साल 2000 में ‘मिस यूनिवर्स’ का खिताब जीतकर चर्चा में आई लारा दत्ता आज एक नामचीन अभिनेत्री हैं. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने ‘अंदाज’ फिल्म से कदम रखा और फिल्म सफल होने की वजह से उन्हें कई फिल्में मिली, जो बौक्स औफिस पर हिट रही. आधुनिक विचार रखने वाली लारा ने फिल्मों में अलग-अलग भूमिका निभाई है, मसलन मस्ती, नो एंट्री, काल, पार्टनर, बिल्लू, हाउस फुल, भागम भाग, पार्टनर, फितूर, वेलकम टू न्यूयार्क आदि.

स्वभाव से नम्र और हंसमुख लारा ने साल 2011 में टेनिस खिलाडी महेश भूपति के साथ शादी की और एक बेटी सायरा की मां बनीं. मां बनने के बाद उनके काम की प्रायोरिटी बदल चुकी है. पहले वह परिवार और बाद में कैरियर देखती हैं, यही वजह है कि उन्होंने बीच में कुछ दिनों के लिए काम से ब्रेक भी लिया था. अभी वह एंड टीवी पर प्रसारित होने वाली रियलिटी शो ‘हाई फीवर डांस का नया तेवर’ की जज बनी हैं और पहली बार छोटे पर्दे पर काम कर रही हैं. उनसे मिलकर बात करना रोचक था, पेश है अंश.

इस शो को करने की खास वजह क्या है?

मेरे पास पहले भी कई औफर रियलिटी शो होस्ट और जज करने के लिए आए थे, लेकिन ये एक अलग तरह का डांस शो है, जिसमें सेलिब्रिटी जोड़ी नहीं. ये आम लोग और अलग-अलग रिश्ते के साथ आये है ,जो अनोखी है, जैसे सास बहू की जोड़ी, ननद भाभी की जोड़ी, जेठ बहू की जोड़ी, दादा पोते की जोड़ी आदि सभी मेरे लिए रुचिपूर्वक है. आज मैं अगर बेटी को घर छोड़कर बाहर काम करने के लिए निकलूं और वह भी टीवी की ओर, जहां बहुत अधिक समय देना पड़ता है, तो वह बहुत हो स्ट्रौंग शो होना चाहिए.

इस शो में आप किस बात पर अधिक ध्यान देंगी?

मैं इसमें रिश्तों की गहराई पर अधिक ध्यान दूंगी, क्योंकि रिश्ते ही आपको नई जिंदगी देते हैं और इसकी अहमियत हमेशा रहती है. यह गहराई डांस के माध्यम से पता चल सकेगी.

रिश्तों के मायने आज बदल चुके हैं,  व्यक्ति के जीवन में ये कितना महत्व रखते हैं और आपकी सोच इस बारें में क्या है?

मेरे कैरियर में हमेशा परिवार सबसे ऊपर रहा है. ऐसी कोई भी फिल्म या अभिनय मेरे लिए अधिक नहीं था, जो मेरी बेटी या परिवार से बढ़कर हो. इसके लिए मैंने बीच में ब्रेक भी लिया है और परिवार को संभाला है.

मेरे हिसाब से जो लोग आज हमारे देश में भी रिलेशनशिप में रहते हैं, उनकी संख्या विदेशों की तुलना में काफी कम है. इसे लोग पूरी तरह से अपना नहीं पाए हैं. ये सही है, क्योंकि हमारे देश में रिश्तों की परिभाषा दूसरे देशों से अलग है. इसमें जो कमी आ रही है, उसे ही हम रियलिटी शो के द्वारा जोड़ने और उसकी महत्व को समझाने का प्रयास कर रहे हैं.

आप परिवार के साथ काम का सामंजस्य कैसे करती है?

आज अधिकतर मां कामकाजी हैं, ऐसे में उन्हें एक प्लानिंग करनी पड़ती है. कई बार ऐसा होता है कि आप कुछ न कर पाने की वजह से अपराधबोध का शिकार होते हैं, पर मेरे और महेश भूपति के बीच में एक अच्छा सामंजस्य है. अगर मेरा काम रहता है, तो वह बच्चे के साथ रहते हैं और अगर उनकी गेम होती है, तो मैं बेटी के साथ में रहती हूं. अब मेरी बेटी थोड़ी बड़ी भी हो गयी है. स्कूल में जाती है और उसे भी समझ में आ गया है कि मम्मी क्या करती है, इसलिए मुश्किल नहीं होती.

फिल्मों में कम दिखायी पड़ने की वजह क्या है?

अधिक फिल्म करने की अब कोई वजह नहीं, जो कहानी अच्छी लगती है, उसे ही आराम से करती हूं, क्योंकि अगर मैं घर छोड़ रही हूं, तो कहानी इतनी आकर्षक होनी चाहिए कि उसे करने के लिए मेरा दिल ललचाये.

क्या कुछ मलाल रह गया है?

मेरे लिए मेरी एक पसंदीदा फिल्म ‘चलो दिल्ली’ थी, जिसे मैंने ही प्रोड्यूस किया था. ऐसी कोई भी भूमिका जिसे करने में चुनौती हो. उसे करना चाहती हूं. ये शो भी मेरे लिए खास है, क्योंकि बहुत दिनों बाद मुझे आम दर्शकों के साथ जुड़ने का अवसर मिल रहा है. अभी तक तो मैं केवल चरित्र के साथ ही जुड़ रही थी.

बच्चों में आजकल हिंसात्मक प्रवृत्ति बढ़ी है, इसे कैसे लेती हैं? क्या संदेश देना चाहती हैं?

मां बनने के बाद पहली जिम्मेदारी होती है कि बच्चे का लालन-पालन और सुरक्षा अच्छी तरह से हो. आज मीडिया बहुत स्ट्रौंग है, पलक झपकते ही न्यूज आ जाती है. जबकि पहले कई दिनों बाद कोई समाचार मिलता था. इसलिए मां की चेतना को बनाये रखने और सजग रहने की जरुरत है. सावधान रहना भी आवश्यक है.

आप कैसी मां है?

मैं अनुशासन प्रिय मां हूं और उसे बनाए रखने की कोशिश करती हूं.

आपकी फिटनेस का राज क्या है?

बच्चा होने के बाद मेरा वजन बढ़ गया था, लेकिन मैंने इसे आर्गेनिकली और नैचुरली धीरे-धीरे कम किया है. केमिकल चीजों पर मैं विश्वास नहीं करती. डाइटिंग मैं नहीं करती. मुझे अपनी बेटी को बढ़ते हुए, उसकी शादी और बच्चे को देखने की इच्छा है. इसके अलावा मेरे ऊपर इतना कोई दबाव नहीं है कि मैं पतली होने के लिए कुछ भी करती फिरू.

आगे की योजनायें क्या है?

आगे मैं कुछ हिंदी फिल्मों और इंटरनेशनल सीरीज को प्रोड्यूस करना चाहती हूं. जो रियल स्टोरी बेस्ड हो, जिसे लोग देखना पसंद करें.

क्या कुछ सामाजिक कार्य करने की इच्छा है?

मैंने ‘ह्यूमन ट्राफिकिंग’ के साथ कुछ काम किया है. इसके अलावा ‘आश्रय’ के बच्चों के साथ भी काम किया है. महिला और बच्चे ही मेरे लिए खास है जिनके लिए मुझे काम करना पसंद है.

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