फिल्म ‘तीन पत्ती’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री श्रद्धा कपूर को सफलता फिल्म ‘आशिकी टू’ से मिली. जिसमें उनके काम को काफी सराहना मिली और कई अवार्ड भी मिले. अभिनेत्री के अलावा वह गायिका भी हैं और कई फिल्मों में उन्होंने गाने भी गाये हैं. फिल्मी परिवार में पैदा हुई श्रद्धा को बचपन से ही अभिनय का शौक था, जिसमें साथ दिया उनकी मां शिवांगी कपूर और पिता शक्ति कपूर ने.
श्रद्धा के इस फिल्मी करियर में कई सफल और कई असफल फिल्में रही हैं, लेकिन वह असफलता को अधिक महत्व नहीं देती. उन्हें हर फिल्म में काम करना पसंद है. हर फिल्म के प्रोसेस को वह पसंद करती हैं. श्रद्धा अभी फिल्म ‘स्त्री’ के प्रमोशन पर हैं. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.
इस फिल्म को चुनने की खास वजह क्या है?
ये एक हौरर कौमेडी फिल्म है, इसे लेकर मैं काफी उत्साहित हूं. फिल्म की कहानी इसका स्ट्रोंग पौइंट है. इसकी कहानी सुनने के बाद बहुत अच्छा लगा. उम्मीद है दर्शक भी इसे पसंद करेंगे.
आप रियल लाइफ में भूत-प्रेत पर कितना विश्वास करती हैं?
मैं विश्वास तो नहीं करती, पर बचपन में मैंने कई कहानियां सुनी थी और तब उसे ही सही मानती थी. बड़े होने के बाद समझ में आया कि ऐसा कुछ नहीं होता, पर मुझे हौरर फिल्मों से हमेशा डर लगता है और रात में हमेशा एक छोटी लाइट जलाकर ही सोती हूं.
आज के परिवेश में एक ‘स्त्री’ कितनी आजाद है?
ऐसा देखा गया है कि हमारे परिवार के लोग ही किसी महिला को रात में घूमने से मना करते हैं, क्योंकि वह सुरक्षित नहीं. जबकि उन्हें लड़कों को भी घर से रात को निकलने नहीं देना चाहिए, ताकि क्राइम ही न हो. हमारे देश में महिलाएं आज भी आजाद नहीं. रात में कहीं जाने के लिए उन्हें किसी न किसी का सहारा लेना पड़ता है. मुझे दुःख होता है, जब मैं ऐसी किसी भी घटना को पढ़ती या देखती हूं. जिसमें महिला के साथ बलात्कार या भ्रष्टाचार जैसी घटनाएं होती है. इसे बंद होना चाहिए और इसके लिए कड़े कानून होने की जरुरत है ताकि अपराधी अपराध करने से डरें.