फिल्म रेटिंगः एक स्टार
निर्माता: ‘‘आर्गन इंटरटेनमेंट के तहत अरविंद अग्रवाल
निर्देशकः स्वदेश
कलाकारः ओंकारदास माणिकपुरी, स्पेन की अदाकारा नीरा सुआरेज,देश दीपक,राजेश मौर्य,अरविंद अग्रवाल, लल्लन लाहिरी,मनोज अग्रवाल,महिमा तिवारी,कंचन भारद्वाज,आरती, अखिलेश गौड़ व अन्य
संगीतकारः सिंह बदर्स और डी जे भरली,
गीतकारः पं.किरण मिश्र,एस आर भारती,निरंजन
कैमरामैनः पप्पू के शेट्टी
उपदेशपरक व एक अजेंडे के तहत जब फिल्मकार फिल्म बनाने निकलता है,तो वह अपने मन की सारी भड़ास निकालने के चक्कर में फिल्म का बंटाधार कर बैठता है.ऐसा ही फिल्मकार स्वदेश ने फिल्म ‘चतुरनाथ’के साथ किया है.अफसोस की बात यह है कि इस फिल्म के साथ फिल्म के लेखक व निर्देशक स्वदेश के पिता व मशहूर वरिष्ठ गीतकार पं.किरण मिश्र भी जुड़े हुए हैं.
कहानी
कहानी चतुरनाथ की है,जो कि हर गरीब इंसान की मदद करना चाहते हैं. वह गरीब को कानून से न्याय दिलाने के लिए फर्जी वकील तक बन जाते हैं. वास्तव में वह बेरोजगार हैं और ईंट भट्टा के अलावा कई तरह के गैर कानूनी धंधों में लिप्त गजराज उन्हें अपने वकील विराट टंडन से कहकर फर्जी वकील बनवा देते हैं. जिससे चतुरनाथ गरीब मजदूरों को मूर्ख बनाते रहें. मगर वकीलों का काला कोट पहनते ही चतुरनाथ के अंदर का इमान जाग उठता है और वह वकीलों के लिए गजराज से ही भिड़ जाते हैं. चतुरनाथ अपनी चतुराई दिखाते हुए बाइक चालक को हेल्मेट लगाने, कार चालक को बेल्ट लगाने,कहॉं थूंके सहित कई उपदेश बांटते नजर आते हैं.
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एक दिन ईंट भट्टा के मजदूर बताते हैं कि गजराज ने उन्हें छह माह से पैसे नहीं दिए, तो वह गजराज से फोन पर बात करते हैं और फिर गजराज के महलनुमा मकान पर पहुंचकर गजराज से माफी मांगते हैं. यहीं पता चलता है कि विराट टंडन ने भी अब गजराज के गलत कामों में साथ देने से मना कर दिया.उसी दिन अदालत में गजराज के आदमी बम विस्फोट करते हैं, जिसमें विराट टंडन सहित कई लोग मारे जाते हैं. चतुरनाथ अपना एक पैर खो बैठते हैं. सरकार इसे आतंकवादी घटना घोषित करती है. क्योंकि सरकार के मंत्री भी गजराज से मिले हुए हैं.चतुरनाथ को बीमा कंपनी की तरफ से से मिले दस लाख और सरकार द्वारा दिए गए पॉंच लाख रूपए भी गजराज हड़प जाते हैं. एक दिन चतुरनाथ से गजराज खुद सब कुछ कबूल देते हैं.
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