मशहूर बौलीवुड अदाकारा समीक्षा भटनागर मूलत: देहरादून, उत्तराखंड की रहने वाली हैं. उन्हें बचपन से ही नृत्य व संगीत का शौक रहा. उन के इस शौक को बढ़ावा देने के मकसद से उन के पिता कृष्ण प्रताप भटनागर और मां कुसुम भटनागर देहरादून से दिल्ली रहने आ गए. यहां समीक्षा भटनागर ने अपनी कत्थक डांस अकादमी खोली. फिर 2 साल बाद अपनी प्रतिभा को पूरे विश्व तक पहुंचाने के मकसद से वे मुंबई आ गईं. सीरियल ‘एक वीर की अरदास वीरा’ सहित कई सीरियलों व फिल्मों में वे अभिनय कर चुकी हैं.
बतौर निर्माता कुछ म्यूजिक वीडियो और एक लघु फिल्म ‘भ्रामक’ भी समीक्षा ने बनाई, जिसे नैटफ्लिक्स पर काफी सराहा गया. इन दिनों वे ‘धूपछांव’ सहित करीबन पांच फिल्में कर रही हैं.
प्रस्तुत हैं समीक्षा भटनागर से हुई ऐक्सक्लूसिव बातचीत के अंश:
देहरादून जैसे छोटे शहर से मुंबई आ कर फिल्म अभिनेत्री बनने की यात्रा कैसी रही?
मेरी राय में हर लड़की को बड़ेबड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास करने का हक है. सपनों का जगह से कोई संबंध नहीं होता. मेरे सपनों को पूरा करने में, मेरे पैशन को आगे बढ़ाने में मेरे पिता कृष्ण प्रताप भटनागर व मां कुसुम भटनागर ने मेरा पूरा सहयोग किया. मैं ने अपनी मां से ही कत्थक नृत्य सीखा है. वे बचपन से कत्थक नृत्य करती रही हैं. उन की इच्छा थी कि मैं भी कत्थक नृत्य सीखते हुए आगे बढ़ूं. मैं गाती भी हूं. मैं भी अपने पैशन के प्रति पूरी लगन से जुड़ी रही.
देहरादून से दिल्ली आने के बाद मैं ने काफी कुछ सीखा. कुछ समय बाद मैं ने महसूस किया कि यदि मुझे रचनात्मक क्षेत्र में कुछ बेहतरीन काम करना है, तो दिल्ली से मुंबई जाना होगा. इसलिए मुंबई आ गई. मुंबई पहुंचते ही मुझे अच्छा रिस्पौंस मिला. मुझे पहला टीवी सीरियल ‘एक वीर की अरदास वीरा’ करने का अवसर मिला.
अकसर देखा जाता है कि टीवी सीरियल में शोहरत पाने के बाद कलाकार थिएटर की तरफ मुड़ कर नहीं देखते. आप के सीरियल लोकप्रिय थे. फिर भी आपने थिएटर किया?
मुझे टीवी सीरियल में अभिनय करते देख लोग प्रशंसा कर रहे थे.लेकिन मैं अपने अभिनय से संतुष्ट नहीं हो रही थी. एक कलाकार के तौर पर मुझे लग रहा था कि मेरे अंदर इस से अधिक बेहतर परफौर्म करने की क्षमता है.
पर कहीं न कहीं गाइडैंस की जरुरत मुझे महसूस हुई. यह थिएटर में ही संभव था. थिएटर में मेरे निर्देशक मुझे डांटते थे. वे कहते थे कि एक ही लाइन को हर बार कुछ अलग तरह से बोलो. थिएटर करते हुए मेरे अंदर का आत्मविश्वास बढ़ा. वैसे भी मैं अपनेआप को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा प्रयास करती रहती हूं. मैं अपने स्किल पर काम करती रहती हूं. मैं खुद अपने काम से कभी संतुष्ट नहीं होती. थिएटर पर मैं ने ‘रोशोमन ब्लूज’ नामक नाटक के 70 से अधिक शो में अभिनय किया. उस के बाद मुझे फिल्में मिलीं.
आप की पहली फिल्म तो ‘कलेंडर गर्ल’ थी?
मैं अपनी पहली फिल्म ‘पोस्टर बौयज’ को मानती हूं. वैसे मैं ने औडिशन देने के बाद फिल्म ‘कलैंडर गर्ल’ में बिजनैस ओमन का छोटा सा कैमियो किया था. मेरा सपना तो सिल्वर स्क्रीन ही है. मगर मैं ने शुरू में टीवी पर काम किया क्योंकि फिल्म नगरी में मैं किसी को जानती नहीं थी. जैसे ही मुझे अपनी प्रतिभा को उजागर करने का अवसर मिला, मैं ने रुकना उचित नहीं समझ. टीवी एक ऐसा माध्यम है, जहां आप जल्दी सीखते हैं. टीवी पर काम करने से आप की परफौर्मैंस को ले कर तुरंत लोगों की प्रतिक्रिया मिलती है, जिसे समझ कर आप अपने अंदर सुधार ला सकते हैं. टीवी पर काम करते हुए हम संवाद को जल्द से जल्द याद करना सीख जाते हैं. हमारी संवाद अदायगी सुधर जाती है.
फिल्म ‘पोस्टर बौयज’ में आप को पहली बार सनी देओल, बौबी देओल, श्रेयश तलपड़े सहित कई दिग्गज कलाकारों के साथ अभिनय करने का अवसर मिला था. उस वक्त आप के मन में किसी तरह का डर था या नहीं?
