‘मैं दुनिया भूला दूंगा तेरी चाहत में’ (main duniya bhula dunga) इस गाने को सुनते ही फिल्म आशिकी (aashiqui) की भोलीभाली एक्ट्रेस अनु अग्रवाल की याद ताज़ा होती है. जिन्होंने फिल्म रिलीज होने के बाद रातोंरात प्रसिद्धी पायी और अपनी एक अलग पहचान बनाई. सफलता की सीढ़ी पर चढ़ चुकी अभिनेत्री अनु का साल 1999 बहुत ही ख़राब रहा वह एक सड़क दुर्घटना की शिकार हुई. 29 दिनों तक कोमा में रहने के बाद जब अनु अग्रवाल (anu aggarwal)  होश में आईं, तो उनकी यादाश्त जा चुकी थी. बौडी का निचला हिस्सा पैरालाईजड भी हो चुका था. उस समय किसी ने उसकी खबर तक नहीं ली, पर उन्होंने हार नहीं मानी और 3 साल तक इलाज करवाया. अपने इस दर्दनाक जर्नी की बायोपिक अंग्रेजी और मराठी में लिखी. अनु एक बार फिर एक्टिव हो चुकी हैं और कई इवेंट्स पर जाकर सामाजिक काम करती हैं. पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश.

सवाल-मौडलिंग में कैसे जाना हुआ?

मेरा जीवन एक मिस्ट्री है. इसमें बहुत सारे उतार-चढ़ाव आये है और ये एक्सट्रीम लेवल पर हुआ है. पढाई के दौरान मैं सामाजिक काम एक पाकिस्तानी एन जी ओ के साथ किया करती थी, जिसमें महिलाओं को सशक्तिकरण के बारें में बताई जाती थी. मुस्लिम महिलाएं तब घर से बाहर नहीं निकलती थी. उन्हें मैंने एन जी ओ के साथ जाकर पुरानी फिल्म ‘देवदास’ दिखाई, जिसमें देवदास पारो को एक पत्थर से मारकर उसके चेहरे पर खून निकाल देता है, इस दृश्य का उनसे अधिक मुझपर बहुत गहरा असर पड़ा. मैं तब हिंदी फिल्में नहीं देखती थी, क्योंकि फिल्मों में महिलाओं के पोशाक बहुत ही अभद्र तरीके से पहनाये जाते थे. उनके शरीर को सेक्स सिंबल बनाया जाता था. लड़की की कोई दिमाग नहीं दिखाते थे. फिल्मों में भी मुझे जाने की कोई इच्छा नहीं थी. महेश भट्ट ने मुझे कही कि ये फिल्म मुझे ही बनानी है, क्योंकि ये मेरी कहानी है. फिर भी मैं करने के लिए राजी नहीं थी.मैंने पहले नाटकों में काम स्कूल और कॉलेज में किया है, पर फिल्मों में काम करने की इच्छा नहीं थी.

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