फिल्म इंडस्ट्री की एक खुबसूरत अदाकारा के रूप में जानी जाने वाली अभिनेत्री दीया मिर्जा एक प्रोड्यूसर भी है. उनका जन्म हैदराबाद में हुआ है. उन्होंने वर्ष 2000 को मनीला, फिलीपींस में “मिस इंडिया एशिया पैसिफिक” जीता है.
उनके पिता फ्रैंक हैंड्रिच एक जर्मन ग्राफिक्स कलाकार और इंटीरियर डिजाइनर थे,जबकि उनकी मां दीपा एक बंगाली इंटीरियर डिजाइनर रही है. दीया मिर्जा जब 4 साल की थी तब उनके माता-पिता अलग हो गए और 9 साल की उम्र में उनकी पिता का देहांत हो गया, जिसके बाद दीया मिर्जा की मां ने अहमद मिर्जा से शादी कर ली, लेकिन साल 2004 में अहमद मिर्जा की भी मृत्यु हो गई.दीया मिर्जा ने वर्ष 2014 में साहिल संघा से शादी की, लेकिन रिश्ते में मनमुटाव होने के चलते अगस्त 2019 में दीया उनसे अलग हो गई और 15 फरवरी 2021 को एक व्यवसायी वैभव रेखी से शादी की.
मॉडलिंग ने पूरा किया सपना
दीया मिर्जा ने कॉलेज के मीडिया फॉर्म में मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव के रूप में काम किया और कई ब्रांड के लिए टीवी विज्ञापन के चलते मॉडलिंग की. साल 2000 में मिस इंडिया एशिया पैसिफिक का खिताब जीतने के बाद उन्होंने अपना फिल्मी करियर शुरू किया.उस दौरान उन्हें कई फिल्मों के ऑफर आने लगे, जिसके बाद उन्होंने साल 2001 में ‘रहना है तेरे दिल में’ फिल्म से अपनी फिल्म करियर की शुरुआत की.इस फिल्म में उनके काम को काफी सराहा गया. इससे उन्हें आगे भी काम मिलना आसान हो गया.
उन्होंने वर्ष 2002 में ‘तुमको ना भूल पाएंगे’ फिल्म में मुस्कान का किरदार निभाया. इसके बाद उन्होंने ‘प्राण जाये पर शान ना जाये’, ‘तहजीब’, ‘ब्लैकमेल’, ‘नाम गुम जाएगा’ जैसी कई फिल्मों में काम किया. दमदार अभिनय के चलते दीया मिर्जा बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई. गंगा की सीरीज ने उन्हें काफी पॉपुलैरिटी दिलाई और उन्हें ये सीरीज करने में भी काफी अच्छा लगा .
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दिया मिर्जा फिल्म में अपनी भूमिका को हमेशा सोच-समझकर करती है. उनका कहना है कि पिछले कुछ सालों से मुझे अलग तरह की फिल्में करने का मौका मिला है, जो मैं चाहती थी. अलग तरह की रियल फिल्में आज बनती है और लोग देखते है, जो पहले कमर्शियल पॉइंट ऑफ़ व्यू से नहीं बनती थी. आज के प्रोड्यूसर डायरेक्टर नए कांसेप्ट पर काम करते है, जिसका फायदा कलाकारों को मिल रहा है. सोशियों पोलिटिकल ड्रामा पर आजकल कोई फिल्मे बनाना नहीं चाहता, क्योंकि उनका मार्केट नहीं है. किसी भी फिल्म के लिए दर्शक मुख्य होते है, उनकी पसंद को निर्देशक पर्दे पर उतारने की कोशिश करते है. जब मैंने काम शुरू किया था, तब ये समझना मुश्किल था कि कौन सी फिल्म मुझे करनी है, लेकिन अब काम करते हुए काफी समय गुजर गया है और मैं समय के हिसाब से फिल्में करना चाहती हूँ.
