खूबसूरत, मृदुभाषी, हंसमुख और साल 2009 की मिस उत्तराखंड बनी अभिनेत्री आशा नेगी (Asha Negi) उत्तराखंड के देहरादून की हैं. मौडलिंग से कैरियर की शुरुआत करने वाली आशा ने टीवी धारावाहिकों और वैब सीरीज में काम किया है. अभिनय के लिए वे 22 साल की उम्र में मुंबई आईं और उन की पहली टीवी धारावाहिक ‘सपनों से भरे नैना’ में मधुरा की भूमिका निभाई. इस के बाद उन्होंने टीवी शो ‘बड़े अच्छे लगते हैं’ में अपेक्षा मल्होत्रा की भूमिका निभाई और बाद में धारावाहिक ‘पवित्र रिश्ता’ में पूर्वी देशमुख का किरदार निभा कर घरघर में पहचानी गईं.
इस के अलावा फिल्म ‘लूडो’, ‘कौलर बम,’ वैब सीरीज ‘बारिश’, ‘अभय’ आदि में भी उन्होंने अभिनय किया है.
वर्ष 2013 में आशा का संबंध ‘पवित्र रिश्ता’ के कोस्टार ऋत्विक धनजानी के साथ जुड़ा. दोनों ने साथ में डांस रियलिटी शो ‘नच बलिए सीजन 6’ में भी हिस्सा लिया और ट्रौफी भी जीती थी, लेकिन 7 साल की डेटिंग के बाद वर्ष 2020 में उन का ब्रेकअप हो गया. इस ब्रेकअप के बारे में आशा का कहना था कि दोनों ने अच्छे मोड़ पर आ कर रिलेशनशिप को खत्म किया है. ब्रेकअप के बाद भी उन के और ऋत्विक के बीच सम्मान है और वे एकदूसरे से बात करते रहते हैं.
जियोसिनेमा पर आशा नेगी की वैब सीरीज ‘हनीमून फोटोग्राफर’ स्ट्रीम हुई है, जो एक मर्डर मिस्ट्री है, जिसे ले कर वे बहुत उत्साहित हैं.
पेश हैं, उन से हुई बातचीत के कुछ खास अंश :
आशा को हमेशा कुछ चुनौतीपूर्ण अभिनय की इच्छा रहती है. इस शो की खासियत के बारे में उन का कहना है कि प्रायोरिटी वही रहती है कि किरदार ऐसा हो जो मुझे कंफर्ट जोन से बाहर ले कर जाए. इस की कहानी बहुत रुचिपूर्ण है, इसलिए मना करने की कोई वजह नहीं रही.
मैं इस में एक फोटोग्राफर अंबिका की भूमिका निभा रही हूं। मुझे फोटोग्राफी का शौक है, लेकिन बड़े कैमरे को हैंडल नहीं किया है, इसलिए सीरीज के दौरान मैं ने सही फोटोग्राफी के लिए फोटोग्राफर फ्रैंड्स का सहारा लिया, फोटोग्राफी की बारीकियां सीखीं, ताकि ऐसा न लगे कि मैं ने पहली बार कैमरा पकड़ा है. इस में कैमरे को फोकस करना, जूमइन, जूमआउट आदि चीजों को सीखा है.
इमोशंस को बैलेंस करना कठिन था
आशा आगे बताती हैं कि शूटिंग के दौरान बहुत मस्ती की मैं ने, लेकिन कई इमोशंस इस में हैं, उसे बैलेंस करना थोड़ा मुश्किल था. इस चरित्र से मैं कुछ हद तक रिलेट कर सकती हूं क्योंकि कहीं न कहीं मेरा चरित्र अपने काम को ले कर काफी पैशनेट है और मैं भी ऐक्टिंग को ले कर काफी पैशनेट हूं, इस के अलावा कोई भी किरदार में कुछ न कुछ मेरे लिए रिलेटेबल हो जाता है. कुछ न कुछ उस से हमें अच्छी चीजें सीखने को भी मिलती हैं.
अंतर समय का
आशा ने कई टीवी सीरियल्स, फिल्में और वैब सीरीज में काम किया है. अभिनय में अंतर के बारे में पूछने पर वे कहती हैं कि टीवी में कई बार जल्दीजल्दी शूट करना पड़ता था क्योंकि शाम को टैलिकास्ट होना है, जबकि स्क्रिप्ट सुबह आई होती है। ऐसे में, उसी समय शूट कर भेजना होता था. यहां थोड़ा तसल्ली से
काम होता है. टीवी शो चलता रहता है, उस का अंत किसी को पता नहीं होता जबकि यहां पर शूटिंग करने के समय का पता चल जाता है, इसलिए मजा आता है क्योंकि एक कैरेक्टर किया, ब्रेक लिया. फिर कोई नया चरित्र किया, बस ऐसे ही चलता रहता है.
