साहित्यिक कहानियां व उपन्यासों और देहाती व देसी पृष्ठभूमि की कहानियों पर फिल्में बनाने में माहिर विशाल भारद्वाज ने इस बार राजस्थान के लेखक चरन सिंह पथिक की एक छह पन्नों की कहानी ‘दो बहनों’ पर फिल्म ‘‘पटाखा’’ बनायी है. मगर इस बार वह असफल रहे हैं. ‘‘पटाखा’’ न साहित्यिक फिल्म बन पायी और न ही काल्पनिक. इतना ही नहीं यह माना जाता है कि फिल्म का निर्देशक ऐसा जादूगर होता है, जो कि फिल्म के हर पात्र व घटनाक्रम को इस तरह पेश करता है कि दर्शक के लिए वह पात्र व कहानी विश्वसनीय लगने लगे. इस तर्क के धरातल पर भी विशाल भारद्वाज असफल हैं. क्योंकि दो बहनों के बीच के युद्ध को उन्होंने भारत व पाकिस्तान के बीच के युद्ध की संज्ञा देते हुए जिस अंदाज में पेश किया है, उससे कम से कम भारतीय इत्तफाक नहीं रखते. मगर विशाल भारद्वाज का दावा है कि लेखक चरन सिंह पथिक ने यह कहानी वास्तविक बहनों पर लिखी है. इस बार विशाल भारद्वाज मनोरंजक फिल्म नहीं बना पाए. ‘पटाखा’ देखकर नहीं लगता कि यह फिल्म ‘मकबूल’, ‘ओंकारा’या ‘कमीने’ जैसी फिल्मों के फिल्मकार की फिल्म है.
फिल्म की कहानी राजस्थान के एक गांव की है, जहां अपनी पत्नी की मौत के बाद शांतिभूषण (विजय राज) अपनी दो बेटियों चंपा कुमारी उर्फ बड़की (राधिका मदान) और गेंदा कुमारी उर्फ छुटकी (सान्या मल्होत्रा) के साथ रहता है. शांति भूषण ने अपनी पत्नी से वादा किया था कि वह दोनों बेटियों की अच्छी परवरिश करेंगे, उन्हें किसी चीज की कमी नहीं होने देंगे. इसी के चलतेउन्होंने दूसरी शादी नहीं की. मगर बड़की और छुटकी एक दूसरे को फूटी आंख भी देखना पसंद नहीं करती.
इनमें बीड़ी पीने से लेकर दंबगई करने और एक दूसरे से निरंतर झगड़ते रहने की आदत है. गाली गलौज के बीच एक दूसरे को थप्पड़ रसीद करने, एक दूसरे की लात घूंसे से पिटाई करने, मिट्टी से लेकर गोबर तक में एक दूसरे को सबसे बड़े दुश्मन की तरह पीटते हुए युद्ध करती रहती हैं. इन दोनों के बीच लड़ाई से सबसे ज्यादा मनोरंजन डिप्पर (सुनील ग्रोवर) को मिलता है. इसलिए वह इन दोनों के कान भरकर एक दूसरे से लड़वाता रहता है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन