रेटिंगः दो स्टार
निर्माताः दिपानिता शर्मा अटवाल और सौभाग्य भट्टाचार्य
निर्देशकः रतन सील शर्मा
कलाकारः दिपानिता शर्मा, बोलाराम दास, रवि शर्मा, वहरुल इस्लाम, मनोज मोरबोरको
अवधिः एक घंटा 35 मिनट
ओटीटी प्लेटफार्मः शेमारू मी बाक्स आफिस
धीरे धीरे पूर्वात्तर भारत भी सिनेमा की मुख्य धारा से जुड़ना चाहता है और ओटीटी प्लेटफार्म इसमंे मददगार साबित हो रहे हैं, तभी तो अभिनेत्री दिपानिता शर्मा ने रतन सील शर्मा के निर्देशन में एक मनोवैज्ञानिक रोमांचक रोड़ ट्रिप वाली फिल्म ‘पेपर चिकन’ का निर्माण किया है. उन्होने इसे असम के प्राचीन जंगलों में न सिर्फ फिल्माया है, बल्कि खुद के अलावा बाकी सभी कलाकार भी असम के ही लिए हैं. इस फिल्म को ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘शेमारूमी बाक्स आफिस’’पर 6 नवंबर से देखा जा सकता है.
कहानीः
कहानी शुरू होती है एक रेडियो स्टेशन से, जहां आर जे वैदेही( दिपानिता शर्मा) हर दिन एक कहानी सुनाती है. आज उसका रेडियो पर अंतिम दिन है, क्योंकि अपने प्रेमी रमन(रवि शर्मा)से विवाह करने के लिए वैदेही ने नौकरी छोड़ दी है. रेडियो स्टेशन से निकलकर वह एक टैक्सी पकड़कर अपने घर की ओर रवाना होती है, जो कि काफी दूर है. रात हो चुकी है. वह रमन से फोन पर कहती है कि रात के ग्यारह बजे तक वह घर पहुंच जाएगी. टैक्सी में वैदेही पाश की कविताएं पढ़ रही है, अचानक ड्रायवर (बोलाराम दास) पूछता है कि क्या यह पाश की किताब है और वह कौन सा पन्ना पढ़ रही है. वैदेही पन्ना नंबर 15 बताती है, उसके बाद ड्रायवर किताब के पन्ना नंबर 15 पर छपी कविता को गुनगुनाने लगता है. यह देखकर वैदेही भौचक्की रह जाती है. उसके बाद दोंनो के बीच बातचीत शुरू हो जाती है. ड्रायवर बताता है कि उसने पाश के अलावा मुक्तिबोध और मंटो को भी पढ़ा है. वैदही उसे बताती है कि वह कल अपने प्रेमी रमन से शादी करने वाली है, इसीलिए रेडियो की नौकरी छोड़़ दी.
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