अकसर एक मां अपनी बेटी को सिखाती है कि अगर पति दो बातें बोलता भी है, तो सुन लेना चाहिए, उसका जवाब नहीं देना चाहिए. चाहे लड़की अपने पति से कम पढ़ीलिखी हो या ज्यादा. पति का आदेश सिरआंखों पर, लेकिन क्यों ?
किसी भी मामले में लड़कियां से लड़कों से कम नहीं है. हर क्षेत्र में लड़कियां ही आगे हैं, फिर शादी के बंधन में लड़कियां ही क्यों समझौता करे. यह रिश्ता बराबरी का है, तो सिर्फ लड़कियों को ही क्यों ऐसे पाठ पढ़ाए जाते हैं. आज के जमाने में लड़कियों में काफी बदलाव आया है. पैरेंट्स की भी सोच बदली है.
लेकिन हां जब तलाक (Divorce) की बात आती है, तो यह आम लोगों में थोड़ा पेंचिदा मामला हो जाता है, समय के साथ इसमें भी बदलाव धीरेधीरे आ ही जाएगा. कहा जाता है, सिनेमा समाज का दर्पण होता है. वाकई कुछ ऐसी फिल्में हैं, जो हमारे समाज के लिए बेहद प्रेरणादायक हैं और ये फिल्में हर किसी को देखना चाहिए. खासकर हर लड़की या शादीशुदा महिलाओं को ये फिल्म अपनी लिस्ट में शामिल करना चाहिए. जो तलाकशुदा महिलाओं पर आधारित है. कैसे एक औरत शादी टूटने के बाद समाज का सामना करती है और दुनिया में अपना एक वुजूद बनाती है.
थप्पड़ (2020)
तापसी पन्नू की यह फिल्म हर लड़कियों को जरूर देखना चाहिए. हमेशा लड़कियों को यह शिक्षा दी जाती है कि शादी के बाद रिश्ते में समझौता करना पड़ता है. इस फिल्म में एक थप्पड़ तलाक की वजह बना है. क्या ये इतनी बड़ी गलती है कि बात तलाक तक पहुंच गई. आपको यह फिल्म देखकर अहसास हो जाएगा कि एक थप्पड़ भी पतिपत्नी के रिश्ते में तलाक की वजह बन सकता है. ये फिल्म आईना है, जो सभी को देखना चाहिए, कैसे एक थप्पड़ पतिपत्नी की जिंदगी बदल देता है.
अर्थ (1982)
मेहश भट्ट की यह फिल्म तलाकशुदा महिलाओं को काफी प्रेरित करती है. इस फिल्म में एक ऐसी औरत की स्टोरी को बहुत ही बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है. दरअसल उस महिला का पति अपनी कामयाबी के लिए उसे छोड़ देता है. इसके बाद वह महिला खुद अपने लिए जीवन में आगे बढ़ती है. वह अपने जीने के लिए रास्ता चुनती है.
इस फिल्मे में स्मिता पाटिल और शबाना आजमी और कई बड़े कलाकारों ने काम किया है. फिल्म में शबाना आजमी ने बहुत ही शानदार किरदार निभाया है. स्त्री के हर उस किरदार को शबाना ने बहुत बारीकी से जिया है, कई महिलाएं भावनात्मक और आर्थिक तौर पर अपने पति पर डिपेंड रहती हैं, उन्हें ये मूवी जरूर देखना चाहिए.
आमतौर पर यह देखने को मिलता है कि जब पति अपनी पत्नी से रिश्ता तोड़ता है, तो पत्नी उसे खूब सुनाती है, लेकिन इस फिल्म में दिखाया गया है कि जब पूजा मल्होत्रा (शबाना) को पता चलता है कि उसका पति उसे धोखा दे रहा है, तो वह ये कहती है कि, “मुझसे क्या गलती हो गई इंदर. जो कमी थी कोशिश करूंगी वो न रहे. लेकिन एक मौका और दे दो.” इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक महिला इस रिश्ते से बाहर निकलती है और धीरेधीरे ज़िंदगी का मतलब समझती है. समय के साथ बदलाव आता है, जो उसकी जिंदगी की दास्तां बन जाती है.
