-“देश को आजादी भीख में मिली है.” ऐसा दुस्साहस पुर्ण वक्तव्य देकर फिल्मी दुनिया में अपना एक वजूद बनाने के बाद कंगना राणावत क्या इतनी बड़ी शक्ति हो चुकी है कि देश का प्रधानमंत्री कार्यालय अर्थात पीएमओ, केंद्र सरकार और कानून, उच्चतम न्यायालय असहाय हो गया है?
क्या कंगना राणावत को कोई अदृश्य संरक्षण मिला हुआ है? साफ साफ ये कहना कि 1947 में मिली हुई आजादी हमें भीख में मिली है और इसके बाद यह कहना कि आजादी तो 2014 के बाद मिली है यानी नरेंद्र दामोदरदास मोदी की सरकार आने के बाद.
इस कथन में यह साफ दिखाई देता है कि इस सोच के पीछे कौन सी शक्ति काम कर रही है और देश को कहां ले जाना चाहती है.
दरअसल, कंगना राणावत को जिस तरीके से “पद्मश्री” मिला है जिस तरीके से उसकी हर गलत नाजायज बातों को हवा दी जा रही है वह देश हित में तो नहीं है. मगर एक विशेष विचारधारा और राजनीतिक दल को यह सब सुखद लगता है. परिणाम स्वरूप कंगना राणावत देश में आज चर्चा का विषय बन गई है और कानून के लिए एक चुनौती भी.
आज देश की आम जनता को यह सोचने समझने का गंभीर समय है. जब ऐसे समय में देश की महान विभूतियां स्वतंत्रता सेनानियों पर कोई एक महिला प्रश्न खड़ा कर रही है, जब किसी एक महिला कि यह हिमाकत हो सकती है कि आजादी को भीख कह दे, तो यह समय चिंता करने का है और अपनी धरोहर को समझने का और संभालने का भी है.
क्योंकि एक प्रवक्ता की तरह जिस तरह कंगना राणावत ने मोर्चा संभाला है, यह जगजाहिर कर चुका है कि आने वाले समय में कंगना कन्हैया कुमार की तरह जेल नहीं जाएंगी. बल्कि उनके पक्ष में हो सकता है कुछ और बड़े नामचीन लोग आकर खड़े हो जाएं और बातों को ट्विस्ट करने लगें. आज का समय ऐसा ही है आजकल पुराने ऐतिहासिक तथ्यों को समाप्त करने का और एक नए युग का निर्माण का भ्रम पालने वाले लोगों का है.
शायद यही कारण है कि रातों-रात यह निश्चय कर लिया गया कि एक नया संसद भवन बनाना चाहिए गांधी जी की, और नेहरू के इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के उन ऐतिहासिक चिन्हों को नष्ट कर दिया जाना चाहिए क्योंकि वहां पर हमें अच्छा करना है!
यह अच्छा करने का भ्रम पैदा करके महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य और स्थानों को नष्ट करने का प्रयास जारी है.
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इसी क्रम में हमने देखी है नोटबंदी,ताकि नोट से गांधी जी को हटा दिया जाए. हालांकि यह हो नहीं सका. मगर लोगों के दिलों दिमाग से देश के महान विभूतियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को खत्म करने कि यह जो सोच है यह अपना काम आज तेजी से कर रही है. क्योंकि वह आज पावरफुल है. ऐसे में यही कहा जा सकता है कि यह देश यह धरोहर आज की पीढ़ी की हाथों में है वह इसे कैसे संभाल पाएगी या फिर नष्ट होने देगी यह उन्हीं के कांधे पर है.
जैल भेजें, कानून के रखवाले
छोटी-छोटी बातों पर देश की बात करने वाले, देशभक्ति की बात करने वाले आज कसौटी पर हैं. क्योंकि आज कंगना राणावत ने देश की आजादी को भी हमें भीख में मिलने का कथन कह कर इन सारे देश भक्ति की हिमायत करने वालों को कटघरे में खड़ा कर दिया है.सवाल है अगर कोई अपना गलत बोलता है तो उसे छूट मिल सकती है क्या? यह प्रश्न भी आज उन लोगों के सामने खड़ा है जो देश और देश भक्ति का राग अक्सर बिला वजह अलापते रहते हैं, और जब आज समय कुछ करने का है, तो मौन है.
आज महाभारत के पात्र समय के उद्घोष का है यानी “समय” चेहरे देखने का है और चेहरे से नकाब उतरते हुए देखने का भी.
सचमुच सत्ता के शीर्ष पर बैठे हुए दोहरे चरित्र के लोगों का सच आज धीरे-धीरे देश की जनता के सामने आता चला जा रहा है.
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