अकसर देखा गया है कि बौलीवुड में गायक, संगीतकार, अभिनेता, निर्देशक वगैरह बन कर विश्व में छा जाने के बड़ेबड़े सपने ले कर ज्यादातर लोग अपने परिवार या समाज के बीच बड़ेबड़े दावे कर के या परिवार के विरोध के बावजूद मायानगरी मुंबई पहुंचते हैं. उन के स्वभाव में हार मानना नहीं होता. ऐसे में ये लोग अपनी मेहनत, परिश्रम, लगन के बल पर संघर्ष करना शुरू करते हैं. उन के अंदर की प्रतिभा और मेहनत करने का जज्बा उन्हें सफलता भी दिलाता है. लंबे संघर्ष के बाद जब सफलता मिलती है, तो उस का नशा भी उतना ही बड़ा होता है.

बौलीवुड में सफलता के इस नशे को पचा कर अपनी जड़ों यानी जमीनी हकीकत से जुड़ा रहना असंभव होता है. वास्तव में बौलीवुड में इंसान को जिस स्तर की शोहरत आदि मिलती है, उस के चलते उस की जिंदगी संग काफीकुछ ऐसा होता है जिस की उस ने कल्पना नहीं की होती है. और फिर, वह डिप्रैशन की तरफ बढ़ता जाता है. ऐसा ही कुछ दीपिका पादुकोण के साथ हुआ. एक तरफ उन्हें सफलता मिलती रही, तो दूसरी तरफ वे विवादों की रानी बनती चली गईं. फिर डिप्रैशन में चली गईं और अब तो नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में ड्रग्स के मामले में उन पर शिकंजा भी कसता जा रहा है.

बैंडमिंटन कोर्ट से बौलीवुड स्टार

मशहूर अंतर्राष्ट्रीय शोहरत बटोर चुके बैंडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण की डेनमार्क में जन्मी बेटी दीपिका पादुकोण शुरुआती दिनों में बैंडमिंटन खिलाड़ी बनना चाहती थीं. 17 वर्ष की किशोरावस्था में उन का बैडमिंटन कोर्ट से मोह  भंग हो गया और मातापिता से झगड़ कर ग्लैमर की दुनिया से जुड़ने के लिए बेंगलुरु से मुंबई पहुंच गईं. वहां पहुंचते ही उन्हें कुछ विज्ञापन फिल्में मिल गईं.

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