जब मैं टीवी सीरियल कर रही थी, उस वक्त एक सहायक निर्देशक ने मुझ से कहा था कि मैडम आप खूबसूरत हैं और अभिनय में माहिर हैं. आप को फिल्में करनी चाहिए. उस वक्तमैं ने उन से कहा था कि मौका मिलने पर वे भी कर लूंगी.
फिर एक दिन उसी ने मुझे फोन कर के ‘पोस्टर बौयज’ के लिए औडीशन कर के भेजने के लिए कहा कि मेरे पास आडिशन की स्क्रिप्ट आई और मैं ने भी आडिशन कर के भेज दिया. जिस दिन मेरे पास आडिशन की स्क्रिप्ट आई, उस के तीसरे दिन मैं इस फिल्म की शूटिंग कर रही थी. तो मैं ने सोच लिया था कि अब मुझे आगे बढ़ते जाना है. मैं ने इस फिल्म के लिए काफी मेहनत की थी. पहले ही दिन मेरा 4 पन्ने का दृश्य था. इस सीन में मैं फिल्म के अंदर बौबी को डांटती हूं.
इस के मास्टर सीन के फिल्मांकन में तालियां बज गईं और मेरा आत्मविश्वास अचानक बढ़ गया. बौबी सर ने काफी सपोर्ट किया. श्रेयश तलपड़े से अच्छी सलाह मिली. मुझे कभी इस बात का एहसास ही नही हुआ कि मैं बड़े कलाकारों के साथ काम कर रही हूं. फिल्म के प्रदर्शन के बाद मेरे व बौबी सर के अभिनय की काफी तारीफ हुई. लेकिन इस फिल्म को बौक्स औफिस पर जिस तरह की सफलता मिलनी चाहिए थी उस तरह की नहीं मिली. अब मुझे फिल्म ‘धूपछांव’ के प्रदर्शन का बेसब्री से इंतजार है.
फिल्म ‘धूप छांव’ किस तरह की फिल्म है. इस फिल्म में आप को क्या खास बात नजर आई?
मैं हमेशा एक कलाकार के तौर पर खुद को ऐक्सप्लोर करती हूं. मैं इस बात में यकीन नहीं करती कि आप ऐसा कर लोगे तो आप को किरदार मिलने लगेंगे.एक दिन निर्देशक हेमंत सरन ने मुझे इस फिल्म का औफर दिया, जिस में पारिवारिक मूल्यों की बात की गई है. रिश्तों की जो अहमियत खत्म हो गई है, उस पर यह फिल्म बात करती है.
जब आप संयुक्त परिवार या अपने परिवार के साथ रहते हैं तब आप को एहसास होता है कि परिवार कितनी अहमियत रखता है. आप बेवजह बाहर खुशियां तलाश रहे थे. फिल्म ‘धूपछांव’ में भाई, पतिपत्नी के रिश्तों की बात की गई है. यदि पति नहीं है, तो पत्नी किस तरह जिंदगी जी रही है, उस की बात की गई है. इस में जीवनमूल्यों को अहमियत दी गई है. इस में भावनाओं का सैलाब है. फिल्म ‘धूपछांव’ के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगी.
इस के अलावा और कौन सी फिल्में कर रही हैं?
‘धूपछांव’ के अलावा मैं ने एक फिल्म ‘जागीपुर’ की है. इसे हम ने भारतबंगलादेश की सीमा पर फिल्माया है. इस में कुछ राजनीतिक बातों के अलावा रिश्तों पर बात की गई है. मैं ने इस में वकील का किरदार निभाया है, जोकि अपने भाई के लिए लड़ती है. इस में मेरे साथ जावेद जाफरी भी हैं. वे भी वकील हैं.
एक फिल्म ‘द एंड’ की है, जोकि हिंदी व पंजाबी 2 भाषाओं में बनी है. इस फिल्म में मेरे साथ देव शर्मा, दिव्या दत्ता, दीप सिंह राणा भी हैं. इस के अलावा एक हास्यप्रधान वैब सीरीज ‘जो मेरे आका,’ की जिस में मेरे साथ श्रेयश तलपड़े व कृष्णा अभिषेक भी हैं.
आप ने अपने गायन स्किल के ही चलते म्यूजिक वीडियो बनाए. पर कत्थक डांस के लिए कुछ करने वाली हैं?
सोशल मीडिया पर मैं अपने कत्थक नृत्य के वीडियो डालती रहती हूं. इस के अलावा मेरी एक फिल्म ‘धड़के दिल बारबार’ है, जिस में मेरा किरदार एक क्लासिक डांस टीचर का है, जोकि बच्चों को क्लासिकल डांस सिखाती है. फिल्म की शुरुआत ही मेरे कत्थक डांस के साथ होती है. इस के अलावा मैं कत्थक पर कुछ खास वीडियो भी बनाने वाली हूं.
कोई ऐसा किरदार जिसे आप निभाना चाहती हों?
मैं हमेशा अलग तरह के किरदार निभाती आई हूं. मैं प्रियंका चोपड़ा की बहुत बड़ी प्रशंसक हूं. मैं ने उन की फिल्म ‘बर्फी’ देखी थी. इस में उन का अभिनय सामान्य अभिनय नहीं था. इसी तरह मुझे ‘मर्दानी’ पसंद है. मैं ने भी जिमनास्टिक और मार्शल आर्ट में ट्रेनिंग ले रखी है. बाइक चला लेती हूं. मुझे मेरी आर्मी पृष्ठभूमि वाला किरदार निभाने की इच्छा है. देशभक्ति वाला किरदार निभाना है.
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