फिल्म की कहानी के केंद्र में तारा (मालविका मोहनन) और उसका छोटा भाई आमिर (ईशान खट्टर) है. फिल्म की कहानी शुरू होती है आमिर के अपने दोस्त अनिल के साथ ड्रग्स के पैकेट इधर से उधर पहुंचाने से. 2-3 बार ड्रग्स के पैकेट पहुंचाने के बाद आमिर एक बडे़ वेश्या गृह के मालिक और ड्रग्स के असली कारोबारी अशोक के पास पैसे लेने जाता है. अशोक 2-3 दिन में पैसे देने का वादा करता है. आमिर कह देता है कि पैसे नहीं मिलेंगें, तो काम नहीं होगा. इस बात से अशोक गुस्सा हो जाता है और वह अपने आदमी सनी के माध्यम से पुलिस के पास आमिर व उसके दोस्तों के ड्रग्स व्यापार की खबर पहुंचवा देता है.
पुलिस आमिर के अड्डे पर छापा मारती है. आमिर के कुछ साथी पकड़े जाते हैं. आमिर और अनिल भागने में सफल होते हैं. आमिर भाग कर धोबीघाट पहुंच कर कपड़ों में प्रेस कर रही अपनी बहन तारा के पास ड्रग्स का पैकेट छिपा देता है. पुलिस अभी भी उसके पीछे है. वह भाग रहा है. धोबी घाट पर एक इंसान अक्सी (गौतम घोष) उसे कपड़ों के ढेर में छिपा देता है. पुलिस खाली हाथ लौट जाती है.
दूसरे दिन तारा, आमिर को लेकर अपने घर जाती है. वह बताती है कि उसने यह घर एक इंसान से कर्ज लेकर खरीदा है. दोनों भाई बहन के बीच बहस होती है और तब दोनों की कहानी उजागर होती है. जब आमिर 13 साल का था, तब एक कार एक्सीडेंट में उसके माता पिता की मौत हो गयी थी. आमिर अपनी बहन के साथ रहता था. आमिर की नाराजगी है कि जब तारा का पति उसकी पिटाई करता था, तब बहन होते हुए भी उसको बचाती नहीं थी. इस पर तारा तर्क देती है कि उसका शराबी पति उसकी पिटाई करके चमड़ी उधेड़ देता था, ऐसे में वह उसे कैसे बचाती. बहरहाल, भाई बहन के आंसू बहते हैं. सारे गिले शिकवे मिट जाते हैं.
दूसरे दिन सुबह तारा धोबीघाट के लिए रवाना होती है. तो पता चलता है कि तारा के दो तीन पुरुषों से अवैध संबंध हैं. यह बात अक्सी को पसंद नहीं. अक्सी, तारा से कहता है कि वह सिर्फ उसकी है. और वह तारा के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करता है. तारा खुद को बचाने के लिए पत्थर से अक्सी का सिर फोड़ देती है. पुलिस आती है, अक्सी को अस्पताल पहुंचाती है. पुलिस तारा को अपने साथ ले जाती है, पुलिस तारा को अदालत में पेश करती है. अदालत तारा को जेल भेज देती है.
जेल में जेलर (जवाद असकरी), तारा को बताता है कि जब तक अक्सी का बयान नहीं आ जाता, उसे यहीं जेल में रहना पड़ेगा. तारा यह बात आमिर को बताती है. आमिर गुस्से में अस्पताल जाता है. पता चलता है कि अक्सी का औपरेशन सफल रहा. कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा. आमिर खुद को अक्सी का दोस्त बताकर अक्सी से मिलता है. और उसे धमकाता है कि यदि उसने पुलिस को बयान नहीं दिया कि उसने तारा के साथ बलात्कार किया, इसलिए तारा ने उसके सिर पर पत्थर मारा, तो वह उसकी दोनों आंखें निकालकर उसका जीना मुश्किल कर देगा. उसके बाद आमिर हर दिन अक्सी के पास जाने लगता है. यहां तक कि अक्सी के लिए दवाईयां अपने पैसे से खरीद कर देता है.
