शिलौंग, मेघालय से आ कर बौलीवुड का हिस्सा बनीं अभिनेत्री पत्रलेखा को गंभीर व संजीदा फिल्म ‘सिटी लाइट्स’ कर के शोहरत बटोरने के बावजूद नई फिल्में नहीं मिलीं, तो सैक्सी फिल्म ‘लव गेम्स’ करनी पड़ी, जिस के लिए वे खुद को ही दोषी मानती हैं. अपनी अब तक की अभिनय यात्रा के बारे में पत्रलेखा कहती हैं, ‘‘बतौर हीरोइन मेरी पहली फिल्म ‘सिटी लाइट्स’ के रिलीज होने के बाद हर किसी ने मेरी तारीफ की.

मगर ‘सिटी लाइट्स’ के बाद मुझे फिल्मों के औफर नहीं मिले, तो मैं ने फिल्म ‘लव गेम्स’ की. इस फिल्म की शूटिंग करते समय मुझे एहसास हुआ कि यह मेरा गलत निर्णय था. ‘‘अब मेरी तीसरी फिल्म ‘नानू की जानू’ प्रदर्शित हुई है. लोग मेरे काम की तारीफ कर रहे हैं. इस तरह मेरा कैरियर अपनी गति से आगे बढ़ रहा है.’’

आसान नहीं थी डगर पत्रलेखा गैर फिल्मी परिवार की होने के बावजूद फिल्मों में आईं

वे कहती हैं, ‘‘मेरी अभिनेत्री बनने की यात्रा काफी लंबी रही, क्योंकि हमारे परिवार का फिल्मों से कोई जुड़ाव नहीं था. पर मुंबई में हमारा घर था, तो यहां आना आसान हो गया. मेरे मातापिता ने अंधेरी ओशिवरा में बहुत पहले घर ले रखा था. कालेज की पढ़ाई के लिए उन्होंने मुझे मुंबई भेजा. मैं यहां सीए बनने आई थी. पर यहां आ कर मैं अभिनय में संभावनाएं ढूंढ़ने लगी. पहले कुछ विज्ञापन फिल्में की. फिर फिल्मों के लिए औडिशन देने के लिए बुलावा आने लगा. जब फिल्मों के लिए औडीशन के लिए बुलावा आने लगा, तो मैं ने सीए की पढ़ाई छोड़ दी.’’

काम की सराहना

‘नानू की जानू’ फिल्म में पत्रलेखा के अभिनय की खूब सराहना हो रही है. वे कहती हैं, ‘‘इस फिल्म को करने से पहले मैं ने स्क्रिप्ट पढ़ी. मुझे लगा कि ‘लव गेम्स’ जैसी फिल्म से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ‘नानू की जानू’ एक बेहतरीन फिल्म है.’’

सुना है कि पत्रलेखा लिख भी रही हैं?

इस सवाल पर वे कहती हैं, ‘‘उस की चर्चा अभी नहीं करना चाहतीं. मेरा मानना है कि एक कलाकार के लिए लिखना बहुत अच्छी ऐक्सरसाइज होती है.’’ चित्रलेखा विद्या बालन की तरह अपने कैरियर को आगे ले जाना चाहती हैं. विद्या ने भी ‘डर्टी पिक्चर्स’ करने के बाद ‘कहानी’ जैसी फिल्म करने का अवसर पाया था.

VIDEO : पीकौक फेदर नेल आर्ट

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