कोई भी महिला नहीं चाहती कि उसके चेहरे , शरीर पर बाल आए. लेकिन हमारा खानपान , शरीर में हो रहे बदलाव व होर्मोन्स का संतुलन बिगड़ने की वजह से हाथपैरों, चेहरे पर अनचाहे बाल आ जाते हैं. जो न तो दिखने में अच्छे लगते हैं और साथ ही हमारे कोन्फिडेन्स को भी कम करने का काम करते हैं. लेकिन आज इन सब चीजों के लिए हमारे सामने अनेक ओप्शन्स उपलब्ध हैं. लेकिन सवाल यह है कि हेयर रिमूवल के ढेरों ओपशंस होने के बावजूद उनसे जुड़े अनेक मिथ्स हैं , जो हमें उन ओपशंस को चूज करने के लिए मन में अनेक तरह के डाउट पैदा करने का पर मजबूर करते हैं. लेकिन हम आपको हेयर रिमूवल से जुड़े सभी फैक्ट्स के बारे में बताते हैं , जिससे आपके मन में उनसे जुड़े मिथ नहीं रहेंगे.

1. मिथ अबाउट हेयर रिमूवल क्रीम 

इन दिनों हेयर रिमूवल क्रीम काफी डिमांड में है. क्योंकि वायरस के कारण बढ़ते केसेज  के कारण घर से बाहर निकलना सेफ जो नहीं है. और दूसरे इजी तो अप्लाई एंड रिमूव हेयर्स भी है. लेकिन अधिकांश लड़कियां व महिलाएं इसे इस्तेमाल करने से इसलिए कतराती हैं कि इसे अप्लाई करने से स्किन पर एलर्जी, रेडनेस होने के साथसाथ स्किन काली भी पड़ जाती है. और इसे अप्लाई करने के बाद जब दोबारा से हेयर ग्रोथ आती है तो वो काफी जल्दी, ज्यादा व हार्ड ग्रोथ होती है. इस चक्कर में हेयर रिमूवल क्रीम्स का इस्तेमाल कम ही किया जाता है.

फैक्ट आपको बता दें कि ये क्रीम्स डर्मेटोलॉजिस्ट टेस्टेड होती हैं. इसलिए ये स्किन पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है. लेकिन अगर आपकी स्किन पर एलर्जी हुई हुई है और आप उस पर इसे अप्लाई करती हैं तब ही ये आपकी स्किन पर एलर्जी करेगा. इसमें हेयर ग्रोथ भी जड़ से निकलने के कारण लंबे समय तक नहीं आती है. क्योंकि ये केराटिन प्रोटीन को ब्रेक कर जड़ से बालों को निकालने का काम जो करता है. अगर आप क्रीम की जगह रिमूवल क्रीम स्ट्रिप यूज़ करती हैं तो उसके छोटेछोटे पैचेज इस्तेमाल करने पर न तो आपकी स्किन रेड होगी और न ही किसी भी तरह की इर्रिटेशन. बस जब भी इस्तेमाल करें तो उसकी थोड़ी थोड़ी क्वांटिटी लें, साथ ही एक्सपायरी देख कर ही प्रोडक्ट को इस्तेमाल करें. प्रोडक्ट को जितनी देर स्किन पर लगाने के लिए बोला है, उतनी देर ही लगाएं, इससे  स्किन सेफ रहेगी. आप 20 – 25 दिन में दोबारा इसका इस्तेमाल कर सकते हैं , ये आपकी स्किन पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा. ये हर स्किन टाइप को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जाता है.

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2. मिथ अबाउट वैक्सिंग 

आप जब भी ब्यूटी एक्सपर्ट के पास वैक्सिंग करवाने के लिए जाते हैं , तो वे आपको वैक्सिंग से ही हेयर रिमूव करवाने की सलाह देते  हैं. लेकिन आप अंदर ही अंदर यही सोचती हैं कि इससे काफी दर्द होने के साथसाथ स्किन जल भी सकती है. साथ ही ग्रोथ भी ठीक नहीं आती है.

फैक्ट वैक्सिंग हेयर रिमूवल का बहुत ही सेफ तरीका है. क्योंकि इससे स्किन को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. आजकल मार्केट में एक से बढ़ कर एक वैक्सिंग प्रोडक्ट्स हैं. जैसे बिकिनी वैक्स, रीका वैक्स, एवोकाडो वैक्स, चॉकलेट वैक्स, मिल्क वैक्स  आदि. इसमें आलमंड आयल, ग्लिसरीन, विटामिन्स व ओलिव आयल जैसी प्रोपर्टीज भी होने के काऱण ये स्किन को ठंडक पहुंचाने के साथसाथ स्किन पर सूजन व उसे लाल पड़ने से रोकने का काम करते हैं. वैक्सिंग स्किन को तभी जलाती है जब उसके टेम्परेचर का ध्यान नहीं रखा जाता है. आजकल ऐसे हीटर उपलब्ध हैं , जिसमें ओटो कट की सुविधा होने के कारण वे उसे उतना ही गरम करते हैं , जितनी जरूरत होती है. इसलिए जलने का डर नहीं. साथ ही अगर आप इसे रेगुलर करवाते हैं तो धीरेधीरे इससे हेयर ग्रोथ कम होती जाती है. क्योंकि ये जड़ से बालों को निकालती है, जिससे अगली बार बाल धीरे व पतले आते हैं. अगर इसमें छोटीछोटी स्ट्रिप लेकर वैक्स की जाती है तो ये स्किन पर जरा भी दर्द नहीं करती है. बस इसमें खास तौर से टेक्निक का ध्यान रखने की जरूरत होती है.

