2010 में मुंबई के कोलाबा इलाके में सैनिकों की विधवाओं के लिए बनायी गयी 31 मंजिला इमारत ‘‘आदर्श हाउसिंग सोसायटी’’ का घोटाला सामने आया था और तब महाराष्ट्र राज्य के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक चौहाण को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी. उसी चर्चित ‘आदर्श सोसायटी घोटाले’ पर आधारित नीरज पांडे की फिल्म ‘‘अय्यारी’’ महज एक सिर दर्द है. फिल्म के कुछ संवादों से यह बात उजागर होती है कि यह फिल्म महज वर्तमान सरकार के एजेंडे पर बनायी गयी है. जब भी फिल्मकार सरकारी एजेंडे पर काम करता है, तो वह फिल्म को बर्बाद ही करता है. कम से कम ‘वेडनेस डे’, ‘बेबी’, ‘स्पेशल छब्बीस’ जैसी फिल्मों के फिल्मकार से तो यह उम्मीद नहीं थी.
फिल्म की कहानी के केंद्र में भारतीय सेना के दो अफसर कर्नल अभय सिंह (मनोज बाजपेयी) और मेजर जय बख्शी (सिद्धार्थ मल्होत्रा) हैं. जय अपने वरिष्ठ अधिकारी कर्नल अभय सिंह की काफी इज्जत करता है और उसका मानना है कि उसने उनसे बहुत कुछ सीखा है. सेना के सर्वोच्च अफसर यानी कि जनरल प्रताप मलिक (विक्रम गोखले) ने देश की सुरक्षा और देश के तमाम विरोधियों को खत्म करने के लिए सरकार से इजाजत लेकर सात सदस्यीय एक नई यूनिट का गठन करते हैं, जिसके मुखिया हैं कर्नल अभय सिंह. इसी यूनिट का हिस्सा हैं मेजर जय बख्शी और माया (पूजा चोपड़ा).
जनरल प्रताप मलिक ने इस यूनिट के लिए बीस करोड़ रूपए भी मुहैय्या किए हैं. कर्नल अभय सिंह के कहने पर मेजर जय बख्शी एक ऐसे हैकर की खोज करते हुए सोनिया गुप्ता (रकुल प्रीत सिंह) तक पहुंचते हैं, जो कि इंटरनेट और कंप्यूटर व लैपटाप को हैक कर सारी जानकारी हासिल कर सके. सोनिया से हैकिंग सीखते सीखते दोनो एक दूसरे के प्यार में बंध जाते हैं. जय बख्शी, सोनिया से उद्योगपति अभिमन्यू बनकर मिलते हैं, सब कुछ सीखने व प्यार में पड़ने के बाद अंततः सोनिया को पता चलता है कि वह आर्मीमैन हैं. तब जय उसे समझाता है कि उसे नाम बदलकर क्यों मिलना पड़ा. अब जय के हर काम में साथ देने के लिए मौजूद हैं सोनिया.
कर्नल अभय सिंह के कहने पर जय चार लोगों के फोन को सर्विलेंस पर डाल कर उनकी बातचीत सुनना शुरू करते हैं. पर ऐसा करते हुए उसे कुछ ऐसी जानकारी मिलती है कि वह चार की संख्या बढ़ाकर 22 कर देता है. जबकि अभय सिंह कायरो, इजिप्ट में किसी को पकड़ने गया हुआ है. जबकि भारत में रहते हुए जय के दिमाग में नया फितूर आता है और वह एक नयी योजना बनाता है. जिसके तहत वह मुंबई के कोलाबा में छह मंजिल की बजाय 31 मंजिला बनी इमारत के वाचमैन बाबूराव (नसिरूद्दीन शाह) को गुप्त तरीके से दिल्ली के एक लौज में ठहरा देता है. और सारी रिकौर्डिंग लेकर वह सोनिया के साथ लंदन जाने की तैयारी में है. इधर कर्नल अभय सिंह अपने काम को अंजाम देकर भारत वापस लौट रहे हैं.
तभी रिटायर्ड लेफ्टीनेंट जनरल गुंरिंदर सिंह (कुमुद मिश्रा), जनरल प्रताप मलिक से मिलते हैं. और उन पर लंदन में रह रहे पूर्व भारतीय सैनिक और वर्तमान में पूरे विश्व के मशहूर हथियार विक्रेता मुकेश कपूर (आदिल हुसेन) की कंपनी के हथियारों को चार गुना ज्यादा दामों में खरीदने के लिए दबाव डालते हैं. इसके एवज में वह सैनिकों की विधवाओं के लिए ढाई मिलियन डालर की रकम देने की पेशकश करते हैं. जब प्रताप मलिक कहते हैं कि वह नही बिकेंगे, तो गुंरिंदर सिंह धमकी देते हैं कि वह उनकी चोरी छिपे बनायी गयी यूनिट के सात सदस्यों की जानकारी ना सिर्फ पूरे देश के सामने रख देंगे, बल्कि वह यह भी साबित कर देंगे कि उन्होंने बीस करोड़ रूपए गलत तरीके से खर्च किए हैं.
वास्तव में गुरिंदर सिंह सेना का जनरल अपने पसंदीदा आर्मीमैन को बनवाना चाहते हैं. गुरिंदर सिंह के साथ एक न्यूज चैनल की मालिक काम्या भी जुड़ी हुई हैं. पता चलता है कि जय बख्शी ने दस करोड़ के एवज में गुरिंदर को सारी जानकारी देने का सौदा किया है. जनरल मलिक देश के रक्षा मंत्री से मिलकर सारी बात बताते हैं. रक्षा मंत्री कहते हैं कि इस मसले को खुद ही संभाले .
