वेब सीरीज ‘मेड इन हेवेन’ में काम कर चुकी अभिनेत्री यानिया भारद्वाज ने हाल ही में थ्रिलर फिल्म छोरी में एक चुड़ैल सुनैनी की भूमिका निभाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है. हालाँकि इस अवस्था में आधिकतर न्यू कमर रॉमकॉम फिल्मों में काम करना पसंद करते है, ऐसे में यानिया ने अन्कन्वेन्शनल रास्ता चुना है, जिस पर उनके लिए चलना आसान नहीं था, पर यानिया को इस भूमिका से काफी प्रसंशा मिली है. उनके इस फ़िल्मी कैरियर में उनकी मां सुषमा शर्मा और पिता निरंजन शर्मा का बहुत सहयोग रहा है. उन्होंने हमेशा बेटी का साथ दिया है. स्वभाव से विनम्र और हंसमुख यानिया ने गृहशोभा के किये ख़ास बात की पेश है अंश.

सवाल- आभिनय में आने की इच्छा कैसे पैदा हुई?

जवाब – परिवार में दूर-दूर तक कोई भी फ़िल्मी दुनिया से नहीं है. सभी इंजीनियर और साइंस के क्षेत्र से है. मुझे अभिनय का शौक वर्ल्ड सिनेमा देखकर आया और इसके बाद मैंने थिएटर में अभिनय करना शुरू कर दिया था. इसके बाद धीरे-धीरे फिल्मों में काम मिल रहा है. मुझे टीवी देखना पसंद है, पर काम करने की इच्छा अभी नहीं है. मुझे हमेशा अलग और चुनौतीपूर्ण काम करने में मजा आता है.

सवाल –छोरी जैसी फिल्मों में काम करने की खास वजह क्या रही?

जवाब – ये चरित्र बहुत चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि इसमें प्रोस्थेटिक का प्रयोग हुआ है, लेकिन इसमें चुड़ैल की भी एक इमोशन और मेंटल स्टेटस बहुत मजबूत है, जिसे दिखाने की कोशिश की गयी है. यही इस चरित्र की खास विशेषता थी और कलाकार के रुपमे मुझे कर लेना चाहिए. इसके अलावा वेब सीरीज मेड इन हेवेन से ये चरित्र एकदम अपोजिट था और इसे करने पर दर्शकों को लगेगा कि मैंने कुछ अलग काम किया है. इस काम का मिलना भी आसान नहीं था. मुझे तीन ऑडिशन देने पड़े.

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सवाल – सुना है कि आप इस प्रोस्थेटिक को लगाने के के लिए 3 घंटे बैठने पड़ते थे, इसके बाद उसे लेकर शूटिंग और अंत में निकालना, ऐसा करते-करते आप अस्पताल में भर्ती हो गयी थी, इसमें कितनी सच्चाई है?

जवाब – असल में प्रोस्थेटिक में पूरे शरीर को कवर करना पड़ता है,इसे दिन की शुरुआत में लगता था, फिर शूटिंग शाम तक खत्म होता था,इससे मैं थक जाती थी. इसलिए मैं हर रात को एक पेन किलर लेती थी, ताकि मेरी वजह से शूटिंग में देरी न हो. हर रोज पेन किलर लेने की वजह से मेरे पेट में गड़बड़ी हो गयी थी और शूटिंग की अंतिम दिन मैं कुछ खा नहीं पा रही थी, जो भी खाती थी मुझे उल्टी हो जाती थी, इसलिए मुझे हॉस्पिटल जाना पड़ा था.

सवाल –हिमाचल प्रदेश से अधिकतर न्यू कमर आते है और उन्हें काम भी कमोवेश मिल जाता है, क्या हिमाचल कला के क्षेत्र में धनी है ? वजह क्या मानती है?

जवाब – वैसे इंडस्ट्री में हर जगह से लोग आते है, लेकिन सफल वही हो पाते है, जो किसी चुनौती को लेने से डरते नहीं, क्योंकि यहाँ रिजेक्शन बहुत होता है और यूथ उससे डर कर भाग जाते है, जबकि ऑडिशन में रिजेक्शन लाइफ की एक पार्ट है और उसे उसी रूप में लेने की आवश्यकता है. मेहनत को जारी रखने से काम मिल जाता है और जो ऐसा नहीं कर पाते वे छोडकर चले जाते है. इसके अलावा हिमाचल कला के क्षेत्र में धनी है, वहां की हवा प्योर है और प्रदूषण नहीं है.