इधर जेल में हर दूसरे तीसरे दिन आमिर अपनी बहन तारा से मिलने जाता है. तारा का एक ही रोना है कि उसे जेल में नहीं रहना है. मगर वह नहीं चाहती कि आमिर ड्रग्स सहित किसी गलत धंधे से जुड़े. जेल में ही तारा की दोस्ती 3 साल के बच्चे छोटू से हो जाती है, जिसकी मां गंभीर रूप से बीमार है. एक दिन छोटू की मां की मौत हो जाती है. अब तारा को लगता है कि उसकी भी मौत जेल में ही होगी. धीरे धीरे तारा छोटू में अपनी खुशियां तलाशने लगती है.
इसी बीच दक्षिण भारत से अक्सी की मां (शारदा जुम्पा), पत्नी(हीबा शाह) व चार साल की बेटी आ जाती है, जिन्हें हिंदी नहीं आती. अक्सी की पत्नी को टूटी फूटी अंग्रेजी आती है. हालात ऐसे बनते हैं कि आमिर, अक्सी के परिवार को अपने घर में रहने की इजाजत दे देता है. फिर अक्सी की पत्नी की तस्वीर मोबाइल से खींच कर अशोक को दिखाकर पैसे ऐंठता है. वह अशोक के हाथों अक्सी की पत्नी को बेचकर जमानत पर बहन तारा को छुड़ाना चाहता है. पर ऐन वक्त पर उसका जमीर उसे इसकी इजाजत नहीं देता. इससे अशोक उस पर चिढ़ जाता है और गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी देता है.
कई घटनाक्रम बड़ी तेजी से बदलते हैं. एक दिन तारा के आंसू देखकर गुस्से व परेशानी के साथ आमिर घर पहुंचता है. वहां अक्सी की बेटी का नाच उसका गुस्सा ऐसा बढ़ाता है कि वह गुस्से में अक्सी का सच और अक्सी की वजह से बहन तारा के जेल में होने की बात बता देता है. यह सुनकर अक्सी का परिवार आमिर के घर से रात में ही चला जाता है. सुबह आमिर उठता है तो घर की हालत देखकर उसे अहसास होता है कि उसने गुस्से में काफी कुछ गलत कर डाला. वह अस्पताल की तरफ भागता है.
इधर सुबह अक्सी की मां अदालत परिसर में अक्सी की तरफ से बयान टाइप करवाती है कि कैसे तारा निर्दोष है. मगर जब वह अस्पताल पहुंचती है, तो पता चलता है कि अक्सी की मौत हो गयी है. कुछ देर में आमिर भी पहुंच जाता है. अब तारा छोटू के साथ जेल में खुशियां तलाश रही हैं. तो वहीं आमिर, अक्सी के परिवार को अपने घर ले आता है.
लेखक निर्देशक माजिद मजीदी ने बड़ी खूबसूरती से सपनों के शहर मुंबई में भाई बहन की एक प्यारी कहानी सुनायी है, जिसमें विश्वास और परिस्थितियों के चलते जीवन के उतार चढ़ाव हैं. माजिद मजीदी ने इंसानी स्वभाव, इंसानी संवेदनाओं और भावनाओं को बहुत बारीकी से व बेहतरीन तरीके से सेल्यूलाइड के परदे पर उकेरा है. फिल्म में एक सीन है, जहां आमिर का दोस्त अनिल पिता की बीमारी और पैसे के लालच में अशोक के हाथों बिक जाता है. वह आमिर को लेकर एक ऐसी सुनसान जगह पर पहुंचता हैं, जहां पानी और मिट्टी का कीचड़ है.
