अंगों की जीवनरेखा होता है. रक्तसंचार के माध्यम से शरीर के सभी हिस्सों, जिस में त्वचा भी शामिल है, तक औक्सीजन पहुंचता है. यह त्वचा की रिपेयरिंग और नवीनीकरण प्रक्रिया को बढ़ाता है और उसे फ्री रैडिकल्स से मुक्त करने में सहायक होता है. पर्यावरण संबंधी कारणों जैसे कि यूवी रेडिएशन और प्रदूषण का हमारी त्वचा और इस के रिपेयर होने एवं नवीनीकरण की प्राकृतिक क्षमता पर असर पड़ता है. औक्सीजन इन्फ्यूजन थेरैपी में त्वचा के भीतर औक्सीजन की डोज दी जाती है, जिस से इस की रिपेयरिंग और नवीनीकरण की क्षमता बढ़ती है. परिणामस्वरूप त्वचा पर से झांइयां, दागधब्बे हटते हैं और यह जवां और निखरी हुई दिखती है. इस में माइक्रोनीडलिंग जैट का इस्तेमाल करते हुए, त्वचा की अंदरूनी परत में औक्सीजन की डोज दी जाती है. यह प्रक्रिया ठीक उसी तरह से काम करती है, जैसे त्वचा के ऊपर लगाया गया कोई नमी बढ़ाने वाला तत्त्व अथवा सीरम करता है.

ब्रोलिफ्ट: ब्रोलिफ्ट यानी भौंहों को तीखापन देने के लिए भी बोटोक्स का इस्तेमाल किया जाता है. बोटोक्स जब किसी मांसपेशी में लगाया जाता है, तब यह मांसपेशी को आराम पहुंचाता है और वहां की बारीक रेखाएं और झुर्रियां हटाता है. आईब्रोज का आकार ठीक करने के लिए जब इस का इस्तेमाल होता है तब डाक्टर उन मांसपेशियों में बोटोक्स लगाते हैं, जिन के चलते भौंहें नीचे की ओर झुकी होती हैं. इस से भौंहों को ऊपर खींचने वाली मांसपेशी फांटेलिस सही ढंग से काम करती है. इस प्रक्रिया में सिर्फ कुछ मिनटों का ही समय लगता है और बेहद आसानी से भौंहों को आर्च शेप दे कर चेहरे को आकर्षक बना दिया जाता है.

त्वचा की चमक के लिए फिलर्स: उम्र बढ़ने पर प्रतिदिन के काम और औफिस व परिवार की जिम्मेदारी निभाना काफी थका देने वाला होता है. साथ ही मौसम की मार, नींद पूरी न होने और खराब खानपान से भी त्वचा पर खराब असर पड़ता है. परिणामस्वरूप त्वचा अपनी प्राकृतिक चमक खो देती है और उस पर बारीक रेखाएं नजर आने लगती हैं. ह्यालुरौनिक ऐसिड बेस्ड फिलर जैसे कि जुवेडर्म रिफाइन का एक सैशन त्वचा की खोई रंगत और चमक लौटा सकता है. अगर त्वचा का उभार कम हो गया है, तो जुवेडर्म वौल्यूमा अपने हाइड्रेटिंग और फिलिंग ह्यालुरौनिक ऐसिड जैल के गुणों से इसे वापस जवां बना देता है. यह प्रक्रिया आंखों के नीचे से काले घेरे व बारीक लाइनें हटाने और आप के होंठों को दिलकश बनाने के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती है.

