गरमियों का मौसम यानी छुट्टियों और मौजमस्ती का मौसम. उस में बीच पर मस्ती, फैशनेबल कपड़े और ट्रैंडी लुक, ये सब मिल कर आप की छुट्टियों को यादगार बना देते हैं, लेकिन समुद्र की लहरों के साथ देर तक खेलने का रोमांच और बीच पर किसी खूबसूरत शेड के नीचे रिलैक्स करने का आनंद तब सदमा पहुंचाता है, जब छुट्टियों के बाद सूरज की किरणों में लंबा समय बिताने के कारण शरीर पर जगहजगह डार्क पैचेज और टैन नजर आने लगता है. इस से न केवल गरमियों में स्लीवलेस, बैकलेस या फिर शौर्ट्स पहनने का मजा छिन जाता है, बल्कि दोबारा ऐसे ट्रिप में जाने का डर भी मन में समा जाता है.

आमतौर पर हर महिला अपनी रंगत और त्वचा को दागधब्बे रहित बनाए रखने के लिए काफी सावधानी बरतती है, लेकिन धूप में ज्यादा समय व्यतीत करने या इस तरह के ट्रिप के बाद आप की सारी मेहनत बेकार हो जाती है. त्वचा की गहरी रंगत या काले धब्बों के परिणामस्वरूप आप बीच या वाटर पार्क में मौजमस्ती का खयाल भी अपने मन से निकाल देती हैं. लेकिन अब आप को त्वचा पर पड़ने वाली सूर्य की घातक किरणों के असर के लिए चिंतित होने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि समुद्र किनारे मौजमस्ती के दौरान कुछ सावधानियों के साथ टैन को कम करने के कुछ उपाय अपना कर आप अगले साल बीच हौलीडेज पर जाने की तैयारी में जुट सकती हैं.

बरतें सावधानियां

सूरज की किरणों के संपर्क में आने से पहले सनस्क्रीन से अपनी त्वचा को सुरक्षा कवच तो दें पर इस के पहले यह जरूर जान लें कि आप के लिए कैसी सनस्क्रीन उचित रहेगी: 

सनस्क्रीन चुनाव: सनस्क्रीन और उस के महत्त्व के बारे में हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप यह जानती हैं कि यूवीए और यूवीबी युक्त सनस्क्रीन प्रोटैक्शन के लिए सब से बेहतर होते हैं? सनस्क्रीन लेते वक्त उस पर लिखे तत्त्वों की सूची जरूर पढ़ें. विस्तृत सूची वाले सनस्क्रीन टैनिंग से बचाने के साथसाथ कई अन्य चीजों से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं.

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इस्तेमाल: सनस्क्रीन का उचित रूप से प्रयोग भी आप को सन टैन से बचाता है. धूप में निकलने से कम से कम आधा घंटा पहले इसे त्वचा पर लगाएं. यह लगभग 2 घंटे तक आप की त्वचा को सुरक्षा प्रदान करता है. लेकिन हर 2 घंटे पर सनस्क्रीन लगाना जरूरी होता है.

क्या आप जानती हैं

एसपीएफ 20 और 90 में सुरक्षा के मामले में केवल 5% का अंतर है. भारतीय जलवायु के अनुसार एसपीएफ 20 यहां के लोगों की त्वचा की रक्षा के लिए पर्याप्त माना जाता है.

यूवीए कंपोनैंट्स सन टैन से प्रोटैक्ट करते हैं जबकि स्किन कैंसर से यूवीबी युक्त कंपोनैंट्स बचाते हैं. हालांकि भारतीय परिदृश्य में एसपीएफ (जो यूवीबी पैमाने वाला हो) पर्याप्त है.

यूवीए का पैमाना यूवीए रेटिंग द्वारा तय किया जाता है. 4 या 5 बूट स्टार रेटिंग टैन कंट्रोल के लिए पर्याप्त होती है. जैसे सनक्रौस यूवीए सनस्क्रीन जैल, ऐक्ने, यूवी जैल, फोटोस्टेबल सनस्क्रीन, फेसगार्ड सनस्क्रीन आदि.

