औसत कद, घुंघराले बाल, मुसकराता चेहरा और आंखों में कुछ कर गुजरने का जज्बा, यह पहचान है अमेरिका में रहने वाली भारतीय कत्थक डांसर अनिंदिता नियोगी अनाम की. 31 वर्षीय अनिंदिता सिंगर व डांसर मां और इंजीनियर पिता की इकलौती संतान हैं. बचपन से ही उन्हें डांसिंग का शौक रहा है. अनिंदिता ने उमा शर्मा और राजेंद्र गंगानी (जयपुर घराने) से कत्थक नृत्य की तालीम ली. 12 साल की उम्र से ही अपनी मां द्वारा शुरू किए गए कत्थक स्कूल ‘सरगम’ में वे बतौर टीचर बच्चों को डांस सिखाती थीं. अनिंदिता बतौर कंटैंट राइटर और बिजनैस एनालिस्ट भी काम कर चुकी हैं.

अनिंदिता को उड़ीसा सरकार द्वारा ‘जयदेव राष्ट्रीय पुरस्कार’ और ‘उत्कल युवा संस्थान’ कटक द्वारा नैशनल नृत्य शिरोमणि पुरस्कार भी मिल चुका है. तरहतरह के फैस्टिवल्स जैसे ‘रिदम औफ द वर्ल्ड’, ‘नृत्य समर्पण फैस्टिवल’, ‘लौगिंग ऐंड हैरिटेज’ वगैरह में अपनी परफौर्मैंस दे कर वे दर्शकों का दिल जीत चुकी हैं. इस के अलावा ‘विस्कौन्सिन डांस काउंसिल’ में इन्हें पहली इंडियन क्लासिकल डांसर सैक्रेटरी का ओहदा भी मिल चुका है. यूट्यूब चैनल में फ्री ट्यूटोरियल देती हैं. दिल्ली ‘इंटरनैशनल आर्ट्स फैस्टिवल 2018’ में भी इन्होंने सोलो डांस परफौर्मैंस दी थी.

कोलकाता में 2009 में डांस परफौर्मैंस के दौरान अनिंदिता की मुलाकात मर्चेंट नेवी इंजीनियर शाज अनाम से हुई. वे मुसलमान थे और अनिंदिंता बंगाली हिंदू. 2 साल के रिश्ते के बाद दोनों ने शादी कर ली.

क्या ऐंटीरिलीजन मैरिज करने से पहले दोनों को घर वालों के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा? इस सवाल पर अनिंदिता का जवाब था, ‘‘शाज के मातापिता नहीं थे. बहन थी, जिन्हें कोई एतराज नहीं था. मेरे मातापिता ने भी कोई विरोध नहीं किया और हम ने सहजता से शादी कर ली.’’

विवाह के बाद पति की अमेरिका में जौब लग गई तो अनिंदिता उन के साथ अमेरिका चली गईं. फिलहाल वे 4 साल के बेटे की मां हैं और अमेरिका में भारतीय डांस फौर्म कत्थक को लोकप्रिय बनाने में जुटी हुई हैं.

वे कहती हैं, ‘‘आश्चर्य की बात यह है कि यहां से बहुत से अमेरिकी योग और दूसरी कलाएं सीख कर अपने देश जाते हैं और वहां इन के जरीए रुपए कमाते हैं.’’

अमेरिका में कत्थक को लोकप्रिय बनाया

जब अनिंदिता ने अमेरिका में डांस टीचिंग का काम शुरू करना चाहा तो इंडियन कम्युनिटी का अप्रोच बहुत कोऔपरेटिव और रिस्पौंसिव नहीं रहा. लेकिन अमेरिकी सरकार के कल्चरल डिपार्टमैंट से बात करने पर उन्हें काफी रिस्पौंसिव रिऐक्शन मिला. अनिंदिता ने उन्हें समझाया कि यह डांस अलग कैसे है. अमेरिका में लोकप्रिय बैले, फ्लैमेंको जैसे डांस फौर्म्स से मिलताजुलता डांस होने के बावजूद इस में जूतों के बजाय बेल्स के जरीए रिदम दी जाती है. ड्रैस सिमिलर होती है, मगर लुक अलग होता है.

अनिंदिता ने जब अमेरिकियों को राधाकृष्ण के थीम से जुड़ा नृत्य दिखाना चाहा तो वह उन की समझ में नहीं आया. तब अनिंदिता को लगा कि उन्हें कुछ नया करना होगा जो इन्हें आसानी से समझ में आ जाए. अनिंदिता ने सोचा कि डांस स्टैप्स तो बदले नहीं जा सकते, मगर कंपोजीशन में बदलाव लाए जा सकते हैं.

अनिंदिता ने यूएस बेस्ड इंडियन रागा कंपनी जो साल में 2 बार इंडियन क्लासिकल वर्क (डांस और म्यूजिक) के लिए फैलोशिप देती है, से संपर्क किया. वहां अनिंदिता को सलाह दी गई कि वे कत्थक में क्रिएटिविटी ले कर आएं और बाकी लोगों के साथ तालमेल बैठा कर नया कंपोजीशन तैयार करें.

अब अनिंदिता फ्यूजन म्यूजिक में अलगअलग डांस फौर्म्स साथ ले कर आ रही हैं. अमेरिका में पौपुलर होने के लिए डांस फौर्म्स में थोड़ा डिफरैंट और सोशल अप्रोच लाना जरूरी था. इस में प्रकृति और वातावरण जैसे पहलुओं को जोड़ा गया है ताकि लोगों को कनैक्ट किया जा सके.

‘पधारो म्हारे देश’ गाने पर कत्थक, घूमर, कलबेलिया आदि का फ्यूजन तैयार किया है. सैन डिएगो में एक हौलीवुड स्टूडियो है जहां अनिंदिता ने अपना कलैक्शन रिकौर्ड करवाया और नैक्स्ट स्प्रिंग में यह वीडियो अमेरिकन मार्केट में आ जाएगा.

किया चुनौतियों का सामना

अमेरिका में इंडियन डांस फौर्म्स को लोकप्रिय बनाने के दौरान अनिंदिता ने इन चुनौतियों का सामना किया:

– अमेरिकी नए थीम और अधिक क्रिएटिविटी पसंद करते हैं. वहां वर्ल्ड फ्यूजन म्यूजिक ज्यादा डिमांड में है. जैज, सालसा, फ्लैमेंको आदि उन के पौपुलर क्लासिकल डांस फौर्म्स हैं. उन के कल्चर के साथ जाने लायक थीम तैयार करना आसान नहीं था.

– अनजान देश में गैरों के बीच घर, बच्चा और काम एकसाथ संभालना काफी कठिन था.

– भले ही सीधे तौर पर नहीं पर अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका में भारतीयों को वर्णविभेद की स्थिति का सामना करना पड़ता है. अमेरिका में हमारे देश को थर्ड वर्ल्ड कंट्री माना जाता है. वे मानते हैं कि हमारा देश पिछड़ा हुआ है. औरतें दबीकुचली हुई हैं. वे अति धार्मिक हैं और सीमित दायरे में कैद हैं. वे संवाद नहीं कर पातीं. ऐसे में अनिंदिता के लिए एक भारतीय के तौर पर अपनी पहुंच हर जगह बनानी एक बड़ी चुनौती थी.

– अमेरिका में भारतीयों को आसानी से वर्किंग वीजा नहीं मिल पाता है. ग्रीन कार्ड के लिए 18 से 20 साल लग जाते हैं. इंप्लौयमैंट औथराइजेशन कार्ड यानी ईएडी द्वारा काम चलाना पड़ता है. जब तक पति को ईएडी नहीं मिला होता तब तक महिलाएं काम नहीं कर सकतीं. इस तरह पढ़ीलिखी महिलाएं कई साल अमेरिका में घरों में कैद हो कर रह जाती हैं.

– अमेरिकी माहौल में पलबढ़ रहे अपने बच्चे को भारतीय संस्कृति से जुड़ा रखना भी एक चुनौती है.

अमेरिका की कुछ बातें हमें सीखनी चाहिए

नई सोच को जगह देना अमेरिकियों को बहुत अच्छी तरह आता है. वे नई कलाओं को देखना चाहते हैं. यदि आप के पास किसी भी तरह का टेलैंट है तो अमेरिका का रास्ता आप के लिए हमेशा खुला हुआ है.

यहां के समाज की वैल्यूज बहुत स्ट्रौंग है. यदि कोई मुश्किल में हो तो पूरी कम्युनिटी आगे आ जाती है. तरहतरह की ऐक्टिविटीज के द्वारा फंडरेजिंग की जाती है. तकलीफ में व्यक्ति को अकेला नहीं छोड़ा जाता.

यहां की औरतें हर तरह के काम करती हैं. वे स्कूल की बसें, ट्रैक्टर्स जैसे भारी वाहनों से ले कर बड़ीबड़ी मशीनें भी बड़ी सहजता से चलाती हैं. वालमार्ट, मैकडोनाल्ड जैसे स्टोर्स की पूरी व्यवस्था महिलाओं के हाथों में होती है.

महिलाएं फिटनैस के प्रति बहुत जागरूक हैं. 70 साल की उम्र में भी जिम जाती हैं. उन का अलग गु्रप होता है.

क्रेच सुविधा बहुत अच्छी है. क्रेच वाले बच्चे को स्कूल ले जाने और लाने से ले कर उन्हें संभालने का भी काम करते हैं. कभी बच्चे को हौस्पिटल ले जाने या डाक्टर को दिखाने की जरूरत पड़ी तो भी वे तुरंत इंतजाम करते हैं.

वहां किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं माना जाता. हर व्यक्ति अपने ढंग से जी सकता है. ट्रांसजैंडर हो या डिवोर्सी किसी को भी नीची नजरों से नहीं देखा जाता.

किसी भी उम्र की महिलाएं अकेली भी बहुत आराम से रह लेती हैं. डिवोर्स बहुत आसानी से और तुरंत मिल जाता है. यह कोई टैबू नहीं है.

अमेरिका की जनसंख्या कम और साफसफाई अधिक है. लोग खुल कर जीते हैं. हाटमेले भी बहुत लगते हैं.

कत्थक का फिटनैस कनैक्शन

डांस अपनेआप में एक थेरैपी है. खासकर कत्थक नृत्य एक तरह की कार्डिओवैस्क्युलर ऐक्सरसाइज है. जो लोग तनावग्रस्त रहते हैं उन के लिए यह ऐक्सप्रैशन और स्ट्रैस बर्स्ट करने का एक अच्छा तरीका है.

डांस करने से पोस्चर सुधरता है. यह शरीर के बैलेंस को बना कर रखता है. घुंघरू बांधने पर अपोजिट गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे का हिस्सा संतुलित रहता है. नैक और आइज मूवमैंट्स आप के फेस के मसल्स को स्ट्रौंग करने के साथसाथ चेहरे के फैट को भी घटाते हैं.

कत्थक जितना जल्दी स्टार्ट करें उतना अच्छा. एक समय के बाद शरीर डांस के मूवमैंट्स को सही तरीके से व्यक्ति नहीं कर पाता. पूरी गति नहीं आती. मोटे शरीर में पूरे चक्कर लगाने कठिन होते हैं. शरीर को फिट और संतुलित रखना जरूरी है. निरंतर रियाज करना भी बहुत जरूरी है.

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