वहां अशोक के दो गुंडे अनिल को पैसा देते हैं. अनिल मुंह घुमाकर पैसे गिनना शुरू करता है. इधर अशोक के गुंडे कीचड़ में आमिर की पिटाई करने लगते हैं और वह उसे मार देना चाहते हैं. कुछ देर बाद अनिल का जमीर जागता है. वह उन दोनों गुंडों से कहता है कि अब आमिर को मत मारो. गुंडे कहां सुनने वाले. तब अनिल खुद उन गुंड़ों से लड़ने उसी कीचड़ में पहुंचता है. अनिल मारा जाता है और गुंडे आमिर को मरा हुआ समझ छोड़ देते हैं. यानी कि माजिद मजीदी ने इस दृश्य के माध्यम से मानव स्वभाव का बेहतरीन चित्रण किया है. उन्होंने यह कहने की कोशिशकी है कि इंसान सिर्फ अच्छा या बुरा नहीं होता है. परिस्थितिवश वह गलत कदम उठा लेता है.
इतना ही नहीं माजिद मजीदी ने झोपड़पट्टी व गंदगी वाले इलाके में भी आर्थिक व सामाजिक रूप से रचे बसे दो अलग अलग वर्ग का भी चित्रण किया. माजिद मजीदी की जितनी तारीफ की जाए, उतना कम है.
सिर्फ फारसी भाषा के जानकार फिल्मकार माजिद मजीदी ने हिंदी में ‘बियौंड द क्लाउड्स’ जैसी फिल्म बनाकर भारतीय फिल्मकारों को चुनौती के साथ बहुत बड़ा सबक दिया है कि अपनी भारतीय सभ्यता संस्कृति व जीवन मूल्यों से दूर न भागे. मगर होली से चंद घंटे पहले तूफानी बारिशऔर छोटू की मां की मौत पर तारा का उलझन भरा अभिनय कुछ खटकता है.
जहां तक अभिनय का सवाल है, तो सही मायने में बौलीवुड को ईशान खट्टर और मालविका मोहनन के माध्यम से दो बेहतरीन कलाकार मिले हैं. ईशान ने साबित कर दिया है कि बिना संवाद के किसी भी दृश्य को वह अपने अभिनय व चेहरे के भाव से जीवंत बना सकते हैं. बहन को जेल से ना छुड़ा पाने की बेबसी हो, गलत घंधे में फंसे होने का गम हो, दुःख हो, इन सारे भावों को ईशन खट्टर ने आंसुओं और अपने चेहरे के भाव से जिस तरह से परदे पर उकेरा है, वह उन्हें कमाल का कलाकार बनाती है. पूरी फिल्म में एक भी दृश्य ऐसा नहीं है, जहां इस बात का अहसास हो कि ईशान खट्टर की यह पहली फिल्म है.
‘तारा’ के किरदार में मालविका मोहनन ने भी जानदार अभिनय किया है. तारा के किरदार के लिए कंगना रानौट व दीपिका पादुकोण सहित कई दिग्गज कलाकारों ने औडीशन दिये थे. पर माजिद मजीदी ने अंततः मालविका मोहनन को चुना था. मालविका मोहनन ने अपने जानदार व सशक्त अभिनय से साबित कर दिया कि माजिद मजीदी की पारखी नजर ने गलत चयन नहीं किया था.
तनिष्ठा चटर्जी, गौतम घोष व छोटे बच्चे ने भी बेहतरीन अभिनय किया है. फिल्म का संगीत पक्ष सबसे अधिक कमजोर है. फिल्म की कमजोर कड़ी संगीतकार ए आर रहमान हैं. फिल्म के कैमरामैन अनिल मेहता ने बहुत बेहतरीन काम किया है. जिसकी वजह से लोगों को मुंबई एक नए रंग में नजर आती है.
लगभग दो घंटे की अवधि वाली फिल्म ‘बियौंड द क्लाउड्स’ का निर्माण ‘जी स्टूडियो’ के साथ मिलकर किशोर अरोड़ा व शरीन केड़िया ने ‘नमः पिक्चर्स’ के बैनर तले किया है. फिल्म के लेखक निर्देशक माजिद मजीदी, संगीतकार ए आर रहमान, कैमरामैन अनिल मेहता तथा कलाकार हैं –ईशान खट्टर, मालविका मोहनन, गौतम घोष, शारदा जुम्पा, हिबा शाह व अन्य.