जैसे एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम यानी एआईडीएस (एड्स) फैलाने वाले एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस को खत्म नहीं किया जा सका है वैसे ही, शायद, कोविड-19 बीमारी फैलाने वाले नोवल कोरोनावायरस को दुनिया से सफाचट नहीं किया जा सकता. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह वायरस फैलता तो तेजी से है लेकिन इसके चलते होने वाली मृत्युदर बहुत कम है, 2 फीसदी तक. दरअसल, यह वायरस बहुत ही कमजोर है.

1. बोलने से भी :

डरने की जरूरत नहीं लेकिन डरने वाली बात यह है कि नोवल कोरोनावायरस बोलने से भी फैल सकता है.
अमेरिकी विशेषज्ञों ने  पता लगाया है कि बोलते समय संक्रमित इंसान के मुंह से निकलने वाले छोटे कण 12 मिनट तक हवा में रह सकते हैं जो वायरस को दूसरों तक पहुंचा सकते हैं. यह अध्ययन अमेरिका में नेशनल इंस्टिट्यूट औफ डायबिटीज में  किया गया है. शोध से यह भी पता चला है कि फेसमास्क पहनने से वायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है.

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2. आंखों से, आंसू से :

वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि कोरोनावायरस आंखों के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकता है. इस के लिए वायरस कोशिका से जुड़ने के लिए प्रोटीन की तलाश करता है.

जौन्स हौपकिन्स यूनिवर्सिटी के स्कूल औफ मैडिसिन के नेतृत्व में एक दल ने शोध में पाया कि आंखें एसीई -2, वायरस को शरीर में घुसने में मदद करने वाला प्रोटीन, का उत्पादन करती हैं, जिससे वे वायरस से संक्रमित हो जाती हैं.

इसका मतलब यह है कि जब एक कोरोनारोगी की छींक या खांसी के बाद कोरोना से प्रदूषित पदार्थ नाक या मुंह से गिरता है तो उसमें मौजूद कोरोना वायरस पास के व्यक्ति की आंखों में उड़कर पहुंच सकते हैं, जहां पहुंचते ही वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करना शुरू कर देता है. इसलिए आंसू भी कोरोना का संक्रमण फैला सकते हैं.

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