मराठी फिल्म श्योधू कुठे से फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाली भाग्यश्री मोटे को कौलेज के दिनों से ही अभिनय का शौक था वह सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेती थी और एक समय ऐसा आया जब उन्होंने अभिनय को ही अपना करियर बनाने का निर्णय लिया. भाग्यश्री मराठी सीरियल श्वयानीश में मुख्य भूमिका निभाने के बाद हिंदी पौराणिक सीरियलों जोधा अकबर, सिया के राम, देवों के देव महादेव में बेहतरीन अभिनय किया. प्रियंका चोपड़ा निर्मित फिल्म ‘काय रे रास्कला’ और ‘लय भारी’ जैसी फिल्मों में कैमियो किया है. इतना ही नहीं भाग्यश्री ने मराठी और हिंदी के अलावा तेलुगु फिल्म में भी काम किया है. आईये जानते हैं उनकी आगामी फिल्म पाटिल और इंडस्ट्री में अब तक के सफर के बारे में भाग्यश्री क्या कहती हैं.
अभिनय के क्षेत्र में कैसे आना हुआ आप पुणे की रहने वाली हैं मुंबई में कैसे एडजस्ट किया?
अभिनय के क्षेत्र में आने की मेरी कोई प्लानिंग नहीं थी न ही मेरा कोई ऐसा बैकग्राउंड है. मैं पुणे की एक मिडिल क्लास फैमिली से हूं. वहीं पर स्कूल कौलेज की पढ़ाई पूरी हुई. जैसा कि आप जानते हैं पुणे महाराष्ट्र का सांस्कृतिक केंद्र है. यहां स्कूल कौलेजों से ही सांस्कृतिक कार्यक्रम और नाटक होना शुरू हो जाता है. कहीं न कहीं उसका प्रभाव पड़ा और मैं कौलेज के सांस्कृतिक कार्यक्रमोंए वर्कशौप और इवेंट का हिस्सा बनने लगी. मैंने मेरा पहला नाटक ११वीं में कियाए उसके बाद फिल्म में अभिनय करने का फैसला किया. इसी उद्देश्य के साथ १२वीं के बाद मैं अकेले मुंबई शिफ्ट हो गई और डालमिया कौलेज में मास मीडिया व कम्युनिकेशन की पढ़ाई करने लगी, इसके साथ ही औडिशन भी देती रही.
फिल्म शोधू कुठे से लेकर पाटिल मिलने तक आपको कितना संघर्ष करना पड़ा?
मुंबई आने से पहले ही मैं फिल्म शोधू कुठे की शूटिंग पूरी कर चुकी है, नाटक और वर्कशौप से हमेशा जुडी रही. मुंबई में डेढ़ साल रहने के बाद मुझे देवयानी सीरियल मिला, लेकिन इतना आसान नहीं था सब कुछ. डेली मैं नोटबुक बनाती थी कि आज किससे और कहां मिलना है. दिन में लगातार पांच मीटिंग करती थी औडिशन देने के बाद मैं उनके कौल का इन्तेजार करती थी. इस तरह से मुझे देवयानी सीरियल में लीड रोल के लिए सेलेक्ट किया गया, जिसे मेरे करियर का टर्निंग पौइंट कह सकते हैं. लेकिन फैमिली प्रेशर बढ़ रहा था कि मैं यहां फिल्म करने आई हूं तो क्या कर रही हूं. इस तरह से मैंने फिल्म करने के उद्देश्य से एक साल के बाद देवयानी छोड़ दिया इसके बाद मैंने ‘सिया के राम’ में सुपर्णखा की भूमिका की. जो ग्रेशेड होते हुए भी एकदम नए सिरे से प्रेजेंट किया गया. जिससे मुझे काफी कुछ सिखने को मिला इसके बाद मैंने ‘काय रे रास्कला’ में कैमिओ किया. इसके लिए मुझे काफी सराहना मिली. ज्यादातर लोग मुझे सीरियस भूमिका के लिए पसंद करते थे, लेकिन मैं हर जोन ट्राई करना चाहती हूं.
