New Year Special : हरियाणा के हिसार में जन्मीं खूबसूरत और विनम्र अभिनेत्री आंचल को बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी. उन्होंने टीवी के अलावा हिंदी और तमिल फिल्मों में काम किया है. उन की इस जर्नी में उन की मां अनु नारंग ने हमेशा साथ दिया है. आंचल ने अपनी कैरियर की शुरुआत महज 12 वर्ष की उम्र में टैलीविजन शो ‘घोस्ट बना दोस्त’ से किया था. इस शो में आंचल ने मुनिया की भूमिका अदा की थी, जिसे दर्शकों द्वारा काफी पसंद भी किया.
इस के बाद वे धारावाहिक ‘परवरिश’ में रावी की भूमिका में नजर आईं. एकता कपूर की शो ‘बड़े अच्छे लगते हैं’ भी एक पौपुलर शो रही, जिस में उन्होंने पीहू कपूर की भूमिका निभाई थी.
फिल्मी कैरियर
आंचल मुंजाल ने फिल्मी कैरियर की शुरुआत करीना कपूर और अर्जुन रामपाल स्टारर फिल्म वी आर फैमिली से किया था, जो हौलीवुड फिल्म की रीमेक थी. इस फिल्म में आंचल ने काजोल की सब से बड़ी बेटी आलिया का किरदार निभाया था. इस के बाद वे अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म ‘आरक्षण’ में नजर आईं.
इन दिनों आंचल ने ‘पुष्पा’ 2 में एक छोटी सी भूमिका निभाई है, लेकिन उस का असर दर्शकों पर पड़ा है और वे इस बात से बहुत खुश हैं कि उन्हे कौंप्लीमेंट्स मिल रहे हैं. वे कहती हैं कि इतनी बड़ी फ्रैंचाइजी के साथ जुड़ना, अभिनेता अल्लु अर्जुन के साथ काम करना और फिल्म का सफल होना मेरे लिए बड़ी बात है. हालांकि मैं ने 3 दृश्य की शूटिंग की थी, लेकिन 2 सींस कट होने के बाद भी जो दृश्य हैं वे काफी इंप्रेसिव और हीरो की लाइफ का टर्निंग पौइंट है. 2 दृश्य के कट होने पर पहले तो मुझे थोड़ा दुख हुआ था, लेकिन फिल्म की रिलीज के बाद अच्छा लगा, क्योंकि लोग मेरे एक दृश्य की तारीफ कर रहे हैं. अगली बार इस फिल्म में मुझे बड़ी भूमिका मिलने की उम्मीद है. इस 4 मिनट के सीन के लिए 8 दिन रामोजी फिल्म सिटी में कड़कती धूप में मुझे शूटिंग करना पड़ा. नीचे रेत और ऊपर सूरज था, ऐसे में इतनी गरमी में बारबार छाता भी नहीं मिलता था. शूट खत्म होने के बाद मेरे दोनों हाथों में सनबर्न हो गए थे और यह बड़ी मेहनत रही.
मिली प्रेरणा
ऐक्टिंग में आने की प्रेरणा के बारे में आंचल कहती हैं कि मेरे परिवार में कोई भी फिल्म इंडस्ट्री से नहीं है, जब मैं 3 साल की थी और मेरे कमरे में अभिनेत्री सुस्मिता सेन की एक फोटो थी, उसे देखती थी और लगता था कि वह पोस्टर मुझ से बातें कर रही है. एक दिन मैं ने मां से पूछ लिया था कि यह कौन हैं? मां ने बताया कि यह मिस यूनिवर्स और अभिनेत्री हैं। मैं ने तुरंत मां को कहा कि मुझे यही बनना है. मां ने कुछ रिऐक्ट नहीं किया, क्योंकि उन्हें मेरी बातें बकवास लगी थीं, लेकिन उस दिन से मुझे ऐक्ट्रैस बनने की इच्छा जगी और 9 साल की उम्र में मेरी मां मुझे ले कर मुंबई आई और उन्होंने मेरा पोर्टफोलियो बनवाया. सारे
प्रोडक्शन हाउस में डिस्ट्रिब्यूट किया और करीब 1 महीने बाद एक दिन मुझे ‘शन्नो की शादी’ शो की केमियो रोल के लिए कौल आया और मैं ने उस में काम किया और उस अभिनय के बाद काम मिलता गया.
रहा संघर्ष
संघर्ष के बारें में आंचल कहती हैं कि काम मिलने की चुनौतियों को मैं संघर्ष नहीं मानती. मुझे मरते दम तक केवल ऐक्टिंग ही करनी है और इस के लिए मैं मेहनत करती हूं। मुझे जो भी काम चाहे छोटा हो या बड़ा मिला, मैं करती गई। इस से मेरी पहचान इंडस्ट्री और दर्शकों के बीच में बनती गई.
पेरैंट्स के रिएक्शन के बारे में आंचल का कहना है कि किन्हीं कारणों से मेरी मां का तलाक हो चुका है। मैं अपनी मां के साथ रहती हूं. ऐसे में मेरे ऐक्टिंग की इच्छा जाहिर करने पर मां ने कभी मना नहीं किया, क्योंकि मैं जब हिसार में थी, तो आसपास के सभी की हूबहू नकल करती थी. कई बार मैं सब के सामने तुलसी वीरानी बन कर ऐक्टिंग किया करती थी. यह सब देखते हुए मेरी मां को समझ में आया कि मुझे मुंबई ले जाना जरूरी है, नहीं तो मेरे अभिनय की स्किल खराब होगी और वे मुंबई ले कर आईं. उस दौरान मेरी पढ़ाई भी अभिनय के साथसाथ चलती रही। मैं ने स्कूल की पढ़ाई पूरी की है. मेरी मां ने हर परिस्थिति में मेरा साथ दिया है। यही वजह है कि मैं यहां तक पहुंच पाई.
