मैंने बर्तन धोते धोते टाइम देखा , एक घंटा हो गया था , मुझे बर्तन धोते हुए. मुझे अचानक नीतू की पायल की आवाज सुनाई दी, मैं डर गया, आजकल उसकी पायल की आवाज से मैं पहले की तरह रोमांस से नहीं भर उठता , डर लगता है कि कोई काम बताने ही आयी होगी , हुआ भी वही , मुझे उन्ही प्यार भरी नजरों से देखा जिनसे मुझे आजकल डर लगता है , बोली ,'' सुनो , जरा.''
ये वही दो शब्द हैं जिनसे आजकल मैं वैसे ही घबरा जाता हूँ , जैसे एक आदमी ,''मित्रों '' सुनकर डर जाता है.
'' बर्तन धोकर जरा थोड़ी सी भिंडी काट दोगे?''
मेरे जवाब देने से पहले नीतू ने मेरे गाल पर किस कर दिया , मझे यह किस आज कांटे की तरह चुभा , बोली ,'' काट दोगे न ?''
मैंने हाँ में सर हिला दिया. बर्तन धोकर भिंडी देखी , ये थोड़ी सी भिंडी है ? एक किलो होगी यह !फिर आयी , चार प्याज और लहसुन भी रख गयी , ‘जरा ये भी’, ये इसका ‘जरा’ है न , ‘मित्रों’ जितना खतरनाक है. कौन सी मनहूस घडी थी जब कोरोना के चलते घर में बंद होना पड़ा , घर के कामों और , दोनों बच्चों की धमाचौकड़ी को हैंडल करती नीतू को मैंने प्यार से तसल्ली दी थी , डरो मत , नीतू , मैं हूँ न ,घर पर ही तो रहूँगा अब , मिलकर काम कर लेंगें , बच्चे तो छोटे हैं , वे तो तुम्हारी हेल्प कर नहीं पायेंगें , तुम्हे जो भी हेल्प चाहिए हो , मुझे बताना ,''कहकर मैंने मौके का फ़ायदा उठाकर उसे बाहों में भर लिया था , पर मुझे उस टाइम यह नहीं पता था कि मैंने अपने पैरों पर कितनी बड़ी कुल्हाड़ी मार ली है.कोरोना के चलते मेरी आँखों के सामने हर समय छाया रोमांस का पर्दा हट गया है , मुझे समझ आ गया है कि सेल्स का आदमी होने के बाद भी जैसी बातें करके काम निकलवाना नीतू को आता है , मैं तो कहीं भी नहीं ठहरता उसके आगे. बंदी घर में रहती है , पर सारे गुण हैं इसमें.और यह जो इसकी भोली शकल देखकर मैं दस सालों से इस पर कुर्बान होता रहा हूँ , यह बिलकुल भी नहीं इतनी सीधी.
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