Adah Sharma: शांत और हंसमुख अदा शर्मा आउट्साइडर है और यहाँ तक पहुँचने मे उन्होंने काफी मेहनत की है, लेकिन आज वह बहुत खुश है, क्योंकि धीरे – धीरे ही सही दर्शक उनके अभिनय को पसंद कर रही है, जिससे उन्हे कई फिल्मों और वेब सीरीज मे काम करने का मौका मिल रहा है. अदा शर्मा इन दिनों अपनी फिल्म ‘ बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ को लेकर चर्चा में हैं. फिल्म मे अदा के किरदार को खूब पसंद किया जा रहा है. दर्शकों के साथ-साथ आलोचकों ने भी अदा के किरदार की खूब सराहना की है. अदा शर्मा ने इस फिल्म में अपने लुक को निखारने में कोई कसर नहीं छोड़ी. फिल्‍म के लिए एक्‍ट्रेस ने अपना 10 किलो तक वजन बढ़ाया, ताकि रोल में फिट बैठ जाय, साथ ही फिट भी रहना था, क्योंकि उन्हे पहाड़ों पर चढ़ने के साथ राइफल के साथ एक्शन करना पड़ा था. अपना वजन बढ़ाने के लिए एक्‍ट्रेस ने एक दिन में 15 केले और अलसी के बीज के लड्डू खाई है, जिसे उनकी माँ ने खास बनाकर भेजा था. ‘बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ से पहले अदा ने फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ में भी अपने किरदार के लिए खूब सुर्खियां बटोरी थीं. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई थी. उनकी वेब सीरीज सनफ्लावर 2 भी रिलीज हो चुकी है, जिसमे उन्होंने रोजी मेहता एक बार डान्सर की भूमिका निभाकर दर्शकों को चकित कर दिया है.

मिली प्रेरणा 

15 वर्ष की उम्र से अभिनय के क्षेत्र में उतरने वाली अभिनेत्री अदा शर्मा ने हॉरर फिल्म ‘1920’ से अभिनय शुरू किया. उन्हे हमेशा से ही अभिनेत्री बनने की इच्छा थी और उनके माता – पिता से उन्हे आजादी भी मिली थी.  हिंदी के अलावा उसने तमिल,तेलगू और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया है. मुंबई की अदा शर्मा के पिता मर्चेंट नेवी में थे और उनकी माँ एक क्लासिकल डांसर है. अदा एक जिमनास्ट है और तीन साल की उम्र से डांस सीखना शुरू किया था. उन्होंने सालसा, जैज़ नृत्य भी सीखा है और एक अच्छी बैले डांसर भी है. वह कहती है कि दसवीं परीक्षा देने के बाद  निर्णय लिया कि मैं फिल्मों में काम करुँगी,लेकिन पता नहीं ये कीड़ा कहाँ से आया था.लेकिन मैंने अपना पोर्टफोलियो बनवाकर ऑडिशन देना शुरू कर दिया था. मैं इंडस्ट्री से बाहर की हूँ मुझे पता था कि कोई भी काम मुझे आसानी से नहीं मिलेगा. करीब एक साल के बाद फिल्म ‘1920’ के लिए ऑडिशन हुआ और मुझे अभिनय करने का मौका मिला.

मिला सहयोग

अदा शर्मा के माता-पिता ने हमेशा उनके काम में सहयोग दिया है. वह कहती है कि बचपन में मैं हर तरह की फिल्में देखना पसंद करती थी.मुझे लगता है कि अगर फिल्म ख़राब है तो भी में देख लूँ. इससे मुझे पता चलता है कि मुझे ऐसा काम नहीं करना चाहिए.सबके लिए एक्टिंग भी करती हूँ. मुझे मिमिक्री करने का बहुत शौक है.

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रहना पड़ता है स्ट्रॉंग

ग्लैमर वर्ल्ड में टिके रहने के लिए अदा को हमेशा एक स्ट्रॉंग डिसीजन लेना पड़ता है, क्योंकि यहाँ लोग नकारात्मक सोच नए कलाकारों के दिमाग में डालने के लिए तैयार रहते है. वह मुसकुराती हुई कहती है कि हर क्षेत्र में लोग आपको नकारात्मक सोच देने के लिए  लगे रहते है. ग्लैमर वर्ल्ड में ये कुछ अधिक है, निगेटिविटी आपको यहाँ अधिक मिलती है. ‘पोजिटिविटी’ को बनाये रखना यहाँ बहुत कठिन होता है. बहुत सारे ऐसे लोग है जो आपको नीचा दिखाने की कोशिश करते रहते है. यहाँ मन से बहुत ‘स्ट्रोंग’ रहने की जरुरत होती है. यह क्षेत्र बहुत ‘शेकी’ है, आज जो ऊपर है, कल कहाँ होगा, कुछ पता नहीं होता,कुछ सुरक्षा नहीं होती. इसलिए हमेशा पॉजिटिव रहना, कुछ बुरा किसी के बारें में न सोचना बहुत जरुरी है. अगर आप उस चाल में एक बार फंस जाते है, तो किसी की बुराई करना, उसे भला-बुरा कहना आपकी आदत बन जाती है, जिसमें व्यक्ति खुद ही फंसता चल जाता है. मैंने ऐसा नहीं किया और ये शक्ति मुझे मेरे परिवार से मिला है. मेरे पिता ने हमेशा कहा है कि अपने आपको ऊँचा दिखाने के लिए किसी को नीचा करने की कोई जरुरत नहीं पड़ती.

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अंतरंग दृश्यों में आपत्ति नहीं  

इंटीमेट सीन्स को करने में अदा सहज है. वह कहती है कि जब मैं अभिनय की ओर आई तो हमेशा सोचा कि मैं अपने आपको किसी भी बात से न रोंकू,क्योंकि मैंने देखा है कि लोग कुछ कहते है,लेकिन कुछ सालों बाद वही सीन्स करते है.मैं बहुत साहसी हूँ और सच बोलना पसंद करती हूँ. मैं काफी बोल्ड हूँ.पहली फिल्म में दांतों पर काला-काला रंग लगाकर पर्दे पर आना, चीखना-चिल्लाना किसी भी हिरोइन के लिए आसान नहीं होता, ऐसे में किसिंग सीन्स तो बहुत आसान है.

समय मिलने पर अदा हर तरह की फिल्में देखती देखती है, पियानो बजाती और  डांस की प्रैक्टिस करती है. आज वह बहुत खुश है कि उन्हे अलग – अलग भूमिका करने को मिल रही है, जो उनकी चाहत रही है.

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