हुए कई रिजैक्शन
वे आगे कहती हैं कि रिजैक्शन बहुत हुए हैं, क्योंकि अधिकतर लोग मेरे लुक को छोटा कहते थे, जबकि मुझे फिल्मों में बड़ा दिखना था, जो मेरे लुक में नहीं था. इस से बहुत औडिशन देने पड़े. मुझे याद है कि एक बार जब मैं फिल्म ‘फुकरे’ की औडिशन के लिए गई थी, लोगों ने कहा कि मैं उस दृश्य के लिए बहुत छोटी लग रही हूं, बच्ची दिख रही हूं. बड़ा होना और बड़ा दिखने में काफी संघर्ष मेरे साथ रहा, लेकिन मेरे चेहरे पर एक मासूमियत है, जो मेरे चेहरे को सब से अलग रखती है.
वे कहती हैं कि यह सही है कि एक नामी स्टार न होने पर अच्छा काम मिलने में मुश्किलें आती हैं, क्योंकि सारे प्रोड्यूसर बड़े स्टार्स के साथ फिल्में बनाना चाहते हैं, लेकिन अगर मैं लगी रहूं, तो लोग नोटिस करते हैं और काम मिलता है. धारावाहिक ‘परवरिश’ से मैं घरघर पहचानी गई.
सहज नहीं इंटीमेट सीन्स
इंटीमेट सीन्स में सहजता के बारे में पूछने पर आंचल कहती है कि अभी तक मैं ने बहुत अधिक वैब सीरीज नहीं किए हैं, क्योंकि उन में बहुत अधिक बोल्ड सीन्स आने लगे है, इस से मेरे अंदर थोड़ा डर पैदा हो गया है, क्योंकि ऐसे दृश्य करने में मैं सहज नहीं हूं. इसलिए मुझे कई सारे वैब शोज छोड़ने भी पड़े, लेकिन प्यारा सा लव सीन किसी कहानी में अगर हो, किसी प्रकार की अश्लीलता उन में नहीं हो, तो मैं उसे करना चाहूंगी.
नहीं किए सासबहू सिरियल्स
टीवी से फिल्मों में आना आंचल के लिए मुश्किल नहीं था, क्योंकि उन्होंने कभी सासबहू वाले धारावाहिक नहीं किए हैं और यह उन का दृढ़ निश्चय था. वे कहती हैं कि जब मुझे सासबहू धारावाहिक के औफर आने लगे, तो मैं ने मना कर दिया. शो ‘बड़े अच्छे लगते हैं’ के बाद मैं ने टीवी से ब्रेक ले कर फिल्मों में काम करने का मन बनाया. पहले तमिल फिल्म की, फिर ‘घायल’ फिल्म मिली। इस तरह मेरी फिल्म की जर्नी शुरू हो गई.
वे कहती हैं कि यह सही है कि फिल्म और टीवी की ऐक्टिंग में काफी अंतर होता है। टीवी में एक चरित्र को सालों तक करना पड़ता है, जबकि फिल्म में 2 महीने ही एक चरित्र को जीना पड़ता है, लेकिन फिल्म की चरित्र को तैयार करने में मुझे बहुत मजा आता है, क्योंकि फिल्म में चरित्र की तैयारी बारीकी से करनी पड़ती है. यही वजह है कि वी आर फैमिली की आलिया की भूमिका मेरे दिल के करीब है, क्योंकि टीनएजर की इस भूमिका के कई लेयर्स थे, जिस में रोनाधोना, गुस्सा दिखाना आदि कई भाव थे, जिसे करने में मजा आया. मेरा सपना है कि मैं ‘पुष्पा’ जैसी फिल्म में मुख्य भूमिका निभाऊं, इस के लिए मेहनत जारी है और दर्शकों को सरप्राइज देने वाली हूं.
ऐक्टिंग से अधिक जरूरी फील करना
नए जैनरेशन से आंचल कहती हैं कि आप एक अच्छे कलाकार तभी बन सकते हैं, जब आप ने उस दृश्य को अंदर से फील किया हो. नहीं तो अभिनय बनावटी लगता है. अगर गुस्से की ऐक्टिंग करनी है, तो अंदर से गुस्सा आना जरूरी होता है, क्योंकि आज के कैमरे बहुत स्मार्ट होते हैं, वे ओरिजनल न होने पर
पकड़ लेते हैं. शो ‘परवरिश’ में जब एक सीन में रूपाली गांगुली मुझे डांट रही होती है, तो मैं फील करती थी कि वह मुझे रियल में डांट रही है और मुझे रोना आता था.
कठिन सीन को करना मुश्किल
फिल्म ‘घायल’ के शूट के दौरान मेरे पूरे पैरों में बैंडिज लगाया गया था और मुझे गुंडों से जान बचा कर भागना था उस दिन पीरियड्स का पहला दिन था. पूरे दिन मुझे भागते रहने का दृश्य ही करना था। इस से मुझे बहुत मुश्किल हो रही थी। कई रिटेक भी दिए.
नए साल में दिया मैसेज
आंचल कहती हैं कि मेरा यह साल बहुत अच्छा गुजरा है। आगे भी अच्छी फिल्में करूंगी और मैं दर्शकों का मनोरंजन करना चाहती हूं. मैं नए साल को एक नए प्रोजैक्ट के साथ सैलिब्रेट करना चाहती हूं. युवाओं से मेरा अनुरोध है कि नए साल को आप सभी अच्छी व नई ऊर्जा के साथ शुरू करें.