सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की शक्सियत से कोई अछूता नहीं, उन्होंने अभिनय क्षेत्र में एक लम्बी पारी तय की है और आज एक ऐसे मुकाम पर पहुंच चुके है, जहां वे फिल्म, विज्ञापन, टूरिज्म का प्रमोशन या किसी शो को होस्ट करना हो, हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर सबका मन मोह लेते है. उनके जीवन की शुरुआत में ऐसा कतई नहीं था, उन्हें भी कई रिजेक्शन मिले, असफल फिल्में भी रही, फिल्म ‘कुली’ के दौरान उन्हें गंभीर चोट आई, हौस्पिटल में रहे और अब वे लीवर सिरोसिस के शिकार है और 25 प्रतिशत लीवर के साथ काम कर रहे है. इन सबके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज कामयाबी के शिखर पर है. सोनी टीवी पर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का 11 वें सत्र को उन्होंने बड़ी उत्साह के साथ लौंच कर रिश्तों की अहमियत को बताने की कोशिश की, क्योंकि इस शो में आने वालों के साथ उनका एक अलग रिश्ता जुड़ता है, जिसे वह शो के बाद भी याद करते है. क्या कहते है वे इस बारें में जाने उन्ही से,

सवाल- इस शो में आपको खास क्या लगता है?

मैं पिछले 9 सीजन से इससे जुड़ा हूं और हर साल कुछ नयी चीजों को अपने साथ लेकर जाता हूं. इसमें आये लोगों की जीवनी से मैं बहुत प्रेरित होता हूं और जानता हूं कि किस कठिन घडी से वे निकलकर यहां आते है और जीते हुए धन राशि का सही उपयोग जीवन में करने के लिए लालायित रहते है.

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सवाल- किस बात ने आपकी जिंदगी बदल दी ?

सभी कहानियां प्रेरणा दायक होती है, कोलकाता की एक महिला गरीबों को उठाकर उन्हें घर देती है,जबकि दिल्ली का एक व्यक्ति अनाथ बच्चों को उठाकर आश्रय देते है. बनारस की एक लड़की जो वेश्यालय से उठकर आज आम लोगों के बीच में आकर काम कर रही है. ये दर्दनाक कहानियां हमारे समाज का आइना है. जो हमारे समाज और परिवार को मोटीवेट करती है,जिसे मैं पूरे देश में पहुंचाना चाहता हूं. कुछ लोग इतने भावुक हो जाते है कि वे सामने रोने लगते है. इतना ही नहीं एक असिड अटैक महिला जब मुझतक पहुंची तो मुझे बहुत खुशी हुई. किसी ने सोचा नहीं था कि वह यहां तक पहुंच सकती है, ऐसे प्रोग्राम को करने के बाद रात में मैं इस बारें में सोचता हूं, लिखता हूं और अपने जिंदगी को धन्यवाद देता हूं, क्योंकि ये सब मुझे इस शो से मिला है.

सवाल- रिश्ते जीवन में कितना महत्व रखते है और रिश्तों को बनाए रखना कितना जरुरी है?

रिश्ते बहुत जरुरी है. बहुत बार जो कर्मवीर होते है उनके साथ रिश्तों को लेकर ही बात होती है,क्योंकि उनका सम्बन्ध रिश्तों से ही होता है. गरीब के साथ काम करना हो या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रिश्ता बनाना जिसके साथ कोई रिश्ता बनाने की इच्छा न रखते हो, ये कर्मवीर  सबको परिवार समझते है. कोलकाता की एक महिला जो मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्तियों को सहारा देती है, उसने एक ऐसी ही मानसिक हालत में परेशान व्यक्ति को सहारा दिया था. उस व्यक्ति को सिर्फ एक चाय के अलावा कुछ याद नहीं रहता था. मुस्लिम चाय वाले ने उससे उसका नाम पूछने पर वह बता नहीं पाया और उस चायवाले ने उसका नाम मोहम्मद रख दिया था, लेकिन बाद में कर्मवीर महिला को पता चला कि उसका असली नाम संतोष है. मैंने ऑडियंस में बैठे उस संतोष से जब मिलना चाहा, तो उसने अपना नाम मोहम्मद ही बताया, क्योंकि मोहम्मद नाम के साथ उसकी देखभाल हुई है. आज के युवा अपने माता-पिता को घर से निकाल देते है, ऐसे में ये कर्मवीर लोग उन्हें सहारा और सम्मान देते है, उन्हें ये परिवार समझते है. रिश्ते ही है जो व्यक्ति को ख़ुशी देते है, उन्हें एक दूसरे के साथ जोडकर रखते है.

सवाल- आप अपने आप को इतना फिट कैसे रखते है?

ये मेरा काम है और मुझे ये करने में खुशी होती है. फिटनेस को मैं बनाकर रखता हूं और इस तरह के शो को करने से एनर्जी बढती है, क्योंकि इसमें हमारे आसपास के लोगों की समस्या को जानने और समझने का मौका मिलता है.

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सवाल- आपकी शो को आपका परिवार कितना पसंद करते है?

जया और परिवार के लोग देखते है. वे चर्चा भी करते है. अराध्या भी मुझे टीवी पर देखकर खुश होती है. उसे मुझे बड़े-बड़े पोस्टर पर देखना पसंद है.

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