फिल्म पटिल और अपनी रोल के बारे में कुछ बतायें
महाराष्ट्र में पाटिल एक कम्युनिटी है जो अपने शान शौकत और साहस के लिए जानी जाती है. लेकिन यह किसी कम्युनिटी पर आधारित फिल्म नहीं है, यह एक अलग ही तरह की फिल्म है जिसमें पाटिल नाम का एक करैक्टर है जो अपने जीवन में संघर्ष और बलिदान दे रहा है जो कभी हार नहीं मानता है कुल मिलाकर इसे आप जीवन में कुछ सिखने वाली फिल्म कह सकते है. पहली बार मैं ऐसा रोल कर रही हूं जो मैं एक्चुअली में हूं. फिल्म में मैं पुष्पा बाघमारे नाम की एक बोल्ड और आत्मविश्वास से भरी लड़की की भूमिका निभा रही हूं. जो एक कलेक्टर की बेटी है और जो अपन फैसला खुद लेती है
आपने हिंदी मराठी के अलावा तमिल भाषा में भी काम किया है किस भाषा में ज्यादा सहज महसूस करती हैं?
मैं किसी एक भाषा को प्राथमिकता नहीं दूंगी. लेकिन हां, मराठी मेरी मातृभाषा है तो इसमें ज्यादा सहज महसूस करती हूं. क्योंकि इसे मैंने बचपन से पढ़ा और सुना है मैंने हिंदी और तमिल दोनों भाषाओँ में काम किया है हिंदी तो ठीक है लेकिन तमिल तेलुगु बोलना आसान काम नहीं है लेकिन वहां के लोग इतने प्रोफेशनल होते है कि सब कुछ आसान बना देते है उस फ्लो में मैंने सब कर लिया. मैं हर भाषा में काम करना चाहूंगी, क्योंकि सभी का अपना अपना मजा है.
अभिनय के क्षेत्र में बने रहना कितना चुनौतीपूर्ण है?
अभिनय का क्षेत्र इसलिए चुनौतीपूर्ण बन गया है क्योंकि यहां लगातार एक्सपेरिमेंट होते है यहां आपको ज्यादा से ज्यादा अपडेट और मानसिक रूप से हर तरह की भूमिका करने के लिए तैयार होना रहता है यदि आप तैयार नहीं हो तो मौका हाथ से निकल जाता है. इसके लिए मैं डेली एक फिल्म देखती है किताबे पढ़ती हूं लोगों को ओब्सर्व करती हूं हर दिन कुछ नया करने की कोशिश करती हूं.
क्या आपको कभी कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा है? यदि हां, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया थी?
मेरा मानना है कि फिल्म इंडस्ट्री एक ओपन इंडस्ट्री है यहां जो भी चीजे होती है वो बहुत ओपन और लाउड होती है यहां एक दुसरे को लोग स्वीकार करते है इसलिए मुझे खुशी होती है. मैं इस इंडस्ट्री का हिस्सा हूं. लेकिन हर क्षेत्र में दो तरह के लोग होते ही है यहां भी आपको अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग मिलेंगे. ये आप पर निर्भर करता है कि आप कौन सा रास्ता चुनते हो. यदि आप आत्मविश्वास से भरे है तो कोई फंसा नहीं सकता है. मुझे भी इस तरह के प्रस्ताव मिले, लेकिन मैंने अपना आत्मसम्मान खोने के बजाय अपने टैलेंट पर भरोसा किया. मेरी कोशिश हमेशा यही रहती है कि सामने वाला मुझे मेरा काम देखकर पूछे.
सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग और अफवाहों को किस तरह लेती है आप?