कर्नल अभय सिंह के भारत पहुंचने से पहले ही जय बख्शी तमाम रिकार्डिंग व रिकार्डस लेकर गायब हो जाता है. उधर जनरल प्रताप मलिक अपने घर पर कर्नल अभय को बुलाकर घटनाक्रम पर बात करते हैं. और उसे आदेश देते हैं कि देश की सुरक्षा पर आंच नही आनी चाहिए व देश को बेचने वाले कामयाब नहीं होने चाहिए. पर वह उसकी यूनिट को पहचानने से इंकार करने की बात भी कहते हैं. अब अभय, जय की तलाश में लग जाता है. जय एक व्हील चेअर पर बैठी औरत का रूप धर कर उसी फ्लाइट से लंदन रवाना होता है, जिसमें अभय सिंह है. अब अभय सिंह, जय बख्शी और सोनिया तीनों लंदन पहुंच जाते हैं.
लंदन में तारिक अली (अनुपम खेर) की मदद से अभय एक चाल चलकर मुकेश कपूर (आदिल हुसेन) से भी मिलता हैं. मुकेश कपूर के सामने एक प्रस्ताव रखकर जय व सोनिया को खत्म करने की बात करता है. फिर अभय सिंह, मुकेश के आदमियों से जय को बचाते हुए जय व सोनिया से मिलते हैं.
जय, अभय सिंह से कहता है कि वह गद्दार नही हैं. वह बताता है कि देश के बड़े राजनेता, नौकरशाह सहित तमाम लोग किस तरह देश को बेच रहे हैं. और वह ऐसे लोगों के खिलाफ काम कर रहा है. जय के ही कहने पर कर्नल अभय सिंह दिल्ली आकर भालेराव से मिलता है. फिर काम्या के माध्यम भालेराव द्वारा बयान की गयी ‘आदर्श घोटाले’ की कहानी को न्यूज चैनल पर प्रसारित करवाता है. हड़कंप मचता है. गुरिंदर सिंह आत्महत्या कर लेते हैं. अंत में मेजर जय बख्शी, कर्नल अभय सिंह से मिलने आते हैं.
2 घंटे 40 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘अय्यारी’’ की पटकथा में तमाम खामियों के चलते पूरी फिल्म सिरदर्द बनकर रह जाती है. फिल्म को बेवजह लंबी बनाया गया है. कहानी को सीधी सरल भाषा में बयां करने की बजाय बहुत घुमाफिरा कर बयां किया गया है. सिद्धार्थ मल्होत्रा व रकुल प्रीत की प्रेम कहानी को फ्लैश बैक में जिस तरह से दिखाया गया है, वह और अधिक बोर करती है. जबकि इसकी जरुरत ही नहीं थी. फिल्म में रोमांच कुछ है ही नहीं. निर्देशक के तौर पर नीरज पांडे अपनी प्रतिभा को खत्म कर चुके हैं. नीरज पांडे अपनी पिछली कई फिल्मों में जो कुछ नाटकीयता व जिस तरह के दृश्यों का संयोजन करते रहे हैं, उसे ही इस फिल्म में भी दोहराया है. फिल्म के शुरू होने के आधे घंटे बाद ही नीरज पांडे की फिल्म पर से पकड़़ छूट जाती है. फिल्म का गीत संगीत भी प्रभावित नहीं करता.
फिल्म का नाम अय्यारी है. इसे जायज ठहराने के लिए जबरन फिल्म में एक घटनाक्रम को फ्लैशबैक में दिखाया गया है. और कहा गया है कि कर्नल अभय सिंह अय्यारी यानी कि रूप बदलने में माहिर हैं, मगर मूल कहानी के दौरान वह कभी अपने इस रूप में नजर नहीं आते.
जय बख्शी के किरदार में सिद्धार्थ मल्होत्रा कहीं से भी नहीं जमते हैं. माया के किरदार में पूजा चोपड़ा को जाया किया गया है. सोनिया के किरदार में रकुल प्रीत सिंह महज एक ग्लैमरस गुड़िया के अलावा कुछ नजर नहीं आती. मनोज बाजपेयी, आदिल हुसैन, विक्रम गोखले, राजेश तैंलंग ने ठीक ठाक अभिनय किया है.
फिल्म को अति खूबसूरत लोकेशनों पर फिल्माया गया है. दृश्यों को नयन सुख योग्य बनाने के लिए कैमरामैन सुधीर पलसाने बधाई के पात्र हैं.
2 घंटे 40 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘अय्यारी’’ का निर्माण शीतल भाटिया, धवल गाला, जयंतीलाल गाला, करण शाह ने मोशन पिक्चर्स कैपिटल के साथ मिलकर किया है. फिल्म के लेखक व निर्देशक नीरज पांडे, संगीतकार रोचक कोहली व अंकित तिवारी, कैमरामैन सुधीर पलसाने तथा फिल्म के कलाकार हैं-मनोज बाजपेयी, सिद्धार्थ मल्होत्रा, विक्रम गोखले, पूजा चोपड़ा, रकुल प्रीत सिह, आदिल हुसैन, राजेश तैलंग व अन्य.