Film Agni : हमारे देश की यह विडंबना है कि यहां पर कुछ कर दिखाने वाले वीर बहादुर जो देश के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा देते हैं अपने पहले देश के लोगों के बारे में सोचते हैं, ऐसे इंसानों को सम्मान उनके मरने के बाद ही उनको श्रद्धांजलि देकर दिया जाता है. लेकिन आग की लपटों में दिन रात झुलसकर मुसीबत में फंसे लोगों की जान बचाने वाले फायरमैन फायर ब्रिगेड में काम करने वाले और अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाने वाले इन महान वीरों का ड्यूटी के दौरान काम करते हुए मरने के बाद भी कहीं कोई नामो निशान या सम्मान नहीं होता .
इसी बात को मद्दे नजर रखते हुए राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता डायरेक्टर और कहानीकार राहुल ढोलकिया ने अपनी फिल्म अग्नि के जरिए फायरमैन की भावनाओं को दर्शाने की कोशिश की है. प्राइम वीडियो ने एक्सेल इंटरटेनमेंट के साथ मिलकर फायरमैन को सम्मान दिलाने के मकसद से फिल्म अग्नि का निर्माण किया है जो 6 दिसंबर को प्राइम वीडियो पर रिलीज हो रही है. जिसका वर्ल्ड व्हाइट प्रीमियर 240 से अधिक देशों में एक साथ होने जा रहा है.फिल्म के मुख्य कलाकार प्रतीक गांधी जिन्होंने फायरमैन विठ्ठल का किरदार निभाया है अभिनेता दिव्येंदु जो एक सीनियर पुलिस औफिसर समीर की भूमिका में है. फायरमैन प्रतीक गांधी के साले हैं मुख्य भूमिका में है.
फिल्म की कहानी विट्ठल अर्थात फायरमैन विठ्ठल जो ईमानदारी से भरी जिंदगी की जी रहे हैं लेकिन जिनकी वीरता या ईमानदारी पर उनका खुद का बेटा भी गर्व नहीं करता. वही अपने मामा अर्थात समीर पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभा रहे उनके ऊपर अर्थात अपने मामा पर उस फायरमैन का बेटा ज्यादा गर्व करता है क्योंकि जो मान सम्मान मामा समीर को मिलता है, उसका 10% भी फायरमैन पिता को नहीं मिलता.
फिल्म की कहानी इन दोनों के इर्दगिर्द घूमती है. जो की सच्चाई से भरपूर और दिल को छूने वाली है . फिल्म के संवाद भी बेहतरीन तरीके से लिखे गए हैं , क्योंकि जहां पर माहौल तनाव वाला होता है वहां कौमेडी संवादों के जरिए माहौल को हल्काफुल्का बना दिया गया है. इस फिल्म की कहानी का मकसद हर बहादुर को जैसे सम्मान और पुरस्कार मिलने की प्रक्रिया होती है वैसे ही फायरमैन के साथ भी लागू होनी चाहिए. क्योंकि फायरमैन न सिर्फ बहादुरी की मिसाल है, बल्कि अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान भी बचाते हैं. लिहाजा उन्हें भी ऐसा ही सम्मान मिलना चाहिए, जैसा कि देश के शहीदों को मिलता है फायर मैन भी ऐसा सम्मान डिजर्व करते हैं. इस कहानी में यही कहने की कोशिश की गई है. फिल्म के अन्य कलाकार सयामी खेर, सई ताम्हणकर, जितेंद्र जोशी, उदित अरोड़ा और कबीर शाह है. फिल्म सच्चाई से भरपूर है जो एक फायरमैन के इमोशन और कोई सम्मान ना मिलने के दुख को दर्शाती है.