स्किन लाइटनिंग: स्किन लाइटनिंग के जरीए फ्रैश और ग्लोइंग लुक आसानी से मिल सकता है. त्वचा के प्रकार के अनुसार डाक्टर यह सुनिश्चित करता है कि स्किन लाइटिंग के लिए किस प्रकार की प्रक्रिया जैसे टौपिकल कौस्मैटिक, कैमिकल पील या लेजर का प्रयोग किया जाएगा. स्किन लाइटनिंग ट्रीटमैंट की शुरुआत से पहले उस के फायदे और साइट इफैक्ट की जानकारी भी ले लेनी जरूरी होती है. ऐडवांस स्किन लाइटिंग ट्रीटमैंट के लिए स्किन टाइप के अनुसार 5-6 सैशन की आवश्यकता होती है. ट्रीटमैंट के कुछ दिनों बाद ही आप को अपनी त्वचा हलकी और उजली नजर आने लगेगी. इस के साथ ही अगर किसी को ऐक्ने, ओपन पोर्स, झुर्रियों या फोटो डैमेज जैसी समस्या है, तो लाइनिंग इफैक्ट के कारण इस में काफी फायदा नजर आएगा. ऐडवांस लेजर में विभिन्न प्रकार के पील्स और कौमेलन ट्रीटमैंट का प्रयोग किया जाता है.

ऐंटीऐजिंग: ऐंटीऐजिंग थेरैपी ओवरऔल फिजिकल कंडीशन को इंपू्रव करती है. परिणामस्वरूप थकान कम महसूस होती है. चाल और पोस्चर में परिवर्तन आता है और कार्यक्षमता बढ़ती है. ऐंटीऐजिंग ट्रीटमैंट के अंतर्गत चेहरे और शरीर के कुछ लक्षणों जैसे फाइन लाइंस, झुर्रियां, ऐज स्पौट, अनईवन स्किन टोन आदि का उपचार किया जाता है.

इलैक्ट्रोलिसिस: इस विधि के जरीए अनचाहे बालों को पूरी तरह जड़ से निकाल दिया जाता है. इस में एक बहुत महीन इलैक्ट्रिक सूई को बालों के रोम में डाल देते हैं, जो बालों को जला कर बाहर निकाल देती है. यह प्रक्रिया महंगी है और इसे विशेषज्ञ से ही करवाएं. जरा सी गलती आप की त्वचा खराब कर सकती है.

लेजर तकनीक: अनचाहे बालों को लेजर द्वारा स्थाई तौर पर हटाया जा सकता है. इस में लगभग 7 से 8 सिटिंग्स लगती हैं. लेजर हेयर रिमूवल की प्रक्रिया में हेयर फौलिकल्स को स्थाई रूप से हटा दिया जाता है. हेयर फौलिकल या बालों की जड़ ही वह जगह होती है जहां से बाल दोबारा उग जाते हैं. यही कारण है कि शेविंग या वैक्सिंग के बाद दोबारा बाल आ जाते हैं. इस प्रक्रिया में हाई ऐनर्जी वाले लेजर का इस्तेमाल कर के हेयर फौलिकल्स को स्थाई रूप से खत्म कर दिया जाता है. ऐसे में बाल वापस नहीं आते हैं. यह प्रक्रिया कई सिटिंग्स में पूरी होती है.

अनचाहे बालों के लिए: अनचाहे बाल महिलाओं की एक आम समस्या हैं. इन को हटाने के तमाम उपाय किए जाते हैं, लेकिन ये दोबारा आ जाते हैं. अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए ऐसे उपाय अपनाने चाहिए, जिस से आप की त्वचा को भी कोई नुकसान न पहुंचे और आप की खूबसूरती भी बरकरार रहे. अनचाहे बालों को हटाने का एक बहुत ही लाभकारी और सब से ज्यादा इस्तेमाल में आने वाला तरीका है वैक्सिंग. वैक्सिंग से अनचाहे बाल पूरी तरह साफ हो जाते हैं और त्वचा मुलायम हो जाती है. चेहरे के बाल हटाने के लिए कटोरी वैक्सिंग की जाती है. वैक्सिंग के बाद बाल लंबे समय तक दोबारा नहीं आते, क्योंकि इस में बालों को त्वचा के अंदर से जड़ों से निकाला जाता है.     

-डा. रोहित बतरा, डर्मैटोलौजिस्ट, सर गंगाराम हौस्पिटल

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