सवाल – हिमांचल से मुंबई कैसे आना हुआ, परिवार के रिएक्शन क्या थे?

जवाब – मेरी जर्नी बहुत कठिन थी. पहले मैं मुंबई आई थी, लेकिन ग्रेजुएशन के लिए वापस चली गयी थी. ग्रेजुएशन करने के बाद मेरे पेरेंट्स ने मुझेमेरे पसंद की काम करने की आज़ादी दी. उन्होंने कभी किसी बात को मेरे ऊपर थोपा नहीं, लेकिन हमेशा साथ देने की बात कही, जो मेरे लिए बहुत अच्छी बात रही,क्योंकिपहले मैं एस्ट्रोनॉट्स बनना चाहती थी, लेकिन कुछ कारणों से उस फील्ड में नहीं जा सकी. फिर मैंने एक्टिंग में जाने की बात सोची. इसके अलावा मुंबई आते वक्त कभी मेरी माँ तो कभी मेरे पिता साथ आते थे. परिवार का पूरा सहयोग है.मुंबई आकर मैं अपनी छोटी बहन के साथ रही. धीरे-धीरे मेरी एक्टिंग जर्नी थिएटर से शुरू हुई.

सवाल – फिल्म छोरी की सफलता को कैसे सेलिब्रेट कर रही है?

जवाब – मुझे ख़ुशी इस बात से है कि उसमें मेरी भूमिका के इमोशन को लोग फील कर पा रहे है और मेरे पेरेंट्स भी इससे बहुत खुश है. मुझे एक खूबसूरत मेसेज इन्स्टाग्राम पर आया है कि फिल्म छोरी को देखते हुए उस लड़की की माँ इतनी डर गयी कि पूरी फिल्म तक वह रोते जा रही थी, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि इस लड़की के साथ ये सब कैसे हुआ. बहुत ही रियल अभिनय था. इसके अलावा लड़कियों के लिए इसमें काफी मेसेज है, जिसकी वजह से वे मेरे चरित्र से काफी प्रभावित हो रही है.

सवाल –  रियल लाइफ में यानिया कैसी है?

जवाब – मैं बहुत ज्यादा इमोशनल हूं. कई बार मेरी माँ मुझे किसी बात को लेकर सोचने  से मना करती है.

सवाल – अभिनय के अलावा किस बात का शौक रखती है?

जवाब – मैं ट्रैकिंग करती हूं. मुझे माउंटनियरिंग का बहुत शौक है और मैंने 5 हज़ार 400 मीटर तक चढ़ाई कर वहां की गुफा में 2 से 3 दिन रही भी हूं और मैं प्रोफेशनली 8 से 9 किलो का बैग उठाकर चलती हूं, लेकिन एक दिन माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश अवश्य करुँगी.अभी धौलाधार रेंज मैंने कवर किया है. अगले साल मैं माउंट एवरेस्ट की  बेस कैंप तक जाने की इच्छा है. कभी न कभी मैं एक कोशिश अवश्य करुँगी.

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सवाल – आपकी ड्रीम क्या है?

जवाब – मेरी ड्रीम एक वैरियर बनने की है. मुझे तलवार चलानी आती है, इसलिए अगर मुझे किसी वैरियर की भूमिका निभाने का मौका मिले तो बहुत अच्छी बात होगी.

सवाल – आज भी पुरुष और महिला कलाकारों में भेदभाव हर परिस्थिति में होती है, क्या आपको कभी इसका सामना करना पड़ा और आपकी नजर में इसमें जिम्मेदारी किसकी है?

जवाब – ये व्यक्ति विशेष की सोच पर निर्भर करता है. किसी को इसका जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता है. मेरा कहना है कि लड़कों की तरह ही लड़कियों को उतनी महत्व दें. लड़कियां बहुत मजबूत होती है और जो काम करना चाहे कर सकती है.

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