रेटिंगः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः इरोज मोशन पिक्चर्स और सिद्धार्थ आनंद

निर्देशकः दानिश असलम

कलाकारः स्वरा भास्कर,केविन दास,महिमा मकवाना,इशान अनुराधाा खन्ना,विद्या मालवड़े, अक्षय ओबेराय,बिजाॅय थांगजम, युधिष्ठिर व अन्य.

अवधिः लगभग छह घंटे, लगभग 45 मिनट के आठ एपिसोड

ओटीटी प्लेटफार्म: ईरोज नाउ

पूरे विश्व में देह व्यापार और मानव तस्करी का अरबों रूपए का व्यवसाय होता है. यह भारत ही नही पूरे विश्व का अति घिनौना कारोबार है,पर इस पर अंकुश नहीं लग पाया है. हाॅलीवुड व विदेशों में इस व्यवसाय को लेकर कई बेहतरीन फिल्में व वेब सीरीज बन चुकी हैं. मगर भारत में ‘मर्दानी’,‘लक्ष्मी’और ‘लव सोनिया’ जैसी फिल्में ही बनी हैं, इसमें से ‘लक्ष्मी’ और ‘लव यू सोनिया’ आम दर्शकों तक पहुॅची नहीं, इन्हे बाक्स आफिस पर सफलता नहीं मिली. जबकि ‘मर्दानी’ में रानी मुखर्जी जैसी स्टार थी. इसके अलावा यह बौलीवुड मसालों से भरपूर व्यावसायिक फिल्म थी.

अब निर्देशक दानिश असलम एक बेहतरीन वेब सीरीज ‘‘फ्लेश’’ लेकर आए हैं. जो कि बच्चों की तस्करी से लेकर मासूम व कम उम्र की लड़कियों के देह व्यापार के साथ ही ऐसे तस्करों के साथ पुलिस की मिली भगत सहित कई पहलुओं को रेखांकित करती है. स्वरा भास्कर और अक्षय ओबेराय अभिनीत यह वेब सीरीज बेहोश करने वाली बेचैनी के साथ हर इंसान को असहज,परेशान,डरावने,असुविधाजनक पर बेहद प्रासंगिक और रोमांच से भरपूर है.

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कहानीः

कहानी के केंद्र में दो महिलाएं है.एक है सोलह वर्ष की जोया गुप्ता (महिमा मकवाना) और दूसरी हैं ए सी पी राधा नौटियाल(स्वरा भास्कर).कहानी शुरू होती है अमरीका से मंुबई एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए आए अमीर एन आर आई शेखर गुप्ता (युधिष्ठर)का अपनी पत्नी रीवा गुप्ता(विद्या मालवडे)व अपनी बेटी जोया गुप्ता संग आगमन से. जहां जोया की सोशल मीडिया के माध्यम से एक युवक डीजे(इशान अनुराधा खन्ना)से दोस्ती हो जाती है.विवाह समारोह में पहुॅचने के बाद पता चलता है कि रीवा गुप्ता ने शेखर को तलाक देने का मन बना लिया है.रीवा व शेखर का दोस्त सिड भी उनसे मिलने आता है.उधर जोया से मिलने डी जे आता है और वह उसे अपने साथ कार में ले जाता है.पर अंततः वह उसे देह व्यापार के रैकेट के पास पहुॅचा देता है.जो कि अन्य लड़कियों के साथ एक ट्क में जोया गुप्ता को भी भरकर कलकत्ता के लिए रवाना कर देता है.जोया गुप्ता तो उपहार पैकेज है.शेखर गुप्ता व रीवा अपनी बेटी जोया के गुम होने की रपट पुलिस में लिखाते हैं.पर उन्हे अहसास होता है कि पुलिस कुछ खास नही कर पा रही है.इसी बीच मानव तस्करी विरोधी यूनिट की एसीपी राधा(स्वरा भास्कर) को एक देह व्यापार गैंग का भ्ंाडाफोड़ करने के लिए पुरस्कृत करने की बजाय ताज नामक इंसान की उंची पहुॅच के चलते पुलिस की नौकरी से सस्पेंड कर दिया जाता है.इस बीच हालात ऐसे बनते है कि ए सी पी राधा नौटियाल अपने तरीके से जोया मामले की जांच करना शुरू करती है.जैसे जैसे राधा नौटियाल की जांच आगे बढ़ती है,वैसे वैसे अनैतिकता, क्रूरता,हिंसा और भ्रष्टाचार के कई चैंकाने और स्तब्ध करने वाले जाल सामने आते हैं.इतना ही नही कई गहरे दफन रहस्यों का खुलासा भी होता है.बीच में राधा नौटियाल को पुनः पुलिस की नौकरी भी मिल जाती है.

