90 की दशक की एक बेहतरीन अदाकारा के रूप में उभर कर आने वाली काजोल अभिनेता अजय देवगन की पत्नी हैं. उन्होंने हिंदी सिनेमा में कई बेहतरीन अवार्ड जीते हैं. फिल्मी माहौल में पैदा हुई काजोल को विरासत में अभिनय के गुण मिले हैं, जिसे वह गर्व के साथ कहना पसंद करती हैं. हिंदी फिल्मी कैरियर में जब वे चोटी पर थी, तब उन्होंने अजय देवगन से शादी की और दो बच्चों न्यासा और युग की मां बनी. मां बनने के बाद जब भी वह पर्दे पर आई, एक अच्छी फिल्म देने की कोशिश की और सफलता पायी. करीब दो साल के अंतराल के बाद अभी वे एक अलग तरह की फिल्म ‘हेलीकाप्टर इला’ में एक 20 वर्षीय बेटे की मां बनी हैं. उनसे मिलकर बात करना रोचक था. पेश है कुछ अंश.

प्र. इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है?

मुझे इस फिल्म की स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई, क्योंकि मैं अपनी फिल्म में अपनी परफोर्मेंस को देखना पसंद करती हूं. इस कहानी से मैं अपने आप को रिलेट भी कर सकती हूं. इसके अलावा  किसी भी फिल्म को करते वक्त मैं किसी और के परफोर्मेंस को देखती नहीं. इस फिल्म में मुझे अभिनय के कई शेड दिखाई पड़े और मैंने हां कह दी.

प्र. फिर से कमबैक को आप कैसे लेती हैं?

मेरे हिसाब से आप जो भी फिल्म करें, उसकी कहानी और स्क्रिप्ट आपको पसंद आये. आपको काम करने का मन करे. इस पर 100 दिन जो आप बिताने वाले हैं वह टीम अच्छी हो, ताकि आप उसके साथ कुछ अच्छा कर सकें.

प्र. आप किस तरह की मां हैं?

मैं बहुत अधिक कड़क मां नहीं हूं. मैं विश्वास करती हूं कि अगर आपको बच्चों का सही तरह से पालन-पोषण करना है तो उनपर विश्वास रखना पड़ेगा, क्योंकि दुनिया इतनी अलग है और छोटी उम्र से ही उनको सबकुछ पता चल जाता है, ऐसे में आप उन पर अधिक ध्यान नहीं रख सकते. अगर आप एक बैलेंस्ड पैरेंट बनना चाहते है, तो आपको अपने बच्चों पर भरोसा रखना पड़ेगा कि आपने बच्चों को सही सीख दी है और वे खुद के लिए भी सही निर्णय लेने में समर्थ होंगे.

प्र. टीन ऐज में बच्चे अक्सर विद्रोही हो जाते हैं, क्या आपके बच्चों ने कभी ऐसा किया? अगर करें भी तो क्या करना चाहिए?

कभी कभी विरोध हुआ है, लेकिन थोड़ी देर बाद उन्हें समझ आ जाता है कि वे गलत कर रहे हैं. मैं मां के रूप में किसी बात को अधिक विश्वास करती हूं और वे बच्चे के रूप में कुछ बातों पर विश्वास रखते है. ऐसे में दोनों को साथ में रखकर विचार कर फिर राय देना सही होता है. अभी तक ऐसा मेरे साथ कुछ हुआ नहीं है कि बच्चे और मेरी राय एकदम अलग हो. हां इतना जरुर है कि अगर मतभेद हुआ भी है तो उन्हें पता है कि मुझे जो सही नहीं लगता, उन्हें वो नहीं मिलेगा.

प्र. अधिकतर महिलाएं परिवार के साथ काम को छोड़ देती हैं आपने ऐसा नहीं किया और थोड़े दिनों बाद पर्दे पर दिखी, इसे कैसे किया?

मेरे हिसाब से महिलाएं अधिकतर परिवार के साथ भी काम करना चाहती हैं, लेकिन उन्हें सहयोग नहीं मिलता और वे परिवार रूपी शेल से बाहर निकलने का साहस जुटा नहीं पाती और वे उसी में रहने पर मजबूर होती है. मुझे हमेशा परिवार का सहयोग मिला, इस वजह से मैं काम कर पायी.

प्र. आपकी मां ने आपकी परवरिश कैसे की?

वे कभी ओवर प्रोटेक्टिव नहीं थी. मेरी मां हमेशा खुले विचार रखती थी. उन्होंने बहुत हिम्मत के साथ हमें पाला है. बचपन में मुझे मां से बहुत मार पड़ती थी. लेकिन जब मैं 13 साल की हुई, तो उन्होंने कहा कि अब वह मेरे उपर हाथ नहीं उठाएगी और मुझे अपनी जिम्मेदारी खुद संभालनी है.

