उत्तरप्रदेश के छोटे से कस्बे, लखीमपुर खीरी में जन्मी अभिनेत्री पारुल चौहान, एक मध्यमवर्गीय परिवार से है. पारुल हमेशा एक्टिंग इंडस्ट्री में अपना कैरियर बनाने का सपना देखा करती थी, लेकिन कैसे होगा, उसे पता नहीं था. पढाई पूरी करने के बाद वह कैरियर बनाने के लिएमुंबई आई और पहली ब्रेक धारावाहिक ‘सपना बाबुल का ....बिदाई’ में मुख्य भूमिका निभाने के बाद वह घर-घर पहचानी गई, स्वभाव से विनम्र और हंसमुख पारुल शो ‘गरुड़’ में नकारात्मक भूमिका,एक सर्पिनी क्वीन खुदरूकी है, जिसके लिए उनका लिबास 8 से 9 किलोग्राम है, जो काफी हैवी है. इसे हर रोज उन्हें पहनना पड़ता है, जो शुरू में बहुत मुश्किल था,पर अब वह इस भूमिका से बहुत खुश है, उन्होंने खास गृहशोभा के लिए बात की. बातचीत के कुछ अंश इस प्रकार है.
सवाल – ऐसे हैवी पोशाक पहनकर आप सेट पर कैसे रह पाती है?
जवाब –करीब 12 से 13 घंटे इस हैवी पोशाक को पहनकर रहना पड़ता है, कई बार ज्वेलरी उतार कर रखना पड़ता है, फिर इसे पहनना पड़ता है. बहुत केयर करना पड़ता है, क्योंकि अगर कही कुछ लगा, तो ज्वेलरी टूट भी सकती है, लेकिन मैं इस चरित्र को बहुत एन्जॉय कर रही हूं.
सवाल – इसमें आपने निगेटिव भूमिका निभाई है, क्या इस तरीके की भूमिका आपको पसंद है?
जवाब –कलाकार के रूप में अगर कोई ऐसा चरित्र आपने पहले निभाया न हो तो सामने आने पर उसे करने में अच्छा लगता है, क्योंकि स्क्रीन पर मेरे आते ही दर्शक डर या सहम जाय, तो यहीं मेरे लिए अच्छी बात होगी. सीन करते-करते कई बार मेरे अंदर डेविल दिखने लग जाता है. फिर खुद को नार्मल करना पड़ता है. मिरर में देखकर खुद को समझाना पड़ता है कि क्या नया इम्प्रूव करना है, इसके लिए मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी, खासकर डाइट पर ध्यान देना पड़ा. एक्सरसाइज भी नहीं छोड़ सकती. हेवी ज्वेलरी के साथ विग को सम्हालना बहुत समय और मेहनत लेता है. संवाद कठिन है, लेकिन मैं लखनऊ की होने की वजह से मुझे कुछ समस्या नहीं होती. पहले इस किरदार को निभाने में बहुत मुश्किल था, भारी मुकुट को सिर पर रखने से रोज मेरा सिर दर्द होता था, और घर जाकर हर रात सिरदर्द की गोली लेनी पड़ती थी. अभी थोडा ठीक है, क्योंकि थोड़ी आदत हो चुकी है.
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