क्या सच क्या झूठ
टीवी से फिल्मों या वैब सीरीज में आने पर कलाकार सफल नहीं होते, इस में कितनी सचाई है? यह पूछने पर आशा हंसती हुई कहती हैं कि यह सही है क्योंकि टीवी अधिक करने के बाद फिल्मों और वैब सीरीज को ऐडौप्ट करने में थोड़ा समय लगता है, लेकिन अगर आप प्रतिभावान और मेहनती है, ईमानदारी से अपना काम कर रहे हैं, तो इतना अधिक कठिन भी नहीं है. बहुत सारे टीवी कलाकार आज अच्छा काम कर रहे हैं.
ओटीटी से काम मिलना हुआ आसान
ओटीटी की वजह से आज के कलाकारों को काम मिलना कितना आसान हुआ है, यह पूछने पर आशा कहती हैं कि ओटीटी में कोई ऐक्टर या ऐक्ट्रैस नहीं, बल्कि सारे कलाकार हैं क्योंकि सभी अच्छा काम कर रहे हैं और अच्छा कंटैंट बन रहा है. साथ ही नए कलाकारों को भी काम मिलना थोड़ा आसान हुआ है.
हर शो के लिए है दर्शक
मारधाड़ वाली अधिकतर सीरीज बनने की वजह पूछने पर आशा का कहना है कि आज हर शो के लिए दर्शक है, इसलिए शो चाहे मारधाड़, खूनखराबे वाली हो, फिर भी लोग उसे देखते है, इसलिए बन रही है. रोमांस, घरपरिवार वाली शो के लिए भी दर्शक हैं और ये बनती रहेंगी। जिस दिन दर्शक नकार देंगे, मारधाड़ वाली शो बननी बंद हो जाएगी. मेरे हिसाब से इंडस्ट्री सब को खुश रखती है. मुझे थ्रिलर, सस्पैंस, स्वीट सी कहानियां देखना पसंद है.
मिली प्रेरणा
ऐक्टिंग में आने की प्रेरणा के बारे में पूछने पर आशा बताती हैं कि परिवार में दूरदूर तक कोई भी इस फील्ड से नहीं है. मुझे लगा था कि ‘मिस उत्तराखंड’ बनने के बाद मेरा ग्लैमर का शौक पूरा हो जाएगा, लेकिन इस के बाद से मौडलिंग के औफर आने लगे. फिर मैं ने 22 साल की उम्र में मुंबई आने की
बात जब घर वालों को बताई, तो उन्होंने पहले मना कर दिया, बाद में बहुत समझाने पर उन्होंने हामी भरी. मुंबई आने पर जब मैं ने अभिनेत्री साक्षी तंवर के साथ धारावाहिक ‘बड़े अच्छे लगते हैं’ में काम किया, तो मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. उन से मैं काफी प्रभावित हुई, क्योंकि साक्षी एक अच्छी ऐक्ट्रैस होने के साथसाथ एक अच्छी इंसान भी हैं.
परिवार का सहयोग
परिवार का सहयोग मिलने में आशा को थोड़ी परेशानी हुई। वे कहती हैं कि मैं ने कई दिनों तक भूख हड़ताल किया ताकि वे मुझे मुंबई जाने की अनुमति दें, लेकिन एक शर्त लगाई थी कि अगर मैं कुछ कर नहीं पाई तो वापस लौटूंगी, पर ऐसा नहीं हुआ उन्होंने मुझे टीवी पर देख लिया था, फिर वे खुश हुए.
आर्मी बैकग्राउंड से होने की वजह से मैं बहुत ही अनुशासित ढंग से बड़ी हुई हूं. मेरे पेरैंट्स चाहते थे कि मैं पढ़ाई खत्म कर शादी कर लूं, पर अब उन की ऐसी सोच नहीं है.
रहा संघर्ष
आशा कहती हैं कि शुरुआत में काफी संघर्ष किया, लेकिन जब मैं ने बालाजी प्रोडक्शन हाउस के साथ काम कर लिया, तो सामने से काम आने लगे थे.
पार्टी नहीं है पसंद
अच्छे लोगों के बीच रहने की कोशिश आशा नेगी हमेशा करती हैं। इसे वे बहुत जरूरी भी मानती हैं, क्योंकि गलत संगत में रहने पर व्यक्ति भटक जाता है. वे कहती हैं कि शुरू से मुझे पार्टी अधिक पसंद नहीं, खुद में रहना अच्छा लगता है. मेरे आसपास के लोग भी अच्छे मिलते गए, जिस से मुझे ग्राउंडेड रहना आसान हुआ.
अंतरंग दृश्य में सहज
आशा कहती हैं कि समय के साथसाथ ऐक्टिंग में सुधार हुआ है और अंतरंग दृश्यों में भी खुद को सहज पाने लगी हूं. मैं खुद पर किसी प्रकार की पाबंदियां लगाना नहीं चाहती. धीरेधीरे मैं सहज हो रही हूं कि अंतरंग दृश्य में सहज कैसे रहना है, क्योंकि स्क्रिप्ट की डिमांड पर उसे करना भी जरूरी है.
दीवाली में आशा हमेशा परिवार के साथ रहना पसंद करती हैं, इंडियन आउट्फिट पहनती हैं, परिवारजनों के लिए भी उन के अनुसार साड़ियां खरीदती हैं. अच्छे व्यंजन पकाती हैं और सब के साथ मिल कर ऐंजौय करती हैं.