स्ट्रोंग मेटरनल इंस्टिंक्ट
दिया मिर्जा इन दिनों फिल्म भीड़ में माँ की भूमिका निभाई है और दर्शकों ने उनकी इस भूमिका को पसंद किया है. वह कहती है कि जब मैंने काफिर फिल्म की थी, तब मैं माँ नहीं थी. अभी मैं माँ हूँ और बच्चे को छोड़कर काम पर जाना, समय न दे पाना आदि कई चीजे है. जो मैं नहीं कर पाई. मेरा बेटा अभियान जब 6 महीने का था, तब मैं काम पर जा रही थी,पर मेरे अंदर मेटरनल इंस्टिंक्ट हमेशा रहा है. मुझे याद है जब मैं काफिर फिल्म कर रही थी, तब काफी लोगों ने मुझे इस भूमिका के बारें में पूछा था, माँ की भूमिका के लिए शारीरिक रूप से माँ बनना जरुरी नहीं है, मुझे हमेशा से बच्चे बहुत पसंद है.
पेंडेमिक पर आधारित फिल्म को करते हुए दीया मिर्ज़ा ने महसूस किया कि देशा में कितने ऐसे लोग है, जो मेहनत कर अपनी जिंदगी पालते है, लेकिन मुश्किल घडी में उनके साथ कोई नहीं होता, वे किसी से कुछ नहीं मांगते, पर वे देश के लिए ही काम करते और हम सभी से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए होते है. जीवन में आये उतार-चढ़ाव के बारें में पूछने पर दीया का कहना है कि जीवन हमेशा नार्मल चला है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से मुझे पति मिले, बेटा मिला और कुछ समस्याएं भी आई, पर उस दौरान हर कोई किसी न किसी रूप में असहाय और असुरक्षित थे, जो मुझे सोचने पर विवश करती थी. फिर चाहे वह सेलेब्रिटी हो या आम आदमी किसी न किसी रूप में परेशान रहा है.
होते है आलोचना के शिकार सेलेब्स
दिया हंसती हुई कहती है कि मैंने हमेशा सिंपल तरीके से इंडस्ट्री में रही खुद में कुछ परिवर्तन के बारें में नहीं सोचा. कंट्रोवर्सी मेरे साथ हुई पर मैं उस बारें में अधिक नहीं सोचती. सोशल मीडिया में इसका रूप अलग-अलग तरीके से दिखता है. आज हर फिल्म को किसी न किसी रूप में आलोचना इस प्लेटफॉर्म पर की जाती है. इससे इंडस्ट्री कई बार डर जाया करती है. असल में विश्व में पॉलिटिक्स की भाषा बहुत भद्दी हो चुकी है. बहुत अधिक नकारात्मकता सभी में है और ये हम सबका दुर्भाग्य है.
स्टोरी टेलर्स के लिए अब समय मुश्किल भरा हो चुका है. फिल्म सेलेब्रिटी इसमें सॉफ्ट टारगेट होते है. ये कुछ लोगों के समूह ही करते है और ये उनकेकिसी एजेंडे के तहत आता होगा, लेकिन अभी भी देश में अधिक संख्या में ऐसे लोग है, जो सकारात्मक सोच रखते है और उनका प्यार हमारे लिए किसी न किसी रूप में रहता है और यही हमारी ताकत होती है. नहीं तो ट्रोलर्स, इंडिविजुअल एटैक, पर्सनल एटैक, शेमिंग आदि चलता रहता है, क्योंकि अगर कोई महिला किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ रही है और किसी पोलिटिकल एजेंडा के आड़े आती है, तो उसे बदनाम करने के लिए लोग किसी भी हद तक जा सकते है. आजकल ये विकराल होता जा रहा है. इसपर अधिक ध्यान देने की जरुरत नहीं.
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इंडस्ट्री में अधिक महिलाओं की है जरुरत
दिया चाहती है कि अधिक से अधिक महिलाएं इंडस्ट्री में काम करें, ताकि अच्छी फिल्में बने और महिलाएं आगे बढे. ओटीटी होने की वजह से सभी पुराने कलाकारों को काम करने का मौका मिला है और ये अच्छी बात है. फैशन स्टेटमेंट्स के बारें में दीया का कहना है कि मैं कपड़ों में भी कहानियों को ढूंडती हूँ, क्योंकि मुझे हैण्ड मेड क्राफ्ट से बने आरामदायक कपडे पहनना पसंद है, जिससे लोकल डिजाईन और डिज़ाइनर को सपोर्ट मिले. मैं हाई फैशन ब्रांड के बारें में नहीं सोचती.