ट्रीटमैंट अब केवल गरमियों तक ही सीमित नहीं रहा, सर्दियों में भी अब लोग स्किनकेयर और रिलैक्स महसूस करने के लिए स्पा ट्रीटमैंट लेने लगे हैं. स्पा ट्रीटमैंट मैट्रो सिटीज के अलावा छोटे शहरों में भी प्रचलन में आने लगा है. अलगअलग तरह के स्पा ट्रीटमैंट की कीमत अलगअलग होती है, इसलिए इस पर औसतन 3 से ले कर 5 हजार रुपए के बीच खर्चा आता है. गरमियों में जहां कूल लगने वाले स्पा ट्रीटमैंट ज्यादा कराए जाते हैं, वहीं सर्दियों में बौडी को वार्मअप करने वाले स्पा ट्रीटमैंट लिए जाते हैं.

स्पा ट्रीटमैंट के बारे में लखनऊ के अलकैमिस्ट ब्यूटी फिटनैस सैंटर की मैनेजर भारती शर्मा से लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, बातचीत के खास अंश:

स्पा ट्रीटमैंट की जरूरत क्यों होती है?

स्पा ट्रीटमैंट के जरीए डैड स्किन को भी हटाया जाता है. इस से झुर्रियां खत्म होती हैं. स्पा ट्रीटमैंट में बौडी के साथसाथ माइंड को भी रिलैक्स करने की कोशिश की जाती है. आज काम के घंटे लगातार बढ़ रहे हैं. इस से पूरे शरीर के साथ माइंड को भी रिलैक्स की जरूरत होती है. बड़ीबड़ी कंपनियों के कर्मचारी जब काम कर के थक जाते हैं, तो स्पा ट्रीटमैंट के जरीए वे अपनेआप को दोबारा रिचार्ज करते हैं, जिस से काम को एक बार फिर पूरी ताकत से कर सकें. इसी के चलते हर बड़े होटल में बौडी स्पा की व्यवस्था होती है. स्पा में अलगअलग तरह के ट्रीटमैंट होते हैं, जिन के जरीए कुछ बीमारियों का इलाज भी किया जाता है.

स्पा ट्रीटमैंट में क्या होता है?

स्पा ट्रीटमैंट में हैड टू टो ट्रीटमैंट किया जाता है. इस की शुरुआत हैड से करते हैं. सिर पर तेल डाल कर मसाज करते हुए रिलैक्स कराने की कोशिश की जाती है. मसाज के लिए ऐंटीओक्सीडैंट तेल का प्रयोग किया जाता है. बौडी के प्रैशर पौइंट पर दबाव डाल कर मसाज की जाती है. स्पा ट्रीटमैंट में सब से पहले बौडी को क्लीन किया जाता है. इस के बाद स्क्रबिंग की जाती है. इस में स्क्रबर लगा कर स्किन को रगड़ा जाता है, जिस से शरीर के ऊपर की मृत त्वचा को हटाया जा सके. तीसरी स्टेज बौडी मसाज की होती है. मसाज करने के लिए अपवर्ड स्ट्रोक, जिकजैक मसाज और सरकुलर मसाज का सहारा लिया जाता है. सब से बाद में बौडी पैक लगाया जाता है. इस के बाद बौडी को स्टीम बाथ दिया जाता है. अगर स्टीम बाथ की सुविधा नहीं है, तो टौवेल को गरम कर के उस से भी काम चलाया जा सकता है. इस में 2 से 3 घंटे का समय लगता है. स्पा टेबल बहुत ही कूल और शांत जगह पर होती है. यहां पर अरोमा आयल की खुशबू वाला दीया जलता है. कुछ लोगों को इस दौरान हलका म्यूजिक पसंद होता है, तो कुछ लोग पूरी तरह से बिना किसी आवाज के स्पा ट्रीटमैंट लेना पसंद करते हैं.

बौडी स्पा कितने तरह का होता है?

स्पा के कई तरीके हैं, जिस में सब से ज्यादा अरोमा स्पा प्रचलित है. इस के अलावा स्टोन थेरैपी, हाइड्रा स्पा, मडपैक थेरैपी और समुद्री नमक स्पा भी होते हैं. स्पा थेरैपी के दौरान शरीर के एक्यूप्रैशर पौइंट्स पर दबाव डाल कर बौडी को रिलैक्स करने की कोशिश की जाती है. हाइड्रा स्पा में बाथटब में पानी के प्रैशर का प्रयोग किया जाता है. समुद्री नमक स्पा में समुद्र से निकाले गए नमक से शरीर की मालिश की जाती है. कई तरह का मडपैक कई बीमारियों को दूर रखने में सहायक होता है. इसलिए कुछ लोग मडपैक स्पा के जरीए अपना ट्रीटमैंट कराते हैं. सीजन के अनुसार स्पा अलगअलग तरह का लिया जाता है. विंटर में चौकलेट स्पा और मिल्क क्रीम रोज स्पा का प्रयोग ज्यादा होता है. स्पाइस पोटली स्पा भी विंटर में कराया जाता है. इस में स्टोन आयल के साथ स्पा किया जाता है.

क्या स्पा ट्रीटमैंट भी स्किन के नेचर के हिसाब से कराया जाना चाहिए?

बिलकुल. अलगअलग तरह की स्किन के लिए अलगअलग तरह का स्पा ट्रीटमैंट किया जाता है. सामान्य तौर पर हमारी स्किन 4 तरह की होती है- आयली, ड्राई, नौर्मल और मिक्स. सब से ज्यादा देखभाल की जरूरत ड्राई स्किन को होती है. स्पा ट्रीटमैंट कराते समय यह जरूर देखना चाहिए कि यह किसी अच्छी जगह और जानकार हाथों के जरीए ही कराया जाए. वरना कई बार यह कई बीमारियां भी ले आता है.

किस ऐजग्रुप के लोग ज्यादा स्पा ट्रीटमैंट कराते हैं?

मिडिल ऐज के लोग ज्यादा स्पा ट्रीटमैंट कराते हैं. थोड़ा महंगा होने के कारण इस को कराने में लोग हिचकते हैं. हर 15 दिनों बाद या 1 माह में 1 बार स्पा ट्रीटमैंट लेना लाभदायक होता है. आज के समय में काम करने के तौरतरीके बदल गए हैं. इस का प्रभाव व्यक्ति की पूरी बौडी पर पड़ता है. इस से बौडी की नैचुरल नमी और चमक खो जाती है. स्पा ट्रीटमैंट के द्वारा इस को दोबारा पाया जा सकता है. स्पा ट्रीटमैंट कराने वाले को बौडी पौलिशिंग की जरूरत नहीं रह जाती है. समय के साथ इस का क्रेज बढ़ रहा है. 25 से 45 साल के बीच वाली उम्र की महिलाएं बौडी स्पा और बौडी ट्रीटमैंट के लिए ज्यादा आती हैं. उन को लगता है कि पार्टी और दूसरी जगहों में जाने पर उन की स्किन सब से चमकदार और टोनअप दिखे. वे बौडी पौलिशिंग कराने के बाद बहुत खुश हो कर जाती हैं. जब से प्राइवेट कंपनियों में नौकरी का चलन बढ़ा है, महिलाओं को ज्यादा नौकरियां मिलने लगी हैं. इस से एक कारपोरेट कल्चर आया है और बौडी पौलिशिंग जरूरत सी बन गई है. इस से कई बार स्किन संबंधी कई तरह की बीमारियां भी दूर हो जाती हैं.

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