एक हौकी खिलाड़ी मैदान छोड़ कर फिल्मों में कैसे आ गईं?
सच बताऊं, तो मेरे अंदर बचपन से एक प्लेयर रहा है, आर्टिस्ट कभी नहीं. मैं जब उत्तरांचल की जूनियर टीम में खेलती थी तब जूनियर नैशनल टूरनामैंट के लिए जबलपुर आई थी. उस समय वहां फिल्म ‘चक दे इंडिया’ की टीम महिला हौकी खिलाडि़यों का अपनी फिल्म के लिए औडीशन ले रही थी. मैं ने भी अपनी फ्रैंड्स के साथ यह सोच कर औडीशन दे दिया कि शाहरुख खान के नाम का झूठा उपयोग कर ये लोग कोई टैलीफिल्म बना रहे हैं. मजाकमजाक में दिया मेरा औडीशन निर्देशक को पसंद आ गया और मुझे मुंबई बुला लिया गया.
ऐक्टिंग के लिए क्या तैयारी की थी?
शुरुआत में तो 6 महीने मैं ने सिर्फ हौकी ही खेली, लेकिन जब पता चला कि हौकी के साथ ऐक्टिंग भी करनी है तब जरूर सोच में पड़ गई. लेकिन फिर यह सोच कर कि सिर्फ यही फिल्म करनी है सीरियस नहीं हुई. जब फिल्म ‘सुपरडुपर’ हिट हुई तो साथ में हम लोग भी हिट हो गए. तब सोचा चलो अब ऐक्टिंग में ही सीरियस हो कर कैरियर बनाया जाए.
ऐक्टिंग के बाद हौकी खेलना छोड़ दिया क्या?
मैं अभी भी अपनेआप को एक खिलाड़ी ही मानती हूं. अगर उस समय ‘चक दे इंडिया’ फिल्म न साइन की होती तो आज नैशनल टीम में जरूर होती, क्योंकि जब मेरा औडीशन हुआ तो उस समय मैं नैशनल की ही तैयारी कर रही थी. मेरे साथ की कई लड़कियां आज नैशनल टीम में खेल रही हैं. मुंबई में मैं जैसे ही काम से फ्री होती हूं हौकी ले कर मैदान में पहुंच जाती हूं.
फिल्मों से खेलों को बढ़ावा मिलता है?
जरूर मिलता है. जब ‘भाग मिल्खा भाग,’ ‘चक दे इंडिया,’ ‘मैरी कौम’ फिल्में आईं तब लोगों ने जाना कि इन खिलाडि़यों ने यहां तक पहुंचने के लिए कितना संघर्ष किया. हौकी के जादूगर ध्यानचंद की बायोपिक भी बनने वाली है. यकीनन ऐसी फिल्में लोगों को खेलों के प्रति आकर्षित करती हैं.
मेरा पीआर बहुत खराब है
खबरों में कम आने के सवाल पर चित्रांशी कहती हैं कि मैं ने काम तो बहुत किया है पर क्या करूं उस की पब्लिसिटी करना मुझे नहीं आता. मेरा स्वभाव ऐसा है कि मैं लोगों से ज्यादा नहीं मिलती. मेरा मानना है कि चेहरा दिखाने से अच्छा है अपना काम दिखाओ.
घूमना पसंद है
मैं बहुत घुमंतू मूड की हूं, इसलिए उस प्रोजैक्ट को नहीं करती, जिस में बंध जाऊं. तभी मैं टीवी पर काम कम करती हूं. आज टीवी पर 12 से 16 घंटे शूटिंग ही होती है और शो कई महीने चलते हैं. थिएटर करने की एक वजह यह भी है, क्योंकि हमारा ग्रुप विदेशों में भी कई शो कर चुका है.
थिएटर का शौक
शुरुआत में तो थिएटर के नाम से ही मेरे हाथपांव फूल जाते थे, लेकिन जब लोगों ने सलाह दी कि अगर ऐक्टिंग करनी है तो स्टेज पर जाना ही होगा. तब थिएटर करने लगी. मैं ने 2 साल तो सिर्फ थिएटर ही किया. कोई और काम नहीं. मैं एक प्रयास थिएटर ग्रुप में हूं और पद्मिनी कोल्हापुरे, असरानीजी के साथ कई शो कर चुकी हूं.
शाहरुख मेरे मैंटोर हैं
उत्तरांचल की रहने वाली चित्रांशी रावत स्कूल के दिनों से ही हौकी की बेहतरीन प्लेयर रही हैं. 17 साल की उम्र में ही वह उत्तरांचल की महिला हौकी टीम में खेलने लगी थी. शाहरुख को अपना मैंटोर बताने वाली चित्रांशी ने फिल्म ‘चक दे इंडिया’ में ठेठ हरियाणवी लड़की कोमल चौटाला का रोल निभाया था.