पिछले कुछ वर्षों से सलमान खान की हर फिल्म में कोई न कोई संदेश जरुर होता है. उसी परिपाटी का निर्वाह एक्शन प्रधान फिल्म ‘‘टाइगर जिंदा’’ है में भी किया गया है. अली अब्बास जफर निर्देशित फिल्म ‘‘टाइगर जिंदा है’’ 2012 की कबीर खान निर्देशित सफल फिल्म ‘‘एक था टाइगर’’ का सिक्वअल है. ‘‘ट्यूबलाइट’’ से निराश हुए सलमान खान के प्रशंसकों को फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ पसंद आएगी.

फिल्म की कहानी अविनाश सिंह राठौर उर्फ टाइगर (सलमान खान) और उनकी पत्नी जोया (कटरीना कैफ) के इर्द गिर्द घूमती है. दोनों खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं. फिल्म की शुरुआत में टाइगर अपने बेटे के साथ भेड़ियो के एक दल से लड़ रहा है. उधर सीरिया में चल रहे युद्ध की पृष्ठभूमि में इराक में आईएसी नामक आतंकवादी संगठन के मुखिया अबू उस्मान (सज्जाद डेलफ्रूज) घायल हो जाता है, तब उसका इलाज करने के लिए नर्सो को ले जा रही एक बस का अपहरण कर इन नर्सों को एक अस्पताल में बंदी बना लिया जाता है. इन नर्सों में 15 पाकिस्तानी और 25 भारतीय नर्सें हैं. दुनिया की इस खतरनाक आतंकवादी संगठन के चंगुल से अब इन नर्सो को बचाना असंभव माना जा रहा है. तब रौ के उच्चाधिकारी शेनाय (गिरीश कर्नाड), टाइगर को इराक में बंधक बनायी गयी 25 नर्सों को बचाने के मिशन पर भेजते हैं. टाइगर के साथ मेजर नवीन (अंगद बेदी) सहित तीन चार लोग हैं. अस्पताल के अंदर घुसने की फिराक में टाइगर घायल हो जाता है, तो वहां पर जोया आकर उसकी मदद करती है. उधर जोया के ही कारण पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट जहीर (सुदीप) से टाइगर मिलता है और दोनों मिलकर आतंकवादियों का सफाया करने का निर्णय लेते हैं.

जहां तक कहानी का सवाल है, तो फिल्म में कहानी का घोर अभाव है, मगर फिल्म में एक्शन इतना अधिक और बेहतरीन है कि एक्शन ही दर्शकों को बांधकर रखता है. फिल्म में एक्शन दृष्य भारी मात्रा में है. हौलीवुड एक्शन निर्देशक टौम स्टूथर्स ने कार का पीछा करना, बम विस्फोट, तेल टैंकरों में आग लगाना, गोलियों का चलना जैसे एक्शन दृष्यों का कुशल निर्देशन कर इन एक्शन दृष्यों को देखने योग्य बनाया है. बेहतरीन स्पेशल इफेक्ट्स व वीएफ एक्स की वजह से यह सारे एक्शन दृष्य काफी बेहतर बन पड़े हैं.

फिल्म का क्लायमेक्स अस्वाभाविक लगता है. जहां टाइगर अकेले ही अपनी गन से सौ से अधिक आईएससी के आतंकवादियों को भूनकर रख देता है. इसी तरह यह बात गले नहीं उतरती कि आईएससी के ढेर सारे आतंकी टाइगर की छोटी टीम से लड़ नहीं पाते.

फिल्म में सलमान खान हैं, तो स्वाभाविक तौर पर देशभक्ति की बात तो होनी ही है. वह समय समय पर अपने साथियों को इस बात की याद दिलाते रहते हैं. फिल्म में भारतीय रौ एजेंट और पाकिस्तानी आईएएस एजेंट मिलकर लड़ते हैं, यानी कि रौ व आईएएस के बीच प्रेम मोहब्बत दिखायी गयी है. फिल्म में मानवता की भी बात की गयी है.

निर्देशक अली अब्बास जफर का काम कुछ ढीला ढाला सा है. कुछ संवाद ठीक ठाक हैं. फिल्म के कैमरामैन मार्किन लास्कावी और पार्श्व संगीतकार ज्यूलियस पक्कियम बधाई के पात्र हैं. कैमरामैन मार्किन लास्कावी ने उम्दा काम किया हैं, जिसके चलते रेगिस्तान के दृष्य हों या पहाड़ के दृष्य हों, सभी बहुत खूबसूरत बने हैं.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो सलमान खान ने अपनी पिछली फिल्म ‘‘सुल्तान’’ से भी कहीं ज्यादा बेहतरीन परफार्मेंस दी है. एक्शन दृष्यों में कटरीना कैफ प्रभावित करती हैं, मगर भावना प्रधान दृष्यों में उनका चेहरा पत्थर की मूर्ति की तरह नजर आता है. परेश रावल, कुमुद मिश्रा, अंगद बेदी ने भी काफी अच्छी परफार्मेंस दी है. अबू उस्मान के किरदार में सज्जाद डेलफ्रूज एकदम सही बैठे हैं.

दो घंटे 41 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘टाइगर जिंदा है’’ का निर्माण ‘‘यशराज फिल्म्स’’ के बैनर तले आदित्य चोपड़ा ने किया है. फिल्म के निर्देशक अली अब्बास जफर, कहानी व पटकथा लेखक अली अब्बास जफर व नीलेश मिश्रा, संगीतकार विशाल शेखर, पार्श्व संगीतकार ज्यूलियस पक्कियम, कैमरामैन मार्किन लास्कावी तथा फिल्म को अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं- सलमान खान, कटरीना कैफ, सज्जाद डेलफ्रूज, संदीप अंगद बेदी, कुमुद मिश्रा, गिरीश कर्नाड, अंजली गुप्ता, नेहा हिंगे, इवान राड्रिंग्स व नवाब शाह हैं. फिल्म को आबू धाबी, आस्ट्रीया, ग्रीस और मोरक्को में फिल्माया गया है.

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