भोजपुरी सिनेमा के लिए दिया जाने वाला '5वां सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड' हाल ही में अयोध्या में शानदार तरीके से हुआ था, जिस में भोजपुरी सिनेमा के दिग्गज कलाकारों ने शिरकत की थी. इस अवार्ड शो में दर्शक भोजपुरी के तमाम कलाकारों को अपने सामने पा कर दंग थे. वे कड़ाके की ठंड में भी भोजपुरी कलाकारों का दीदार कर रहे थे.
वैसे तो इस अवार्ड शो में दिनेशलाल यादव 'निरहुआ', आम्रपाली दुबे, अंजना सिंह, अनारा गुप्ता, पाखी हेगड़े, संजय पांडेय, देव सिंह सरीखे कई दिग्गज कलाकार मौजूद थे, लेकिन इन सब के बीच भोजपुरी सिनेमा के एक खास कलाकार की मौजूदगी ने दर्शकों का हौसला बढ़ा दिया था. वह नाम है भोजपुरी सिनेमा में तकरीबन 43 सालों से अपनी ऐक्टिंग का सिक्का जमाए कुणाल सिंह का.
कुणाल सिंह भोजपुरी सिनेमा के शुरुआती दौर के उन गिनेचुने कलाकारों में शामिल हैं, जिन्होंने भोजपुरी सिनेमा को बुलंदियों पर पहुंचाया और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को आगे बढ़ाया.
विधायक का बेटा मुंबई में हीरो बनने आया
साल 1977 में कुणाल सिंह जब मुंबई में फिल्मों में काम करने आए, तब उन के पिता बुद्धदेव सिंह एक चर्चित नेता के साथसाथ विधायक भी थे. वे काफी दिनों तक मंत्री भी रहे थे.
कुणाल सिंह ने बताया, "जब मैं मुंबई आया, तब पिताजी खर्च भेजते रहे. मैं ने हीरो बनने के लिए काफी हाथपैर मारे, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पा रही थी. पर मैं ने तय कर लिया था कि हीरो ही बनना है. उधर, पिताजी ने उम्मीद के मुताबिक कामयाबी न मिलने पर कुछ दिन बाद पैसा भेजना बंद कर दिया. ऐसा नहीं था कि वे मुझे पसंद नहीं करते थे, बल्कि वे मुझ से बहुत ज्यादा प्यार करते थे. फिर भी उन्हें मेरे भविष्य की चिंता थी, लेकिन मैं कुछ और ही समझ बैठा. मुझे लगा कि मैं उन पर बोझ बन गया हूं, इसीलिए मैं ने भी कह दिया कि अब मैं नौकरी कर रहा हूं और अपना खर्च खुद चला लूंगा."
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