जिन लोगों की त्वचा औयली और ऐक्ने प्रोन होती है, उन्हें जैल आधारित सनस्क्रीन जबकि रूखी त्वचा वालों को क्रीम या लोशन बेस्ड सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए. जैसे ऐंसोलर 60 सनस्क्रीन लोशन, रिवेला सनस्क्रीन और सनग्रेस टोटर सनस्क्रीन लोशन.

स्पोर्ट्स पर्सन द्वारा प्रयोग किए जाने वाले सनस्क्रीन में ज्यादा फिजिकल बैरियर्स होते हैं. जैसे जिंक औक्साइड जो आमतौर पर क्रिकेट मैच के दौरान खिलाडि़यों के चेहरे पर लगा नजर आता है. कुछ और सनस्क्रीन्स के नाम हैं, सनक्रौस सौफ्ट सनस्क्रीन क्रीम, मैट फिनिश वाला ला शील्ड सनस्क्रीन और टिंट इफैक्ट वाला रिवेला टिंट सनस्क्रीन.

टैन दूर करने के उपाय

अगर टैन ज्यादा खतरनाक स्थिति में आ जाता है तब उस का ट्रीटमैंट करवाने की जरूरत पड़ सकती है. इस के लिए माइक्रोडर्मब्रोशन, सुपरफेशियल कैमिकल पील्स और विभिन्न लेजर थेरैपी द्वारा ट्रीटमैंट किया जाता है, जिस से त्वचा निखरी और मुलायम नजर आती है. इस के अलावा विभिन्न प्रकार के क्रीम और सीरम्स के कौंबिनेशन भी टैन को रिमूव करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं.

आइए अब जानें कुछ खास उपायों के बारे में:

कैमिकल पील्स

यह एक ऐक्सफोलिएटिंग प्रक्रिया है, जो त्वचा की बेजान परत को हटाने का काम करती है. 2-3 सिटिंग्स के बाद आप की त्वचा की हलकी परत दिखने लग जाती है. यह प्रक्रिया बेहद आसान होती है और इस के लिए आप को सिर्फ 15-20 मिनटों के लिए त्वचा रोग विशेषज्ञ के पास जाना पड़ता है. हालांकि आप को इस की कितनी सिटिंग की जरूरत है, यह बात त्वचा पर हुई टैनिंग पर निर्भर करती है. इस प्रक्रिया में त्वचा की ऊपरी परत को ऐक्सफोलिएट करने के लिए एक कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है.

पील का इस्तेमाल

कौंप्लैक्शन यानी त्वचा की रंगत ठीक करने के लिए आमतौर पर ग्लायकोलिक पील, विट सी पील और लैक्टिक पील का इस्तेमाल किया जाता है. प्रक्रिया खत्म होने के बाद त्वचा पर टैनिंग का कोई भी निशान नहीं छूटता और आप की त्वचा तरोताजा और चमकदार हो जाती है. कैमिकल पील्स के बाद त्वचा को सन ऐक्सपोजर से प्रोटैक्शन देने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस प्रक्रिया के बाद त्वचा थोड़ी सैंसिटिव हो जाती है. इस के लिए ब्रौड स्पैक्ट्रम के साथ कम से कम 30 एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का प्रयोग करें. साथ ही नियमित रूप से त्वचा में मौइश्चराइजर लगाएं, क्योंकि कैमिकल पील के बाद त्वचा को अतिरिक्त मौइश्चराइजर की आवश्यकता होती है.

