फिल्म- ‘‘मर्द को दर्द नही होता”
रेटिंगः ढाई स्टार
डायरेक्टर: वासन बाला
एक्टर्स: अभिमन्यु दसानी, राधिका मदान, गुलशन देवैय्या और महेश मांजरेकर
‘‘पेडलर्स’’ जैसी फार्मूला फिल्म के बाद फिल्मकार वासन बाला एक बार फिर फार्मूला फिल्म ‘‘मर्द को दर्द नहीं होता’’ लेकर आए हैं. इस फिल्म में उन्होने कहानी का केंद्र एक ऐसे पुरुष को बनाया है, जिसे ‘कांजिनेटियल इंनसेंसिटीविटी टू पेन’ नामक गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के कारण शरीर में दर्द का अहसास ही नहीं होता. इस फैंटसी कहानी में बुराई पर अच्छाई की जीत की कहानी भी है. मगर फिल्म में फिल्म के हीरो की बजाय हीरोइन ज्यादा खतरनाक एक्शन करते हुए नजर आती है. कई सीन्स में तो हीरो सूर्या डरपोक और हीरोइन सुप्रि बेखौफ नजर आती है. जबकि पूरी फिल्म में सूर्या का तकिया कलाम है- ‘‘दिमाग को सन्न कर देने वाली हर कहानी के पीछे बहुत बुरे फैसले होते हैं.’’
कहानी...
फिल्म ‘‘मर्द को दर्द नही होता’’ की कहानी मुंबई के लड़के सूर्या (अभिमन्यु दसानी) की है. सूर्या को ‘कांजिनेटियल इंनसेंसिटीविटी टू पेन’ नामक गंभीर बीमारी है, जिसका डाक्टरों के पास कोई इलाज नही है. इस बीमारी के चलते उसे दर्द नहीं होता, फिर उसे चाहे जितनी चोट लगती रहे. सूर्या के नाना (महेश मांजरेकर) बार बार उसे एक्शन फिल्में दिखाकर दर्द का अहसास कराते रहते हैं. जिससे आम लोग उसे एक आम लड़के की तरह माने. मगर सूर्या के पिता जतिन (जिमित त्रिवेदी ) नहीं चाहते कि सूर्या घर से बाहर निकले. उधर सूर्या बचपन से ही सौ लोगों को हराने वाले दिव्यांग कराटे मैन मणि (गुलशन देवैय्या) का फैन है और उसकी तमन्ना इस कराटे मैन से मिलने की है. जिसके बाद वह भी उसी की तरह ताकतवर बनकर पाप को जलाकर राख कर सके. सूर्या की बचपन की दोस्त है सुप्रि (राधिका मदान) जो कि हर मुसीबत के समय सूर्या की मदद करती रहती है. लेकिन सूर्या की शरारतों के कारण सूर्या और सुप्रि अलग हो जाते हैं. कुछ सालों बाद सूर्या को कराटेमैन का पता मिलता है, जब वह वहां पहुंचता है, तो उसकी मुलाकात फिर से सुप्रि से होती है और यहीं पर वो पहली बार विलेन जिमी (गुलशन देवैय्या) से मिलता हैं. मणि और जिमी दोनो भाई हैं. लेकिन जिमी एक अपराधी है. इसके बाद एक्शन सीन्स के साथ कहानी तेजी से आगे बढ़ती है.