कोरोना कोरोना कोरोना सारी दुनियां में यही एक आवाज सुनाई दे रही है. कोरोना के कारण भारत में भी 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया जा चुका है. पूरे देश के सभी नागरिकों को इस लॉकडाउन की अवधि में किसी भी हालत में घर से बाहर निकलने की परमीशन नहीं है अर्थात् बच्चे बड़े सभी घरों में कैद. यही नहीं घरों से सभी कामवालों को भी हटाया जा चुका है. भले ही कोरोना सभी पर कहर बनकर बरपा हो, भले ही घरों में रहना हमें जेल में रहना प्रतीत हो रहा हो परंतु अप्रत्यक्ष रूप से इस दौरान बहुत सारे अनावश्यक खर्चे जो हमारे बजट को गड़बड़ा देते थे उन्हें हम बचा रहे हैं, और बची हुई धनराशि निस्संदेह भविष्य में हमारे ही काम आएगी. आइए एक नजर डालते हैं उन मदों पर जिन्हें न करके हम उन पर खर्च होने वाली धनराशि को बचा रहे हैं-

1. होटलिंग

पिछले कुछ वर्षों से होटलिंग अर्थात् होटल और रेस्तरां में खाना खाना एक फैशन ही नहीं बल्कि स्टेटस सिंबल भी बन गया है. बर्थडे, एनीवर्सरी, या अन्य किसी भी छोटे या बड़े खुशी के अवसर को मनाने का एक ही तरीका था सज धजकर होटल जाना और वहां चंद दोस्तों या परिवार वालों के साथ खुशी को सेलीब्रेट करना. 10-12 लोंगों की छोटी सी पार्टी का औसत खर्च 3000-3500 हजार से कम नहीं होता. इस समय वह खर्च पूरी तरह बंद है जो करना है घर में ही अपने ही परिवार के साथ सीमित संसाधनों में ही करना है. महिलाओं की किटी पार्टियों ने भी आजकल घर की जगह होटल का ही रुख कर लिया है. इसके अतिरिक्त जब भी परिवार के सदस्यों का घर का खाना खाने का मूड नहीं होता, बाहर का खाना आर्डर कर दिया जाता है. जोमेटो, स्विगी, उबर, डोमिनोज और पिज्जा हट जैसी कंपनियों की होम डिलीवरी ने इसे और भी आसान बना दिया था. परंतु लॉकडाउन के कारण अब यह सब पूरी तरह बंद है जिससे अनावश्यक खर्चोें मेें बहुत कमी आयी है.

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