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औक्सीजन फेशियल

इस प्रक्रिया में मैडिकल ग्रेड औक्सीजन का इस्तेमाल होता है. इस के तहत तेज दबाव के साथ कंप्रैस्ड औक्सीजन को पूरे चेहरे पर फैलाया जाता है. लेकिन इस से पहले औक्सीजन को विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्वों, विटामिंस और हाइड्रेटर्स से भरपूर बनाया जाता है जोकि त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. इस के बाद हाई प्रैशर जैट से चेहरे पर औक्सीजन दिया जाता है. इस से औक्सीजन और पोषण का यह संयोजन बाहरी त्वचा के निचले हिस्से तक पहुंचता है. यह मिक्सचर त्वचा की कोशिकाओं की नवीनीकरण प्रक्रिया को तेज करता है और कोलेजन का उत्पादन बढ़ाता है जोकि त्वचा की कोशिकाओं को दुरुस्त रखने और उन के विकास में मददगार होता है.

माइक्रोडर्मब्रोशन

इस में मैकैनिकल ऐक्सफोलिएशन का प्रयोग कर कौर्नियम परत और डैड स्किन सैल्स को त्वचा से रिमूव किया जाता है. इस के बाद त्वचा पर नए और स्वस्थ स्किन सैल्स आते हैं जिस से त्वचा फ्रैश और ग्लोइंग नजर आती है. केवल एक ट्रीटमैंट के बाद त्वचा की स्मूदनैस को महसूस किया जा सकता है.

मैडी फेशियल प्रोसिजर

मैडी फेशियल प्रोसिजर में त्वचा को नमी देने के लिए कैमिकल पील्स और लेजर दोनों का इस्तेमाल किया जाता है, जिस से त्वचा निखरी और जवां बन जाती है. आजकल कई तरह के मैडी फेशियल उपलब्ध हैं, जो त्वचा की जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किए जाते हैं ताकि आप को मुंहासों, टैन, रूखेपन और दागधब्बों से नजात मिल सके. ये फेशियल कोलेजन बनने में मदद करते हैं, जिस से नई कोशिकाओं का विकास होता है और त्वचा चमकदार बनती है. इस फेशियल में 1 घंटे का समय लगता है और इस से मिलने वाली चमक लाजवाब होती है.

लेजर

अनईवेन स्किन टोन को लेजर थेरैपी द्वारा खूबसूरत बनाया जाता है. सामान्यतया यह दूसरे हाइपरपिग्मैंटेशन ट्रीटमैंट के समान ही काम करता है, जिस में त्वचा की बाहरी परत के डैड और ड्राई सैल्स को रिमूव कर के त्वचा की रंगत एकसमान करता है. इस थेरैपी का सब से बड़ा फायदा यह है कि प्रभावित क्षेत्र पर गहरा असर दिखाता है. डर्मैटोलौजिस्ट विभिन्न प्रकार की लेजर थेरैपी का प्रयोग करते हैं.

घरेलू उपाय

टैन रिमूव करने के कुछ घरेलू उपाय भी हैं:

मोनालिसा बाथ: मोनालिसा बाथ यानी दही से स्नान. दही में लैक्टिक ऐसिड पाया जाता है. अगर हफ्ते में 2 बार इस से स्नान किया जाए तो यह टैन को साफ कर देता है.

गहरे दाग: अगर टैनिंग बहुत ज्यादा और गहरी है, तो आप गैप फेस फेयरनैस या इंस्टा व्हाइटनिंग कौकटेल ट्रीटमैंट ले सकती हैं. यह न केवल आप की त्वचा को टैन मुक्त बनाएगा, बल्कि आप की त्वचा दमकने लगेगी.

आलू: आलू भी ऐंटी टैन सब्जी माना जाता है. आलू को मिक्सी में पीस लें और चेहरे व माथे के प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं. 15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो दें. बेहतर परिणाम के लिए ऐसा प्रतिदिन करें.

दही और बेसन: आवश्यक मात्रा में बेसन, नीबू का रस और दही मिल लें. इस पेस्ट को माथे गरदन और चेहरे पर लगाएं. 15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें.

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स्क्रब: गरदन की टैन हटाने के लिए घर पर ही स्क्रब तैयार करें. इस के लिए नीबू, चीनी और तेल को मिला कर पेस्ट बनाएं और गरदन पर धीरेधीरे मलें.               

– डा. रोहित बत्रा , सर गंगाराम हौस्पिटल

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