‘‘हंड्रेड डेज’’, ‘‘सितम’’, ‘‘दलाल’’, ‘‘अग्निसाक्षी’’, ‘‘खोटे सिक्के’’ जैसी 15 से 20 फिल्मों के निर्देशक पार्थो घोष पूरे आठ वर्ष की खामोशी के बाद वह बतौर निर्देशक फिल्म ‘‘मौसम इकरार के, दो पल प्यार के’’ लेकर आए हैं. अफसोस इस फिल्म को देखकर इस बात का अहसास ही नहीं होता कि इसका निर्देशन किसी अनुभवी निर्देशक ने किया हो.
संगीतमय प्रेम कहानी प्रधान फिल्म की कहानी के केंद्र में अमर सक्सेना (मुकेश जे भारती) और अंजली (मदालसा शर्मा) की प्रेम कहानी है. अमर अपनी मां दिव्या (उषा बच्छानी) के साथ पेरिस में रहता है, मगर पीएचडी करने के लिए वह मुरादाबाद आता है, जहां कभी उसके माता पिता रहा करते थे. कौलेज जाते समय अंजली की ही कार से उसे टक्कर लगती है और उसके हाथ में फ्रैक्चर हो जाता है, तब अंजली उसे अस्पताल ले जाती है. फिर अंजली, अमर को अपने घर ले जाती है, जहां अमर की मुलाकात अंजली की मां मधु (नीलू कोहली) और पिता राजेश मल्होत्रा (अविनाश वधावन) से होती है. अमर जब तक पूर्णरूपेण स्वस्थ नहीं हो जाता, तब तक अंजली के ही घर में रहता है.
अमर वापस मुरादाबाद चला जाता है. इधर अंजली को अहसास होता है कि वह तो अमर से प्यार करने लगी है. पर अमर उसके प्यार को ठुकरा देता है. इससे अंजली का दिल टूट जाता है. जब यह बात अंजली के पिता राजेश मल्होत्रा को पता चलती है, तो वह अपनी बेटी की खुशियों के लिए अमर को राजी करने का निर्णय लेते हैं. अमर, अंजली से शादी के लिए तैयार हो जाता है.
पर फिर राजेश मल्होत्रा को पता चलता है कि अमर तो उनके दुश्मन सुनील सक्सेना का बेटा है. पता चलता है कि कौलेज में पढ़ाई के दौरान सुनील सक्सेना का मुराबाद की ही लड़की सोनाली से प्रेम था. एक दिन सोनाली अपने घर वालों की मर्जी के खिलाफ कदम उठाते हुए घर से सुनील के साथ शादी करने के लिए भागती है, मगर कुछ वजहों से सुनील अचानक पेरिस चला जाता है और नियत स्थान पर नहीं पहुंचता, तो सोनाली आत्महत्या कर लेती है.