अपने रिश्तेदारों, मौसी, मामी, चाची, भाभी, दीदी या फिर अपने पासपड़ोस की आंटियों के भड़कीले मेकअप को देख कर अकसर मुंह से निकल जाता है कि बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम. 65 साल की मौसी के होंठों पर गहरे लाल रंग की लिपस्टिक देख कर बरबस हंसी छूटना स्वाभाविक है.

थुलथुल बदन वाली मामीजी जब पैंसिल हील वाले सैंडल पहन कर इतराती हुई चलती हैं और बार बार गिरते गिरते बचती हैं, तो वह बड़ा ही दिलचस्प नजारा होता है. गहरी सांवली मोटी चाची को किसी पार्टी में पीले रंग की साड़ी में लिपटा देख कर भी हंसी छूट जाती है. कई मौकों पर उम्रदराज महिला रिश्तेदारों और पड़ोसिनों का पहनावा और मेकअप देख कर हंसी के साथ साथ शर्म भी महसूस होने लगती है.

दरअसल, ज्यादातर महिलाओं को यह पता ही नहीं चलता है कि उन के जीवन का वसंत काफी साल पहले गुजर गया है. बढ़ती और ढलती उम्र का उन्हें एहसास ही नहीं होता है या फिर यह भी हो सकता है कि वे अपनी उम्र और झुर्रियों को छिपाने के लिए चटकदार कपड़े पहनती और गहरा मेकअप करती हों.

मामला चाहे कुछ भी हो, लेकिन बढ़ती उम्र को मेकअप और रंगीन कपड़ों से ढकने की उन की तरहतरह की दिलचस्प कोशिशें उन्हें कई बार हंसी का पात्र बना देती हैं.

उम्र के साथ पहनावा जरूरी

ब्यूटी ऐक्सपर्ट सीमा कुमारी कहती हैं कि बढ़ती उम्र की महिलाओं को यह जान और मान लेना चाहिए कि वक्त के थपेड़ों को हरा कर वे हमेशा जवान नहीं रह सकती हैं. लेकिन उम्र के हिसाब से मेकअप और पहनावे के जरीए वे हमेशा स्मार्ट बनी रह सकती हैं. उस तरह के पहनावे से वे खुद भी रौयल महसूस करेंगी और उन के रिश्तेदार और दोस्त भी पार्टियों में उन का मजाक नहीं उड़ाएंगे. उम्र के साथ पहनावा बदलना जरूरी है.

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