आखिर क्यों (1985)
राकेश रोशन, स्मिता पाटिल और और टीना मुनीम की यह फिल्म ‘आखिर क्यों’ 1985 में रिलीज हुआ. इस फिल्म में दिखाया गया है कि शादी के बाद एक औरत के लिए उसका पति और उससे जुड़ी सारी चीजें पत्नी के लिए उसका संसार हो जाता है, लेकिन सबकुछ ठीक होने के बाद भी पुरुष अपनी आदतों से बाज नहीं आता और अपनी ही पत्नी के बहन के साथ अवैध संबंध बनाता है.
गर्भवती निशा यानी स्मिता पाटिल जब एक बेटी को जन्म देती है और इसके बाद पता चलता है कि उसके पति का अफेयर चल रहा है, तो वह उससे सवाल करती है लेकिन कबीर यानी राकेश रोशन अपना अफेयर खत्म करना नहीं चाहता है और उल्टा में निशा को एडजस्ट करने के लिए कहता है. ऐसे में निशा मना कर देती है और बेटी को घर की आया को सौंपकर छोड़कर चली जाती है.
पुरुषप्रधान समाज में कई अकेली निशा के सामने कई प्रौब्लम्स आते हैं, लेकिन वह उनका डट कर सामना करती है और अपने नए जीवन का रास्ता खुद चुनती है. वह अपनी एक नई पहचान बनाती है. यह फिल्म सिंगल महिला या तलाकशुदा महिलाओं को जरूर देखनी चाहिए. सिर्फ रिश्तों में उलझकर महिलाओं को अपनी जिंदगी नहीं बर्बाद करनी चाहिए. दुनिया में खुद का भी एक वुजूद होना चाहिए. जो जिंदगी को सफल बनाती है.
निकाह (1982)
यह फिल्म उस साल की सुपरहीट फिल्मों में से एक है. रिपोर्ट के अनुसार, उस दौर में इस फिल्म को लेकर विवाद भी हुआ था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेकर्स और फिल्म के खिलाफ 34 केस दर्ज हुए थे. लेकिन लोगों ने फिल्म को इतना पसंद किया था कि लाइन में लगकर लोगों ने टिकट लिए थे.
अगर आपने ये फिल्म नहीं देखी है तो आप ये फिल्म एक बार जरूर देखें. इस फिल्म में दिखाया गया है कि नीलोफर बानो (सलमा आगा) अपने पति के साथ के लिए तरसती है. उसका इंतजार करती है. कैसे एक खूबसूरत लड़की के सपने टूटते हैं.
इस फिल्म में महिलाओं की जिंदगी का एक अलग पहलू दिखाया गया है, जिसे पर्दे पर बेहद खूबसूरती से पेश किया गया है. तलाक के बाद एक औरत के कैरेक्टर पर क्याक्या सवाल उठाए जाते हैं, इस फिल्म में ये भी दिखाया गया है. ‘निकाह’ के गाने भी हिट हुए थे.
इजाजत ( 1987)
साल 1987 में रिलीज़ हुई इस फिल्म की कहानी दर्शकों के दिल को छू गई. इस फिल्म का निर्देशन गुलजार ने किया था. इस फिल्म में रेखा, नसुरुद्दीन शाह और अनुराधा पटेल मुख्य भूमिका में नजर आए थे.
इस फिल्म में दिखाया गया है कि अच्छे लोग भी गलतियां कर जाते हैं. फिल्म की कहानी पति और पत्नी के रिश्ते पर आधारित है. रेखा और नसीरुद्दीन शाह पतिपत्नी का किरदार निभाते हैं, लेकिन जो पति है, शादी के बाद अपनी पहली प्रेमिका को भूल नहीं पाता है. उनकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है, पत्नी को बहुत तकलीफ होती है, लेकिन वह अपने पति के लौटने का इंतजार नहीं करती. वह अपने जिंदगी में आगे बढ़ती है और दूसरे हमसफर को चुनती है और खुशहाल जिंदगी जीती है.