प्र. आप बचपन में कैसी बेटी रही हैं?

मैं अपनी मां से बहुत डरती थी. मुझमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं मां से जोर से बात करूं. पहली फिल्म ‘बेखुदी’ के समय मेरी मां ने 16 साल की उम्र में मुझे अकेले कनाडा शूटिंग करने के लिए भेज दिया था, क्योंकि वह यहां काम कर रही थी. उनमें बहुत साहस था. मैंने न्यासा को जब सिंगापुर पढ़ने के लिए भेजा, तो एक महीने के लिए मैं सहम गयी थी. बड़ा कठिन होता है, बच्चे को अपने से अलग करना. किसी चीज में मेरा मन नहीं लगता था. मेरी मां बहुत साहसी हैं और मैं उनकी तरह अपने बच्चों को पलना चाहती हूं. मुझे कोई बात समझाकर नहीं, दिखाकर सिखाया गया है. वह सीख आपके साथ हमेशा रहती है. अभी दुनिया के हिसाब से पेरेंटिंग को भी बदलने की जरुरत है.

प्र. आजकल माता-पिता अपनी इच्छाओं को बच्चों पर थोपते हैं, जो उनके मानसिक विकार का कारण बनती है, उनके लिए आप क्या संदेश देना चाहती हैं?

मैंने अपने बच्चों को किसी भी बात के लिए कहा नहीं है. उसकी इच्छा है कि वह इंडस्ट्री में आयें या कुछ और करें. मैं कभी उन्हें सुझाव भी नहीं दूंगी, क्योंकि वह उनका खुद का निर्णय होगा कि वह क्या करेगी. आज हर क्षेत्र में करने को बहुत कुछ होता है. हर माता-पिता को भी चाहिए कि उन्हें एक्स्प्लोर करें और बच्चों की इच्छाओं को ध्यान में रखकर उन्हें आगे बढ़ने में मदद करें.

प्र. कोई ऐसी सीख, जिसे आपने मां से सीखा है और बच्चों को भी देना चाहती हैं?

बहुत सारी हैं, जिसे मैंने मां से सीखा है. जिसमें बच्चों पर विश्वास रखना और उन्हें निर्णय लेने की आजादी देना. मुझे याद आता है, जब मैं मां बनी, तो एकदिन मैंने उन्हें फोन पर कहा था कि मुझे आज पता चला है कि आपने मुझे कैसे पाला है और कितना प्यार दिया है. ये सही है कि आप तब तक इस बात को समझ नहीं सकते, जब तक कि आप खुद मां न बनी हों. उन्होंने कितनी राते जगी होंगी, काम के साथ-साथ कितनी मुश्किलों से मुझे इतना बड़ा किया होगा आदि. हम इन सारी बातों को भूल जाते हैं. माता-पिता का प्यार बच्चों के प्रति हमेशा बिना शर्तों के होता है.

प्र. आप एक ऐसे परिवार से आती है, जहां महिलाओं ने शुरू से काम किया है, आप इसे कैसे लेती हैं?

मेरे परिवार की सभी महिलाओं से मैंने एक बात सीखी है कि महिलाओं को कोई भी सशक्त नहीं बना सकता, जब तक वह खुद न चाहे. लोग महिला सशक्तिकरण के बारें में जो बातें करते हैं, मेरे हिसाब से उन्हें कुछ भी कहने की जरुरत नहीं होती. अगर आप खुद अपने आप में विश्वास रखें, तो वही सबसे बड़ी एम्पावरमेंट होती है. अगर मैं काम पर जाती हूं, तो मेरा बेटा भी समझ जायेगा कि मैं काम कर सकती हूं. मैं सभी मां से कहना चाहती हूं कि बेटे को महिलाओं के बारें में बताएं और उनके सशक्तिकरण के बारें में चर्चा उनके बचपन से करें, क्योंकि मां के पास शक्ति होती है कि वे एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर सके.

प्र. महिलाओं को पेरेंटिंग पर कुछ टिप्स देना चाहती हैं?

नहीं, हर माता-पिता अलग होते हैं और बच्चे भी अलग होते हैं. ये कोई बाबा की भभूती नहीं है कि उन्हें दे दिया जाये और सब सही हो. माता-पिता को बच्चे को समझकर सही निर्देश देना चाहिए.

प्र. त्योहारों को कैसे मनाती हैं?

मैं हर त्यौहार को अपने परिवार के साथ मनाना पसंद करती हूं. इसलिए कम फिल्में भी करती हूं. मैं अपनी फैमिली लाइफ से बहुत खुश हूं. ये सही है कि हर रिलेशनशिप को समय देने की जरुरत होती है, ताकि आप खुश रह सकें.

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