‘डीजे वाले बाबू जरा गाना चला दे…’ से चर्चित होने वाले पंजाबी रैपर बादशाह जिनका ओरिजिनल नाम आदित्य प्रतिक सिंह सिसोदिया है, आज एक जाना माना नाम हैं. वे हिंदी गाने के अलावा पंजाबी और हरियाणवी गानों के लिए भी जाने जाते हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2006 से की थी. जिसमें उन्होंने कई पंजाबी गायकों के साथ जुगलबंदी की है. हिंदी सिनेमा में उन्हें पहचान फिल्म ‘खूबसूरत’ और ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ से मिली. बचपन से ही कुछ अलग पहचान बनाने की इच्छा में वे इस क्षेत्र में उतरे.
बादशाह यानी कि आदित्य प्रतिक सिंह ने ना केवल सिविल इंजीनियर की पढ़ाई की बल्कि वो इस फील्ड में काम भी किया करते थे, लेकिन उन्हें इस काम में कुछ मजा नहीं आ रहा था इसलिए समय मिलते ही वह सिंगर के साथ रैप कर लिया करते थे. उनके दोस्त उनके रैप को बहुत पसंद करते थे. काम के दौरान ही उन्होंने जास्मिन से शादी की, जिन्हें वह बहुत सालों से डेट कर रहे थे. उनकी एक 14 महीने की बेटी भी है. इन दिनों वे स्टार प्लस के रियलिटी शो ‘हम है हिन्दुस्तानी 2’ में जज बने हैं, उनसे मिलकर बात करना रोचक था, पेश है अंश.
इस शो को करने की खास वजह?
इसमें पूरे विश्व से लोग आकर हिंदी गाने गा रहे हैं, जो मुझे काफी उत्साहित कर रही है. मुझे उस टैलेंट को देखने की इच्छा है.
आप के फिल्मी गाने और एलबम गानों के शब्द अच्छे होते है, इसका श्रेय किसे जाता है? क्या आप खुद लिखते हैं या किसी से लिखवाते हैं?
हर गाने को पहले मैं सुनता हूं उसमें प्रयोग किये गए शब्द मुझे सुनने में कैसे लगेगें, उसे सोचकर उसी के अनुसार लिखता हूं. मैं खुद लिखता और कंपोज करता हूं. मैं अपने आप को एक दर्शक या श्रोता मानता हूं. फिर मेरे यार दोस्तों को नए गाने सुनाता हूं अगर उन्हें अच्छा लगा तो मैं रिलीज कर देता हूं.
आपके रैपर बनने के पीछे क्या वजह है?
असल में पंजाब पूरे विश्व से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, क्योंकि उनके कोई न कोई रिश्तेदार बाहर गए होते हैं. ऐसे में कोई भी फैशन या साउंड नार्थ में पहले आता है. अभी हिप-हौप का जमाना है. काफी लोग इससे प्रभावित हैं और सभी वैसा ही गा रहे हैं. मेरे रैपर होने की वजह है संगीत में मेरी रूचि. मैं स्कूल में ‘कोयर ग्रुप’ में था. 5 वीं कक्षा तक गाने के बाद मुझे संगीत की टीचर ने अनुसाशन हीनता की वजह से निकाल दिया, पर संगीत में रूचि मुझे पहले से ही थी. मैं होमवर्क करते वक्त भी गाने सुनता था. ऐसे में लगा कि यही मेरा क्षेत्र है और इसी में मुझे जाना चाहिए.
आपकी अनुसाशन हीनता क्या थी?
मैं स्कूल लेट जाता था. मैं आलसी बहुत था और अभी भी हूं. मेरा घर स्कूल के पास होने के बावजूद लेट हो जाने पर सजा मिलती थी.
यहां तक पहुंचने में परिवार का सहयोग कितना रहा है?
परिवार का कोई सहयोग नहीं था. वे नौकरी करने के लिए कहते थे, क्योंकि इंजिनियर बनने के बाद मैंने कुछ सालों तक नौकरी भी की थी, लेकिन मेरा मन उसमें लग नहीं रहा था. मैं सोचता रहा कि आखिर मैं नौकरी क्यों कर रहा हूं? काम के साथ-साथ भी में गाने बनाता था और पैसे भी आने लगे थे. मैं सेल्फ डिपेंड हो चुका था. फिर मैंने नौकरी छोड़ दी.
आजकल वेबसाइट पर लोग गाने डालते हैं और पोपुलर भी होते हैं, इसे कैसे देखते हैं?
ये बहुत सही है आज प्रतिभावान व्यक्ति को किसी प्रोडक्शन हाउस के लिए मोहताज नहीं होना पड़ता. अगर प्रतिभा है तो आप वेबसाइट पर जाकर अपना गाना डालें. बहुत सारे लोग इसे देखते है. आपको पता चलता है कि आप कितने पानी में है. ये एक अच्छा प्लेटफोर्म है.
नए गाने को बनांते समय किस तरह के शोध आप करते हैं, ताकि गाना सबको पसंद आये?
मैं नदीम श्रवण, अन्नू मलिक आदि के गाने सुनता हूं. उनके हिसाब से अगर गाने चलने हैं, तो वह मेलोडी पर ही चलेंगे, उसमें कितनी भी ‘बीट’ या कुछ भी कर लें, अगर मेलोडी नहीं है, तो गाना चल नहीं सकता. ऐसे में मैं कुछ भी गाना बनाऊं, उसमें मेलोडी होती है और गाना चलता है.
आगे कौन सी फिल्मों के गाने बना रहे हैं?
नमस्ते इंग्लैंड, नवाबजादे, ए बी सी डी आदि सभी के लिए गाने कंपोज कर रहा हूं. जहां भी अच्छा माहौल मिलता है मैं उनके साथ काम करता हूं.
खाली समय में क्या करना पसंद करते हैं?
सोना और घूमना बहुत पसंद करता हूं. बेटी का ध्यान रखता हूं.
सेलिब्रिटी स्टेटस के बाद आपमें कितना बदलाव आया है?
अब मैं अपने आलसीपन को जस्टिफाई कर देता हूं. पहले जैसे बाजार में सामान लाने नहीं जाता. अधिक बदलाव मुझमें नहीं है. मेरे माता-पिता मेरे आलोचक हैं. पत्नी का कहना होता है कि बस घर जल्दी आ जाओं. मेरे काम में उसकी कोई रूचि नहीं है.
इसके अलावा और क्या करने की इच्छा रखते हैं?
मैं एक प्रोडक्शन हाउस खोलना चाहता हूं. कई चैनल को वेब कांटेक्ट देना शुरू कर दिया है. पंजाबी फिल्में करने की कोशिश चल रही है. टीवी चैनेल खोलने और एअरपोर्ट पर रेस्तरां खोलने की इच्छा रखता हूं.
यूथ को क्या मेसेज देना चाहते हैं?
उन्हें मेरा मेसेज है कि माता–पिता की सुनों, उन्हें इग्नोर न करो. उनके अनुभव तब काम आते हैं, जब आप खुद भी परिवार के साथ काम को संहालते हो.