उम्र के हर पड़ाव पर जिस तरह जिंदगी करवटें बदलती रहती है, वैसे ही हमारे रूपरंग में भी बदलाव आता रहता है. खासकर 16 से 26 और 26 से 30 की उम्र कब हो जाती है पता ही नहीं चलता. बढ़ती उम्र का अंदाजा तब होता है जब चेहरा उम्र की चुगली करने लगता है. इस के बाद शुरू हो जाता है बेचैनी का दौर. यह दौर महिलाओं के लिए सब से दुखद होता है, क्योंकि कोई भी महिला कभी भी अपनी उम्र से अधिक नहीं दिखना चाहती.

क्यों दिखते हैं लोग उम्रदराज

हाल ही में किए गए एक शोध से पता चला है कि बढ़ती उम्र के साथसाथ शरीर की कार्यक्षमता कम होने लगती है. जिस की वजह से शरीर के लिए जरूरी तत्त्व माइलिन में कमी आने लगती है और इंसान उम्रदराज दिखने लगता है. लेकिन जब खराब जीवनशैली के चलते कम उम्र में ही माइलिन में कमी आने लगे तो भी इंसान उम्रदराज दिखने लगता है. यहीं से शुरू होती है ऐजिंग की प्रौब्लम.

ऐजिंग साइन की पहचान

यह भ्रम है कि ऐजिंग साइन यानी मार्क्स या चिह्न 30 की उम्र पार करते ही चेहरे पर दिखने लगते हैं. त्वचा विशेषज्ञों की मानें तो सूर्य की तेज किरणें त्वचा को डैमेज कर देती हैं. ये डैमेजेज उम्र बढ़ने पर त्वचा पर काले धब्बों के रूप में उभर कर सामने आते हैं. ऐसे में अकसर महिलाएं बाजार में उपलब्ध तमाम सनस्क्रीन में से कोई खरीद कर इस्तेमाल करने लगती हैं. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि सनस्क्रीन लेते वक्त एसपीएफ के लैवल पर गौर करना चाहिए और उसे अपनी त्वचा की जरूरत के हिसाब से ही लेना चाहिए. वैसे ऐजिंग साइन स्किन में फाइबर्स की मात्रा बढ़ने से भी दिखाईर् देने लगते हैं. कई बार त्वचा के छिद्र इतने खुल जाते हैं कि उन में व्हाइट हैड्स और ब्लैक हैड्स पड़ जाते हैं. यह भी एक तरह से ऐजिंग साइन है. नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हौस्पिटल के कौस्मैटिक सर्जन डा. अनूप धीर कहते हैं कि उम्र के साथ ऐजिंग प्रौब्लम का होना आम बात है, लेकिन सही लाइफस्टाइल से खुद को ज्यादा उम्र का होने पर भी कम उम्र का दिखाया जा सकता है.

जानिए ऐसी डाइट के बारे में, जिस के इस्तेमाल से उम्रदराज दिखने पर नियंत्रण रखा जा सकता है.

ऐंटी ऐजिंग डाइट

टमाटर और तरबूज में लाइकोपेन होता है, जो फ्री रैडिकल्स को न्यूट्रिलाइज करता है और त्वचा को कैंसर से बचाता है.

लहसुन और प्याज भी ऐजिंग प्रौब्लम को दूर करने के मजबूत हथियार हैं. ये शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाते हैं.

स्प्राउट्स और हरी सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें. खासकर बंदगोभी और फूलगोभी में ऐंटीऔक्सीडैंट्स मौजूद होते हैं, जो त्वचा कैंसर से बचाते हैं.

चाय और डार्क चौकलेट में भी ऐंटीऔक्सीडैंट्स होते हैं, जो शरीर को फिट रखते हैं.

अधिक से अधिक पानी का सेवन भी बहुत जरूरी है. दिन भर में कम से कम 6 से 8 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए. पानी से त्वचा में नमी बनी रहती है.

शहद, लैमन औैर ग्रीन टी के नियमित सेवन से बौडी का ऐक्स्ट्रा फैट कम होता है.

अपने आहार में विटामिन सी का प्रयोग करें. इस से स्किन यंगर लगती है. सभी तरह के ड्राईफ्रूट्स और साइट्रिक फ्रूट्स जैसे मौसंबी और संतरे में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है.

डाइट में शुगर और साल्ट दोनों की संतुलित मात्रा होनी चाहिए ताकि ब्लडप्रैशर कंट्रोल में रहे. दरअसल, नमक के अधिक सेवन से युरिन आउटपुट रुक जाता है और शरीर में पानी इकट्ठा होने लगता है.

लाइफस्टाइल सुधारें

असंतुलित खानपान

ऐजिंग प्रौब्लम में सब से बड़ा हाथ असंतुलित खानपान का होता है, क्योंकि अब लोग हरी सब्जियों या फलों की जगह फास्ट फूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं. ऐसे में वे स्वाद के चक्कर में सेहत को भूल जाते हैं. इस बाबत डाइटीशियन डाक्टर चारू का कहना है कि जंक फूड के ज्यादा सेवन से शरीर में पोषक तत्त्वों को ग्रहण करने की क्षमता नहीं रहती और शरीर फैट ज्यादा कंज्यूम करने लगता है, जिस से बौडी बैलेंस खत्म हो जाता है. इस के लिए खाने में सलाद और हरी सब्जियों को शामिल करना चाहिए. इस से शरीर में माइक्रोन्यूट्रैंट बढ़ते हैं, जो त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद हैं. व्यायाम की कमी: शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम जरूरी है. व्यायाम करने से रक्तसंचार सही रहता है, जिस से त्वचा में चमक आ जाती है साथ ही शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्त्व भी पसीने के जरीए बाहर निकल जाते हैं.

अधूरी नींद

आज की फास्ट ट्रैक लाइफ में लोग सब से पहले अपनी नींद से समझौता कर लेते हैं. लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि अधूरी नींद डार्क सर्कल्स को न्योता देती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अधूरी नींद से शरीर में पीएच बैलेंस्ड नहीं रहता और गंदे ऐंजाइम्स शरीर में ही स्टोर रह जाते हैं. कुछ कौस्मैटोलौजिस्ट का यह भी कहना है कि सोते वक्त हमारी आंखों के आसपास मौइश्चराइजर बनता है, जो डार्क सर्कल्स को बनने से रोकता है. लेकिन अधूरी नींद के कारण यह मौइश्चराइजर नहीं बन पाता तो आंखों के नीचे काले घेरे बनने लगते हैं.

तनाव

तनाव की वजह से शरीर में स्टै्रस हारमोंस बढ़ जाते हैं जिन की वजह से चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं.

पानी की कमी

ऐजिंग की समस्या को रोकने पानी बहुत सहायक है, लेकिन अगर इस के सेवन में असावधानी बरती जाए तो शरीर से डीटौक्सिफिकेशन होना बंद हो जाता है, जिस से त्वचा सांस लेना बंद कर देती है. शरीर में पानी की संतुलित मात्रा जाती रहे, इस के लिए पानी के अलावा ग्रीन टी, नीबू पानी, मिंट वाटर और कोकोनट वाटर पीते रहना चाहिए.

डाइटीशियन डाक्टर चारू बताती हैं कि कम फैट वाले व फाइबर से भरपूर फूड ऐंटीऔक्सीडैंट्स के स्रोत होते हैं. वे औक्सीडेशन या ऐजिंग की उस प्रक्रिया को रोक देते हैं, जो फ्री रैडिकल्स के कारण होती है. इसलिए डाइट वैसी ही लेनी चाहिए, जो इन खूबियों से भरपूर हो.

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