सपनों को पूरा करने में उम्र कभी आड़े नहीं आती, जरुरत होती है, मेहनत, लगन और पैशन, ये सारी चीजे कुछ भी करने से रोक नहीं पाती और इसे ही कर दिखाया है दिल्ली की 36 वर्षीय खूबसूरत और गोर्जियस अलीशा ओहरी, उन्होंने बुल्गारिया में होने वाली ‘मिसेज यूनिवर्स 2022 – 23’ की प्रतियोगिता में ‘मिसेज पॉपुलैरिटी 2022-23’ का ख़िताब जीती.
इस ख़िताब के पाने के बादअलीशा ओहरी को ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि दो बच्चों की माँ होने पर भी उन्हें ये ख़िताब मिला. 120 सुंदरियों में ये ख़िताब जीतना उनके लिए आसान नहीं था. इसमें उसके पति ध्रुव ओहरी और बेटा 13 साल का और बेटी 10 साल का सहयोग रहा है.अलीशा ने मेहनत, लगन और कठिन परिश्रम से फाइनल दौर में पहुंची, कैसे उन्हें ये ख़िताब मिला, आइये जाने उन्ही से.
जरुरत है अच्छे व्यक्तित्व की
ब्यूटी पेजेंट में जाने के लिए सुंदर होना कितना जरुरी है ? पूछने पर अलीशा कहती है कि सौन्दर्य प्रतियोगिता में अच्छा व्यतित्व सुन्दरता से अधिक महत्वपूर्ण होता है. आज ऐसे बहुत से माध्यम है, जिससे आप बहरी सुन्दरता को निखार सकते है मसलन मेकअप, सर्जरी, ड्रेसिंग आदि , लेकिन आतंरिक ब्यूटी का दिखावा नहीं किया जा सकता. हम अंदर से जैसे है, हमारे व्यवहार से वह साफ पता चल जाता है. आप दूसरों के प्रति कैसा व्यवहार रखती है,उसे ही लोग हमेशा याद रखते है, आपकी सुन्दरता को नहीं. इसलिए आपका सुंदर होना या न होना आवशयक नहीं, जितना आपको एक अच्छा व्यक्ति होना आवश्यक है. यह केवल समाज के लिए ही नहीं, हर ब्यूटी पीजेंट प्रतियोगिताओं के लिए जरुरी है. इसके अलावा आत्मविश्वास बहुत आवश्यक है, क्योंकि इससे किसी अपूर्णता में भी व्यक्ति कॉन्फिडेंस रख सकेंगे और आगे बढ़ते जायेंगे.
मिस इंडिया बनने का था सपना
अलीशा कहती है कि बचपन से ही मिस इंडिया बनने का सपना था, लेकिन पढाई और शादी की वजह से मैं कुछ नहीं कर पाई थी, लेकिन ड्रीम मैंने देखा है तो उसे पूरा करने के लिए मैंने हर तरह से खुद की देखभाल की. मुझे ये मौका 13 साल बाद मिला और मैंने मिसेज इंडिया में भाग लिया. इसमें शामिल होना मेरे लिए बड़ी चुनौती रही, क्योंकि मैं एक होममेकर हूँ. मैंने प्रोफेशनली कुछ भी नहीं किया था, जब मैंने इसमें भाग लिया तो जो भी चीजे मुझे सीखाई गई, फिर चाहे वह बोलचाल,रहन-सहन, डाइट आदि में हर चीज में मैंने पूरी मेहनत की. इस प्रतियोगिता में पूरे इंडिया से महिलाएं आई हुई थी, जिसमे कोई डॉक्टर, तो कोई पुलिस ऑफिसर आदि सभी अपने क्षेत्र में माहिर थी, लेकिन मैंने खुद पर विश्वास को नहीं छोड़ा और फॅमिली के सहयोग से मिसेज इंडिया के ख़िताब को पाने की होड़ में जुड़ गई. मेरे पति ,बच्चे सभी मेरे साथ रहे और मैं ‘मिसेज इंडिया 2022’का ख़िताब जीत गई और मुझे मिसेज यूनिवर्स में जाने का मौका मिला. मैंने अपने देश को रिप्रेजेंट किया और मेरे लिए एक बड़ी जिम्मेदारी थी. इसमें मैंने पिछले साल की मिसेज यूनिवर्स को देखा उनकी खूबियों को अपने अंदर लाने की कोशिश की और मैंने ‘मिसेज पॉपुलैरिटी 2022-23’का ख़िताब जीत कर आई.
