बौलीवुड में कब क्या होगा, कोई नही जानता. लोग कहते हैं कि बौलीवुड में चढ़ते सूरज को नमस्कार किया जाता है. पर यह पूर्ण सत्य नही है. फिल्म‘‘सत्या’’में कल्लू मामा का किरदार निभाकर अभिनेता सौरभ शुक्ला ने जबरदस्त शोहरत बटोरी थी. फिल्म भी सुपरहिट रही थी. इसके बाद सौरभ शुक्ला के पास फिल्मों की कतार लग जानी चाहिए थी. पर ऐसा नहीं हुआ था. पूरे छह माह तक सौरभ शुक्ला को एक भी फिल्म नहीं मिली थी.
ऐसा तमाम कलाकारों के साथ होता रहता है. पर इस तरह के संकट का सर्वाधिक सामना तो फिल्मों के लिए पार्श्वगायन करने वाले गायकों को करना पड़ता है. जी हां! यही कटु सत्य है. यही वजह है कि फिल्म‘‘रामलीलाः गोलियों की रासलीला’’ के गीत ‘‘राम चाहे लीला’’व ‘‘रईस’’के गीत‘‘उड़ी उड़ी जाए..’’ सहित कई सुपर हिट फिल्मों के सुपर हिट गीत गा चुकी गायिका भूमि त्रिवेदी ने पिछले छह वर्ष के दौरान सिर्फ पांच गाने ही गाए हैं. अब इससे जीवन तो जिया नही जा सकता. ऐेसे में जब गायक स्टेज शो का हिस्सा बनता है, तो उसे फिल्म में पार्श्वगायन से हाथ धोना पड़ता है. यानी कि गायकों को हमेशा दुधारी तलवार पर चलना पड़ता है. इन सारे मुद्दों पर गायक भूमि त्रिवेदी से हुई बातचीत इस प्रकार रही..
छह वर्ष में आपके पांच गाने ही आए. इस बीच आपने क्या किया?
आपने बहुत सही सवाल किया है. एक गाने के हिट होने के बाद भी दूसरा गाना जल्दी नहीं मिलता है. पर गायक भी इंसान है, उसे भी हर दिन खाना तो खाना ही है. अपना परिवार तो चलाना ही है. मेरा अपना परिवार नहीं है, मेरे माता पिता सक्षम हैं. पर जिनका अपना परिवार व बच्चे हैं, उनकी क्या हालत होती होगी? यही वजह है कि एक गीत के हिट होने पर जितने भी स्टेज शो में गाने के लिए गायक को आफर मिलता है, वह स्वीकार कर लेता है. स्टेज शो में व्यस्त होने पर कई बार उसके हाथ से किसी अच्छी फिल्म में गाने का अवसर भी चला जाता है. तो गायक हमेशा दो धारी तलवार पर चलता रहता है. वह अच्छी फिल्म में अच्छे गाने के इंतजार में स्टेज शो को छोड़े या न छोड़े, इस दुविधा के साथ वह जीता है.