मुझे तो ये सब बहुत मजाकिया लगता है कि लोगों को हर रोज मनोरंजन का कोई न कोई जरिया चाहिए, लेकिन मैं इसे सकारात्मक तौर पर लेती हूं यह क्षेत्र ही ऐसा है जहां आपको लोग देखते है लोग आपको ओब्सर्व कर रहे है देख रहे है हम इस फिल्ड में आये ही इसलिए है कि लोग हमें देखेए पहचाने. मेरे ख्याल से इस में ज्यादा ध्यान देने वाली कोई बात नहीं है.
आज की महिलायें नई नई चुनौतियों का सामना कर रही है लेकिन क्या उनके प्रति समाज के नजरिये में कुछ परिवर्तन आया है?
इस विषय पर बोलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है लेकिन मैं कहना चाहूंगी कि अब हर फिल्ड में महिलाएं आ रही है और अब लोगों की सोच और नजरिया दोनों बदल रहे है. मेरा मानना है कि समाज तो हमेशा नए नए नियम बनाता रहा है और आगे भी बनाता रहेगा वो चाहे आपको पीछे ले जाये या आगे. यहां जब तक आप खुद मजबूत नहीं बनेंगी. अपने आत्मसम्मान की रक्षा नहीं करेंगी. कोई कुछ नहीं करता है इसके लिए महिलाओं का शिक्षित और आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है, तभी वे अपने अधिकार के लिए आवाज उठा सकती हैं. इसके लिए आपके अन्दर इतना आत्मविश्वास होना चाहिए कि आप अपना पौइंट प्रूव कर सको. लेकिन इसमें भी बहुत समय लगेगा.
पीरियड को लेकर समाज में व्याप्त अंधश्रद्धा पर आपकी क्या राय है? क्या आप विश्वास करती हैं?
व्यक्तिगत तौर मैं इन सब बातों पर विश्वास नहीं करती हूं लेकिन मैंने अपनी मां को देखा है कि वो चार दिन किचन में नहीं जाती थी. इसमें उनकी भी गलती नहीं है वो वही कर रही थी जो उन्हें सिखाया गया था. इस तरह से पीढ़ी दर पीढ़ी ये मानसिकता बनती गई है. मेरा विश्वास है कि पीरियड एक औरत की शक्ति है मुझे यह किसी भी तरह से धार्मिक या अध्यात्मिक नहीं लगता है इस दौरान बौडी कमजोर हो जाती है इसलिए आराम और खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए. ये सब इनफार्मेशन और नौलेज की बाते है मैं साइंस में विश्वास करती हूं और इस सब चीजों में नहीं फंसती हूं.
एक्ट्रेस नहीं होती तो क्या बनती आप? फ्री टाइम में क्या करती हैं?
अभिनय के अलावा मुझे सिंगिंग का शौक है यदि मैं एक्टर नहीं होती तो सिंगर या फिर फैशन डिज़ाइनर जरूर बनती. फ्री टाइम में मुझे रीडिंग, राइटिंग, डांसिंग, म्यूजिक और कुकिंग करना अच्छा लगता है.
आपके अपकमिंग प्रोजेक्ट बताएं
अगले साल मेरी एक हिंदी फिल्म ‘इश्क फितूरी’ आने वाली है जिसकी शूटिंग पूरी हो चुकी है इसके अलावा अगले साल एक तेलुगु फिल्म आने वाली है. जो तमिल का रीमेक है मराठी में पटिल के बाद नवम्बर में प्रियदर्शन की फिल्म ‘श्माझा बायकोचा प्रियकरश’ आ रही है.
किस तरह का रोल आपका ड्रीम रोल है?
मुझे महिला सशक्त फिल्में करना बहुत पसंद है इसलिए मैं कंगना राणावत की मणिकर्णिका जैसी फिल्म और भूमिका करना चाहूंगी.
ब्यूटी सीक्रेट : ज्यादा से ज्यादा पानी और सब्जी
फिटनेस मंत्र : योगा
पसंदीदा खाना : पूरण पोली
पसंदीदा डेस्टिनेशन : केप टाउनए साउथ अमेरिका
पसंदीदा परफ्यूम : इसी मियाके वर्साचे