3. मिथ अबाउट लेज़र ट्रीटमेंट 

बहुत सी महिलाओं के चेहरे व शरीर पर अनचाहे बाल उग आते हैं , जिनके लिए कभी वे हेयर रिमूवल क्रीम का इस्तेमाल करती हैं तो कभी रेज़र का तो कभी हेयर रिमूवल क्रीम का. लेकिन जब वे रोजरोज इनका सहारा लेलेकर थक जाती हैं तो लेज़र हेयर रिमूवर से परमानेंट हेयर रिमूव के बारे में सोचती हैं. लेकिन इस बात को लेकर उनके मन में ये मिथ है कि इस तकनीक में रेज़र का इस्तेमाल करने के कारण शेविंग जैसे बाल आते हैं, स्किन टेन हो जाती है, काफी दर्द होता है और इसमें बारबार ट्रीटमेंट लेने की जरूरत होती है.

फैक्ट  ये ऐसा ट्रीटमेंट है , जो सेफ होने के साथसाथ आपको अनचाहे बालों से हमेशा के लिए छुटकारा दिलवाने का काम करता है. इस ट्रीटमेंट में थोड़ा वक्त व ज्यादा सिटिंग्स इस बात पर निर्भर करती हैं कि किसी के बालों की ग्रोथ ज्यादा व हार्ड  होती है. इसमें लाइट की तेज किरणों को प्रभावित हिस्सों पर ड़ालकर फोलिकल्स को नष्ट करने की कोशिश की जाती है. जबकि ये फोलिकल्स धूप से स्किन को बचाने का काम करते हैं , इसलिए इस ट्रीटमेंट को करवाने के बाद स्किन को ठंडा रखने व कुछ घंटों धूप से बचाने को कहा जाता है. अगर इस बात का ध्यान नहीं रखा जाता तभी पिगमेंटेशन की शिकायत होती है. इसमें 8 – 9 सिटिंग दी जाती  है, लेकिन अगर हॉर्मोन्स का संतुलन ज्यादा ख़राब होता है तो सिटिंग्स उस पर निर्भर करती है. लेकिन रिजल्ट काफी अच्छे व लौंग लास्टिंग मिलते है. अगर ये काम एक्सपर्ट्स से करवाया जाता है तो रिजल्ट अच्छे मिलने के साथसाथ पैन, स्किन रेड होने , स्किन पिग्मेंट होने के चांसेस काफी कम हो जाते हैं.

रोल ओन वैक्स 

आजकल हाइजीन का खासतौर पर ध्यान रखना बहुत जरूरी हो गया है. ऐसे में चाहे आप ब्यूटी एक्सपर्ट के पास जाकर वैक्स करवाएं या फिर उन्हें घर बुलाकर , लेकिन आप आजकल डिमांड में रहने वाली रोल ओन वैक्स या कार्ट्रिज वैक्स के ओप्शन को ही चूज करें. क्योंकि ये क्रॉस संदूषण की किसी भी संभावना को कम करता है. जो वैक्स हीटर में बारबार स्पैटुला को डालने के कारण होती है. ये इजी टू अप्लाई होने के साथ आप इसमें अपनी पसंद की वैक्स भी डाल सकते हैं. इसे अपने साथ कैरी करना भी काफी आसान है. लेकिन इसमें भी आपको अपनी स्किन को उसी तरह तैयार करना होता है जैसे नार्मल वैक्सिंग में किया जाता है. यकीन मानिए मिनटों में वैक्सिंग होने के साथसाथ आपकी सेफ्टी भी नजरअंदाज नहीं होती है.

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वैक्सिंग के बाद ड्राईनेस क्यों 

अकसर हम सबकी ये शिकायत होती है कि वैक्सिंग करने के बाद हमारी स्किन ड्राई हो जाती है. हम इसे वैक्सिंग का साइडइफ़ेक्ट मानने लगते हैं.  ऐसा अकसर ड्राई स्किन वालों के साथ ज्यादा होता है. इसका कारण यह है कि एक तो स्किन का मोइस्चर पहले से ही खत्म हो गया है और दूसरा ऐसी स्किन पर जब इंग्रीडिएंट्स को ध्यान में नहीं रखकर वैक्सिंग का इस्तेमाल किया जाता है तो स्किन की डॉयनेस और बढ़ जाती है. इसलिए जिन लोगों को डॉयनेस की प्रोब्लम है उन्हें अवोकेडो बटर वैक्स, कोकोनट वैक्स, ओलिव आयल व मिल्क रिच वैक्स, मिल्क वैक्स इत्यादि का इस्तेमाल करना चाहिए . साथ ही वैक्सिंग के बाद स्किन को मॉइस्चराइज़ जरूर करें. इससे वैक्सिंग के बाद आपकी स्किन में डॉयनेस की प्रोब्लम नहीं आएगी.

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