[@आनंद महिंद्रा....मैं अपने परिवार के साथ अपनी बालकनी पर रहूंगा और हम लोग पूरे 5 मिनट तक बिना रुके ताली बजाकर अपने नायाब नायकों की सराहना करेंगे- एक राष्ट्र, एक आवाज...] महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने 20 मार्च 2020 को यह ट्वीट तब किया था,जब 19 मार्च की शाम 8 बजे गहराते कोरोना संकट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार देश को संबोधित किया.लेकिन अपने इस ट्वीट के बाद आनंद महिंद्रा लोगों की तारीफ पाने की जगह काफी ट्रोल हो गए.लोगों ने न सिर्फ उन्हें ट्रोल किया बल्कि उनके बहाने तमाम दूसरे भारतीय उद्योगपतियों की भी जमकर खबर ली.नान्थमिंह नामक एक तमिल नाम वाले ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया, ‘कोरोना वायरस से लड़ने के लिए इटली के अरबपतियों ने जहां 28 मिलियन डॉलर का दान दिया है,वहीं भारत के उद्योगपति सिर्फ बालकनी से ताली बजायेंगे.’
https://twitter.com/anandmahindra/status/1240709672866177025
यह उलाहना हिंदुस्तान में पैसेवालों के प्रति आम लोगों में अक्सर रहने वाली किसी जलन का नतीजाभर नहीं है.वास्तव में आनंद महिंद्रा के ट्वीट के बाद अगर बहुत सारे लोगों ने हिन्दुस्तान के उद्योगपतियों की कड़ी आलोचना करते ट्वीट किये तो इसके लिए कहीं न कहीं हमारे उद्योगपतियों का बेहद स्वार्थी चरित्र ही जिम्मेदार है.यह बात इसलिए भी बिना किसी पूर्वाग्रह के कही जा सकती है ; क्योंकि इस भयानक मानवीय आपदा से निपटने के लिए जहां दुनियाभर के उद्योगपतियों ने दिल खोलकर, आम लोगों और अपनी सरकारों की मदद की है,वहीं भारतीय उद्योगपतियों और सेलिब्रिटीज ने अभी तक तो महज ट्वीट करके अच्छी अच्छी बातों का ही योगदान दिया है.कुछ ने अगर थोड़ी बहुत आर्थिक मदद की बात की भी है तो वह अमूर्त किस्म की मदद है या भविष्य में हो सकने वाली मदद की बात है.
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