रेटिंगः दो स्टार
निर्माताः फौक्स स्टार स्टूडियो,दीपिका पादुकोण,मेघना गुलजार और गोविंद सिंह संधू
निर्देशकः मेघना गुलजार
कलाकारः दीपिका पादुकोण, विक्रांत मैसे, मधुरजीत सरघी, रोहित सुख्वामी,आनंद तिवारी और अन्य.
अवधिः दो घंटे तीन मिनट
पिछले कुछ समय से सिनेमा में सामाजिक मुद्दों के साथ औरतों की त्रासदी,उनके शोषण वाली कहानियों को तरजीह दी जा रही है. उसी दिशा में एसिड अटैक सरवाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन से प्रेरित कहानी को फिल्मकार मेघना गुलजार फिल्म ‘‘छपाक’’ में लेकर आयी हैं, मगर फिल्म मनोरंजक की बजाय डाक्यू ड्रामा बनकर रह गयी है. फिल्म में औरतों के प्रति पुरूषों द्वारा की जाने वाली हिंसा और शोषण ही मुख्य मुद्दा है. मगर जब फिल्मकार किसी खास सोच के साथ फिल्म का निर्माण करता है, तो सिनेमा अपनी आत्मा खो बैठता है.ऐसा ही कुछ ‘छपाक’के साथ हुआ. फिल्म में एसिड सरवाइवर मालती की कहानी और किसी भी लड़की पर एसिड फेंकने की वजह का जो निष्कर्ष फिल्मकार ने दिया है, वह अपने आप मे विराधोभाषी है. इतना ही नहीं लड़की पर एसिड अटैक को ‘ओमन इम्पवारमेंट’से जोड़कर फिल्मकार ने किसी भी लड़की के चेहरे पर एसिड फेंकने के जघन्य अपराध को भी कमतर कर दिया.
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कहानीः
फिल्म शुरू होती है निर्भया कांड के बाद दिल्ली में हो रहे विरोध से.निर्र्भया कांड का विरोध व नय की मांग करने वाली आम जनता जब पुलिस बैरी केटर तोड़कर आगे बढ़ती है, तो किस तरह दिल्ली पुलिस उन पर लाठी मांझती है और उन पर पानी की बौछार करती है, से. यहां पर मीडिया का जमावड़ा भी है. तो वहीं एक बूढ़ा व्यक्ति अपनी बेटी की फोटो लेकर न्याय के लिए भटक रहा है, जिस पर एसिड अटैक हमला हुआ था. महिला टीवी रिपोर्टर उससे कहती है कि उसकी कहानी बाद में सुनी जाएगी, तभी वहां पर अमोल द्विवेदी (विक्रांत मैसे) पहुंचता है और वह उस वृद्ध को अपने साथ लेकर जाता है. पर अमोल जाते जाते रिपोर्टर पर तंज कसता है कि लोगों के लिए लड़की पर एसिड हमला ज्यादा मायने नहीं रखता. तब वह महिला रिपोर्टर निर्भयाकांड के सात साल पहले एसिड हमले की शिकार मालती (दीपिका पादुकोण) की तलाश में जुट जाती है और वह मालती को ढूढ़कर उसका इंटरव्यू करती और उसे अमोल द्विवेदी से मिलने के लिए कहती है कि अमोल उसे नौकरी देंगे. फिर मालती,अमोल की एनजीओ ‘आशा’ में काम करने लगती है,जो कि एसिड सरवाइवर लड़कियों की मदद करती है. एसिड हमले के बाद मालती के शराबी पिता की मौत हो चुकी है, भाई टीवी का मरीज है और अस्पताल में है.मॉं पैसे को लेकर परेशान रहती है. मालती अदालत में खुद पर एसिड फेंकने वाले मुस्लिम युवक बब्बू का सजा दिलाने का मुकदमा लड़ने के साथ ही एसिड की ब्रिकी पर रोक लगाने का भी मुकदमा लड़ रही है. इसी के साथ बीच बीच में मालती की अपनी कहानी आती रहती है कि मालती के माता पिता किस तरह एक अमीर शिराज परिवार में नौकरी करते हैं और उन्ही के यहां नौकरों के बने कमरे में रहती है.वह बाहरवीं की पढ़ाई कर रही है.उसके घर पर मुस्लिम युवक बब्बू का आना जाना है.बब्बू मन ही मन मालती के साथ शादी का सपना देख रहा है.पर मालती को नहीं पता.मालती तो उसे बब्बू भइया कहती है. मालती और राजेश दोनो प्यार करते हैं दोनो एक साथ स्कूल जाते हैं. एक दिन बब्बू को इस बात का पता चल जाता है,तो वह इसका विरोध करता है और मालती को मोबाइल पर संदेश भेजता है कि वह उससे शादी करेगा.मालती चुप रहती है. इसी चुप्पी के चलते एक दिन बब्बू अपनी बहन परवीन के साथ मिलकर मालती पर तेजाब फेंक देता है.मकान मालकिन उसका महंगे अस्पताल में इलाज करवाती है और वकील अर्चना(मधुरजीत सरगी)उसका मुकदमा लड़ती है..फिर अमोल के एनजीओं से जुड़कर एसिड सरवाइर लड़कियों के लिए काम करना शुरू करती है.बाद में उसे एक टीवी चैनल में नौकरी मिल जाती है.अंततः बब्बू को अदालत से दस साल की सजा और एसिड बिक्री पर कानून बन जाता है.इसी कहानी के बीच में वकील अर्चना की पारिवारिक कहानी भी चलती है कि किस तरह उसका पति(आनंद तिवारी ) हर वक्त उसकके काम में हाथ बताता है.अर्चना का पति खुद बेटी के बालों की चोटी करने से लेकर उसकी जन्मदिन पार्टी के काम को भी संभालता है, जिससे अर्चना अपने काम को सही ढंग से अंजाम दे सके.
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