क्रिएटिविटी है पसंद
अलीशा आगे कहती है कि मेरे पेरेंट्स हमेशा पढाई में आगे बढ़ने को कहते थे,उनका काम पढ़ाई में आगे बढ़ने को कहना था, लेकिन मुझे क्रिएटिविटी बहुत पसंद थी. जिसमे डांस, सिंगिंग,फैशन इन्ही चीजों में आगे बढ़ना था. उन्हें भी ये सब पसंद था, लेकिन उनके लिए पढ़ाई सबसे उपर थी. कॉलेज के साथ-साथ मैंने मेकअप में एक साल का डिप्लोमा भी किया है. उसके बाद शादी और बच्चे हो गए. मेरे पति ने कभी मुझे कुछ करने से रोका नहीं. पति के सहयोग के बिना ये संभव भी नहीं था, उन्हें मुझपर विश्वास रहा है कि मैं ये सब कर सकती हूँ. उनका प्रोत्साहन मुझे हमेशा मिला है.
उद्देश्य पर थी नजर
अलीशा का कहना है कि पहली बार मंच पर जाने की नर्वसनेस मुझे नहीं थी, क्योंकि पति का सहयोग बहुत अधिक रहा. इसके अलावा मैंने सेल्फ लव कभी कम नहीं किया है. बच्चों का ध्यान रखने के साथ-साथ खुद का ध्यान रखना, कभी नहीं छोड़ा. स्टेज पर भी मुझे किसी प्रकार की नर्वसनेस नहीं थी, 4 दिन की इस सेशन में मैने अपनी नजर अपने गोल पर टिकाये रखी. बहुत सारे राउंड होते रहे, उन सभी में आगे बढ़ना बहुत कठिन था,इतनी सारी लड़कियों को देखकर मैं घबराई नहीं. कुछ भारतीय महिलाएं ऐसी भी थी, जो इंडियन थी, लेकिन बाहर से आई हुई थी. मेरे लिए मेरा ‘मिसेज इंडिया’का टाइटलजीतना बड़ी जीत रही, क्योंकि मेरे परिवार में किसी ने इसकी कल्पना नहीं की थी. मेरे पति के आँखों में आसू तक आ गए थे. मेरा पूरा परिवार ख़ुशी से झूम उठा था. बुल्गारियां में जाकर 120 प्रतिभागी में कुछ भी जीतना आसान नहीं था, क्योंकि सभी सुंदरियाँ अपने देश की विनर थी.
बदलनी है सोच
मिसेज यूनिवर्स में सभी सुन्दरियों को डोमेस्टिक वायलेंस पर बोलना पड़ा, जो आसान नहीं था. अलीशा कहती है कि पुराने ज़माने से पुरुष को अधिक शक्तिशाली माना जाता है और ये सोच ही गलत है. जब तक सभी ये नहीं सोच पाते कि पुरुष और महिला दोनों ही ताकतवर है, तब तक कुछ भी सकता. महिला और पुरुष दोनों बराबर है. ये बातें बच्चों को बचपन से ही सिखाना जरुरी है. बहन और भाई में फर्क नहीं है. देखा जाय तो हर देश में पुरुष, महिला को पीटते है, केवल भारत में ही नहीं हर देश में डोमेस्टिक वायलेंस है. इसमें औरतों को भी समझना पड़ेगा कि वे किसी से कम नहीं है. मैंने देखा है कि महिलाएं खुद को पुरुषों से कमजोर समझती रहती है. गलत चीजों को अपने ऊपर लेती है, जो ठीक नहीं. समस्या है तो सुलझाये, अपने ऊपर न लें. असल में ये सारी चीजे बचपन से ही शुरू होती है, जहाँ पुरुषों को मजबूत बता दिया जाता है.
किये ग्रो
इस अवार्ड शो से मैंने बहुत कुछ सीखा है, क्योंकि मुझे हमेशा से ब्यूटी पेजेंट में भाग लेने की इच्छा रही. मैंने ग्रूमिंग क्लासेज से खुद को बहुत पॉलिश किया और कॉन्फिडेंस भी मिला. आगे मैं एक्टिंग, मॉडलिंग और फैशन से जुड़े रहना चाहती हूँ. मैं हमेशा सोशल वर्क से जुडी रही और आगे भी करुँगी.
खुद से करें प्यार
अलीशा कहती है कि मैंने 13 साल तक कुछ भी नहीं किया था, बच्चों को पूरा टाइम दिया, लेकिन बच्चों के थोड़े बड़े होने पर मैंने इस ओर ध्यान दिया, क्योंकि अब वे खुद अपना काम कर सकते है. होममेकर को लगता है कि बच्चे हो गए है तो अब उनकी जिंदगी में कुछ करने को नहीं रह गया है, बच्चे या पति ही कुछ करेंगे, जबकि ऐसा नहीं होता, आपकी जिंदगी खुद की जिंदगी है, जब भी समय मिले आगे बढे, क्योंकि इससे परिवार और बच्चे भी प्रेरित होते है. खुद पर विशवास करना और अपनी देखभाल करना कभी न छोड़े. सपने है तो उन्हें पूरा करें. खुद से प्यार करना सीखे.