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लेखन:

देह व्यापार जैसे घृणास्पद व मानवीय पहलुओं के साथ बेहतरीन रोमांचक कहानी व पटकथा लेखन के लिए इसकी लेखक पूजा लाधा सुरती बधाई की पात्र हैं.उन्होने देह व्यापार से जुड़े हर पहलू,मानव तस्करी के रैकेट,नौकरषाही व पुलिस की साॅंठगाॅंठ आदि का बहुत बारीकी से चित्रण किया है.यह एक क्लासिंक वेब सीरीज बन सकती थी,मगर पांचवे व सातवें एपीसोड में सत्यभामा का ट्ैक बेवजह रखा गया है.इसका कहानी में कोई योगदान नही है.बल्कि सत्यभामा वाला कहानी का ट्ैक दर्शकों को दिग्भ्रमित करता है.इसके अलावा डीजे के किरदार की भी खास अहमियत कहानी में नही है.गृह मंत्रालय से जुड़े ब्रम्हांनद बारोट की कथा भी बेवजह जोड़ी गयी है.विभाग जोया गुप्ता व एसीपी नौटियाल की कहानी के समानांतर राधा नौटियाल की अतीत यानी कि बचपन की कहानी भी सतत चलती रहती है.पर यह पटकथा लेखन व निर्देशन की खूबी के चलते दर्शक आठवें एपीसोड से पहले दोनों कहानियों के जुड़ाव का अहसास नहीं कर पाता.

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निर्देशनः

दानिश असलम ने अपने निर्देशकीय कौशल का शानदार परिचय दिया है.उन्होेने मुंबई व कलकत्ता शहर को भी जीवतंता प्रदान की है.पैंतालिस पैंतालिस मिनट के लंबे लंबे आठ एपीसोड देखना एक दर्शक के लिए सहज नही हो सकता,मगर निर्देशक की खूबी के चलते हर एपीसोड न सिर्फ दर्शकों को बांधकर रखता है,बल्कि अगला एपीसोड देखने के लिए रूचि भी पैदा करता है.

कुछ तकनीकी गलतियें के बावजूद पूरी वेब सीरीज बहुत ही यथार्थ के साथ बनायी गयी है.परिणामतः इसमें सेक्स,अप्राकृतिक मैथुन,हिंसा,गोली बारी,गंदी गंदी गालियों की भरमार भी है. पर यह बेहतरीन रचनात्मक गुणवत्ता और तकनीकी से बनी सीरीज है.

इसके एडीटर प्रतीक हरुगोली भी बधाई के पात्र हैं.

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अभिनयः

स्वरा भास्कर एक बेहतरीन अदाकारा हैं.इसमें कोई दो राय नहीं है.मगर एक पुलिस अफसर के सख्त किरदार के साथ जिस तरह से उन्होने मानवीय भावनाआंे को भी अपने अभिनय से उकेरा है,और जिस तरह से उन्होने एसीपी राधा नौटियाल के किरदार को जीवंतता प्रदान की है,वह उन्हें उत्कृष्ट अदाकारा के रूप में उभारती है.अक्षय ओबेराय ने भी कमाल का अभिनय किया है.डीजे के किरदार में इशान खन्ना का किरदार छोटा व अप्रभावशाली है.जोया गुप्ता के किरदार में महिमा मकवाना,रीवा के किरदार मे विद्या मालवडे और शेखर के किरदार में  युधिष्ठिर की भी तारीफ करनी पड़ेगी.

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