मेरे दोस्त और टीवी धारावाहिक लेखक राजेश पटेल उर्फ़ राजूभाई जो कि मुंबई में रहते हैं ने सोशल मीडिया में लिखा है,‘कल मोदीजी ने 21 दिन का लॉक आउट जाहिर किया और प्रजा ने किराने की दुकान में ऐसी भयंकर भीड़ जमा दी की रविवार से जो अलगाव और सुरक्षा मेन्टेन हुआ था वो मिनटों में हवा हो गया. कल रात साढ़े नव बजे मेरे स्थानिक किरानेवाले की दूकान के दो बाय दस के पैसेज में मेला लगा था मेला ! और यह वो लोग नहीं थे जिनके घर अकाल पड़ा है ! यह आप और मेरे जैसे इतने समझदार लोग है जो जानते है की आठ दिन खाए बिना भी रहा जा सकता है ...

क्यों ऐसा कर रहे है लोग ?

मुझे शक्कर चाहिए थी जो आज सुबह उसी किराने वाले की दूकान से मैं ले आया – एक भी ग्राहक नहीं था उस वक्त !

क्यों बौखला जाते है लोग ?

कल मोदीजी ने तो ऐसा नहीं कहा था की जाओ भागो दूकान पर - !

मोदीजी ने तो यह कहा था की रात को बारा बजे से 21 दिन का लोक आउट ...

यह स्पष्ट करना मोदीजी ने जरुरी नहीं समझा की जिवनावश्यक चीजो की, दूध और सब्जी की दूकान खुली रहेगी ..’

कल यह और इस जैसे पचासों दृश्य अकेले मुंबई में ही देखने को नहीं मिले,दिल्ली में भी यही सब देखने को मिला है...और दिल्ली ,मुंबई की ही क्यों कहें,कल पूरे देश में यही दृश्य देखा गया.क्यों ? वही बात यानी जिसे न करने के लिए मोदी जी कह रहे थे,वही कर बैठे - पैनिक.लेकिन इस लॉक डाउन से अकेले पैनिक ही नहीं हुआ और भी तमाम ब्लंडर हुए हैं,जिन्हें समय रहते सुधारा न गया तो यह लॉक डाउन कोरोना के विरुद्ध जंग के लिए तो पर्याप्त साबित होगा ही नहीं,कई दूसरी बड़ी समस्याएं भी पैदा कर देगा,जिनका न केवल हमें खामियाजा भुगतना पड़ेगा बल्कि डब्लूएचओ भी निराश होगा जो कोरोना जंग में हिन्दुस्तान की तरफ बहुत उम्मीदों से देख रहा है.

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